क्या ममता की मुश्किलें बढ़ेंगी? बंगाल में चुनाव से पहले उतरी एक और राजनीतिक पार्टी
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं और इससे पहले ही सत्ताधारी ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। शुभेंदु अधिकारी के बाद ममता के एक और सिपाही...
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव अप्रैल-मई में होने हैं और इससे पहले ही सत्ताधारी ममता बनर्जी की टीएमसी के लिए मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। शुभेंदु अधिकारी के बाद ममता के एक और सिपाही पार्टी से अलग हो गया है और अपना अलग दल बनाया है। गुरुवार को फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने कोलकाता में अपनी पार्टी का ऐलान किया। इस पार्टी का नाम इंडियन सेक्यूलर फ्रंट (ISF) रखा गया है।
West Bengal: Pirzada Abbas Siddique, the founder of Furfura Sharif Ahale Sunnatul Jamat, launches Indian Secular Front (ISF) in Kolkata. pic.twitter.com/rqwTYn1UJZ
— ANI (@ANI) January 21, 2021
मुस्लिम वोटर्स में अच्छा प्रभाव रखने वाले पीरजादा अब्बास सिद्दीकी ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वह अलग पार्टी बनाएंगे। इसी महीने पीरजादा से AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी मुलाकात की थी। सिद्दीकी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का करीबी माना जाता था। हालांकि कुछ वक्त से वो खुले रूप में टीएमसी का विरोध कर रहे थे और सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ भी हमलावर थे।
एआईएमआईएम के बंगाल चुनाव में प्रवेश और अब अब्बास सिद्दीकी के अलग संगठन बनाने से राज्य के चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। पश्चिम बंगाल की 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए अप्रैल-मई में चुनाव होने की संभावना है।
फुरफुरा शरीफ दरगाह का दक्षिण बंगाल में अच्छा खासा असर माना जाता है। लेफ्ट फ्रंट की सरकार के वक्त इसी दरगाह की मदद से ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम जैसे दो बड़े आंदोलन किए थे। बंगाल में लगभग 30 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता हैं। इनमें से कम से कम 24 फीसदी बंगाली भाषी मुस्लिम हैं। पीरजादा अब्बास सिद्दीकी जिस फुरफुरा शरीफ दरगाह से जुड़े हैं और उनका इस मुस्लिम वोट बैंक पर खासा असर है।
ओवैसी-पीरजादा बिगाड़ेंगे ममता का खेल?
इस महीने की शुरुआत में ही एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी बंगाल पहुंचे थे। इस दौरान वह हुगली जिले के फुरफुरा शरीफ पहुंचे और मुस्लिम नेता अब्बास सिद्दीकी के साथ राज्य के राजनीतिक परिदृश्य तथा आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की थी। ध्यान देने वाली बात यह थी कि राज्य में चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद ओवैसी की यह पहली बंगाल यात्रा थी। सूत्रों के मुताबिक, संभवत: दोनों के बीच बंगाल चुनाव साथ लड़ने और सीटों की साझेदारी पर चर्चा हुई थी।