सुकून नहीं संतुष्टि की कीजिए तलाश
चैन भरी जिंदगी कौन नहीं चाहता? पर यही चाहत जब आदत में तब्दील हो जाती है तो जिंदगी से संतोष कम होने लगता है। हर वक्त कुछ अधूरा-सा महसूस होता है। अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना क्यों जरूरी है, बता रही...

चैन भरी जिंदगी कौन नहीं चाहता? पर यही चाहत जब आदत में तब्दील हो जाती है तो जिंदगी से संतोष कम होने लगता है। हर वक्त कुछ अधूरा-सा महसूस होता है। अपने कंफर्ट जोन से बाहर निकलना क्यों जरूरी है, बता रही हैं चयनिका निगम
पिछले 4 साल से सुबह 9 से शाम 5 वाली नौकरी करते-करते ऊब-सी गई हूं। इतना पढ़ने के बाद सिर्फ एक ही काम करते रहना कहां की समझदारी है? जिंदगी में आगे तो हमेशा बढ़ना चाहिए ना, पर मैं तो जैसे एक जगह आकर अटक गई हूं। अब जरूरत है कि मैं इस जोन से बाहर आकर खुद को परखना शुरू करूं।
पेशे से टीचर स्नेहा को करीब दो महीने पहले एहसास हुआ था कि वो जिंदगी में कुछ नया कर ही नहीं रही हैं। उनका व्यक्तिगत विकास मानो रुक गया है। उसके बाद से बीएड की हुईं स्नेहा नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की तैयारी को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना चुकी हैं। अपने रुटीन में थोड़ा एडजस्टमेंट और पढ़ाई की मदद से वो इस साल नेट पास करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उनको भरोसा है कि अपने कंफर्ट जोन से बाहर आने का फायदा उन्हें मिलेगा, वो स्कूल नहीं, बल्कि कॉलेज में भी जल्द पढ़ाने लगेंगी।
स्नेहा ने कंफर्ट जोन में लगातार बने रहने के नुकसान समझे और अपनी जिंदगी को और बेहतर बनाने का तरीका ढूंढ़ निकाला। पर सबके लिए यह काम इतना आसान नहीं होता है। कई लोग तो यह पहचान ही नहीं पाते कि आराम वाली जोन से निकलना भी जरूरी है, जबकि जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए थोड़ा रिस्क लेना और तयशुदा रुटीन को थोड़ा तोड़ना जरूरी होता है। पर हां, याद ये भी रखना होता है कि इस जोन से बाहर आना हर बार फायदेमंद ही नहीं होता है। कई बार कदम ठिठकते भी हैं।
खुद से करें बात
आपको कंफर्ट जोन से बाहर आने की कोशिश के बीच खुद से सवाल नहीं, बल्कि बात करनी है। आपको खुद से कहना है कि आपको डर नहीं लगता है। आपको डर नहीं लगता है वो सारे काम करने में, जिनको लेकर आप डरा करती थीं। डरती थीं कि कहीं कंफर्ट जोन से निकलीं तो लड़खड़ा ना जाएं। कहीं बनी-बनार्ई ंजदगी में कोई इतना बड़ा बदलाव ना आ जाए कि सब कुछ संभालना मुश्किल हो जाए। पर अब नहीं। अब आप लाइफ में रिस्क लेने से डरेंगी नहीं। कंफर्ट जोन का लालच आपको पीछे नहीं खींचेगा, बल्कि आप खुद से कहेंगी, ‘मैं निडर हूं’।
बदलाव का सफर
जिस दौरान आप कंफर्ट जोन से बाहर आने की तैयारी कर रही होंगी, आपको बहुत सारी ठोकरें भी खानी पड़ सकती हैं। कई सारे लोग आपमें कमियां निकालेंगे। पर यही वो समय है, जब आपको अपने निर्णय पर अडिग रहना होगा। आपको दूसरों की बताई कमियों को दिल पर लेने की बजाय खुद में सुधार लाना होगा।
ऐसे निकलिए कंफर्ट जोन से
विशेषज्ञ मानते हैं कि जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वैसे-वैसे हम अपने आसपास के माहौल पर नजर रखना बंद कर देते हैं। हम कुछ खास नियम बना चुके होते हैं और उन्हीं से पूरी दुनिया को देखते हैं। यह एक ऐसी सोच है, जो हमें कुछ नया करने के बारे में सोचने से रोकती है, जबकि जरूरत होती है कि हम अपने आस-पास विकसित होती चीजों पर नजर डालें। बहुत सारी चीजें ऐसी होंगी, जो आपको कंफर्ट जोन से बाहर आने और कुछ नया करने के लिए प्रेरित जरूर करेंगी।
हमेशा नया करते रहने की आदत
ये बात सही है कि कंफर्ट जोन से निकलना जिंदगी जीने जितना भी जरूरी नहीं है। पर जिंदगी में कुछ कमाल करना है जिंदगी कुछ अलग तरीके से जीनी है तो कंफर्ट जोन से बाहर आना ही होगा। पर यहां यह भी जरूरी नहीं है कि हर बार आप सफल हो ही जाएं। जरूरी यह है कि आप आराम वाली इस जोन से बार-बार बाहर आने की आदत डाल लें। छोटे-छोटे कदम उठाएं। उदाहरण के लिए अगर हाउस वाइफ हैं और फिर से कुछ काम शुरू करने या सोशल सर्कल बनाने की तैयारी कर रही हैं तो सबसे पहले पुरानी सहेलियों से मुलाकात शुरू करें। नियमित रूप से इन दोस्तों से मिलना शुरू करें। दोस्तों के साथ का आपको लाभ मिलेगा।
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