फोटो गैलरी

Hindi News विधानसभा चुनाव बंगाल चुनाव 2021ममता की ₹5 की थाली से TMC को कितना फायदा? जानें चुनाव से पहले ऐसी सियासी रेवड़ियां कितना रही हैं असरदार?

ममता की ₹5 की थाली से TMC को कितना फायदा? जानें चुनाव से पहले ऐसी सियासी रेवड़ियां कितना रही हैं असरदार?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव से ठीक पहले गरीब लोगों के लिए पांच रुपए की थाली का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि बंगाल के चुनावी समर में जीत हासिल करने के लिए यह कदम उठाया गया है।...

ममता की ₹5 की थाली से TMC को कितना फायदा? जानें चुनाव से पहले ऐसी सियासी रेवड़ियां कितना रही हैं असरदार?
मदन जैड़ा,नई दिल्लीWed, 17 Feb 2021 08:07 AM
ऐप पर पढ़ें

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव से ठीक पहले गरीब लोगों के लिए पांच रुपए की थाली का ऐलान किया है। माना जा रहा है कि बंगाल के चुनावी समर में जीत हासिल करने के लिए यह कदम उठाया गया है। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ऐन चुनाव से ठीक पहले बांटी जाने वाली इस प्रकार की रेवड़ियां सियासी फायदा नहीं दे पाती हैं। 

यह पहला मौका नहीं है, जब चुनाव से ठीक पहले पश्चिम बंगाल सरकार ने यह फॉर्मूला अपनाया हो। राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भी ऐसे फॉर्मूले अपनाए गए हैं। तमिलनाडु में ऐसे मामले सबसे ज्यादा हैं। देखा जाए तो तमिलनाडु से साठ के दशक में इसकी शुरुआत हुई थी, जब 60 के दशक में मुख्यमंत्री सी अन्नादुरई ने चावल और एमजी रामचंद्रन ने धोती और सैंडल देने का ऐलान किया था। बाद में द्रमुक एव अन्नाद्रमुक में यह परंपरा मुफ्त टीवी और स्मार्टफोन तक जा पहुंची। 

विशेषज्ञों के अनुसार हो सकता है कि मुफ्त या रियायती सुविधाएं देने वाले किसी दल को जीत मिल गई हो, लेकिन यह जीत का संपूर्ण आधार नहीं हो सकता है। हां, एक-दो फीसदी वोट जरूर बढ़ा सकता है। 

कुछ साल पहले की गई घोषणा का मिल सकता है फायदा
सीएसडीएस के विशेषज्ञ अभय कुमार दुबे कहते हैं कि यदि योजना चुनाव से एक-डेढ़ साल पहले शुरू की जाए या कोई ऐसी योजना हो, जिसका फायदा चुनाव से पहले ज्यादातर लोगों तक पहुंच चुका हो, तब यह कारगर हो सकता है। लेकिन, कोई सरकार चार महीने पहले योजना का ऐलान करती है। फिर योजना शुरू होती है और कुछ ही लोगों को उसका फायदा होता है तो ऐसे में उससे चुनावी फायदे की उम्मीद नहीं की जा सकती है। 

दलों को कई बार फायदा मिला पर वादे पूरे नहीं किए
यह देखा गया है कि आमतौर पर सभी सत्तारूढ़ दल चुनाव से ठीक पूर्व मुफ्त या कम शुल्क की घोषणाएं करते रहे हैं। भले ही वे एक-दूसरे को इस मुद्दे पर कठघरे में खड़े करते रहे हों। इसी प्रकार कई दल सत्ता हासिल करने के लिए भी मुफ्त की सुविधाओं का ऐलान करते हैं। पुराने अनुभव यह भी बताते हैं कि उन्हें कई बार ऐसे दलों को इसका फायदा भी मिला है। हालांकि, उन्होंने अपने वायदे पूरे किए। 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें