Asian Games 2018: चोट को नजरअंदाज कर दिव्या काकरन ने जीता कांस्य पदक
अपने पहले ही एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला पहलवान दिव्या काकरान के पिता अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं। दिव्या के पिता सूरज ने बेटी के पदक जीतने के बाद कहा है कि उनकी बेटी...
अपने पहले ही एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की महिला पहलवान दिव्या काकरान के पिता अपनी बेटी की सफलता से बेहद खुश हैं। दिव्या के पिता सूरज ने बेटी के पदक जीतने के बाद कहा है कि उनकी बेटी ने चोटिल होने के बावजूद पदक जीता है। दिव्या ने कांस्य पदक के मैच में चीनी ताइपे की चेन वेनलिंग को 10-0 से तकनीकी दक्षता के आधार पर मुकाबल जीत अपने पहले ही एशियाई खेलों में पदक जीता। दिव्या को मंगोलिया की पहलवान तुमेनटसेटसेग शारखु ने क्वार्टर फाइनल में 11-1 से मात दी थी।
चोट के बावजूद दिव्या ने लड़ी कुश्ती और दर्ज की जीत
क्वार्टर फाइनल में हार के बाद दिव्या का स्वर्ण जीतने का सपना टूट गया था, लेकिन उन्हें कांस्य पदक का मैच खेलने का मौका मिला जहां उन्होंने बाजी मारी। दिव्या ने इस मौके को पूरी तरह से भुनाया और भारत की झोली में पदक डाला। दिव्या के पदक जीतने के कुछ देर बाद उनके पिता सूरज पहलवान ने आईएएनएस से फोन पर कहा, 'हम बहुत खुश हैं। हमें तो खुशी ही खुशी दे रहा है भगवान। दिव्या से एक दिन पहले बात हुई थी उसने कहा था कि उसे चोट की परवाह नहीं है। उसके दिमाग में था कि यह खेल चार साल में एक बार आते हैं इसलिए वह इसका पूरा फायदा उठाना चाहती थी।'
दिव्या काकरन ने इसी साल गीता फोगाट को हराया था
सूरज ने कहा, 'असल में उसे चोट भी लगी थी इसलिए हमें चिंता भी हो रही थी कि पता नहीं क्या होगा। उसके बाद सुशील कुमार और साक्षी मलिक जैसे खिलाड़ी हार गए थे तो हमें लगा पता नहीं क्या होगा। तब दिव्या ने कहा था कि पापा मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करूंगी। उसे चोट भी लगी थी, लेकिन फिर भी मैच खेला कह रही थी कि चार साल में एक बार मौका मिलता है जैसा भी होगा खेलूंगी। इलाज तो मैं कराती रहूंगी।' दिव्या ने इसी साल आॅस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित किए गए राष्ट्रमंडल खेलों में भी कांस्य पदक पर कब्जा जमाया था। दिव्या ने इसी साल भारत केसरी दंगल में दिग्गज पहलवान गीता फोगाट को मात दी थी।
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