रिश्तों के मुश्किल सफर को बनाएं आसान
साथ रहकर एक-दूसरे को समझना आसान होता है, लेकिन जब पति-पत्नी अलग-अलग शहरों में रह रहे हों तो प्यार के इस रिश्ते के सामने चुनौतियां बढ़ जाती हैं। कैसे दूर रहकर भी रिश्ते के इस मुश्किल सफर को आसान बनाया...
साथ रहकर एक-दूसरे को समझना आसान होता है, लेकिन जब पति-पत्नी अलग-अलग शहरों में रह रहे हों तो प्यार के इस रिश्ते के सामने चुनौतियां बढ़ जाती हैं। कैसे दूर रहकर भी रिश्ते के इस मुश्किल सफर को आसान बनाया जाए, बता रही हैं स्वाति शर्मा
साथ रहने के लिए प्रेमी युगल कितना जतन करते हैं न! दिन की शुरुआत से अंत तक एक-दूसरे की हर बात में सहारा बनने के सपने संजोते हैं। और शादी हो जाए तो समझो सारे सपने साकार हो गए। ऐसे में जुदाई के नाम से भी ये कोसों दूर ही रहना चाहते हैं। लेकिन क्या रिश्ता सिर्फ साथ रहकर ही निभाया जा सकता है? जीवन की प्राथमिकताओं और हालातों के चलते बहुतों को इस डोर को दूर से ही थामे रहना होता है। मेरी एक करीबी दोस्त सोनम का उसके पति से रिश्ता अकसर ही मुझे हैरानी में डाल दिया करता था। शादी को अभी ज्यादा नहीं, बस तीन ही साल तो हुए थे। और उसका पति चेन्नई बिजनेस शुरू करने चला गया। पिछले ढाई सालों से लगातार दोनों को अलग रहते देख रही हूं। उनका मिलना तो नहीं हो पाता, लेकिन प्यार में गुनगुनाहट नए रिश्ते जैसी ही है। मेरे लिए सवाल बड़ा था कि इतनी दूर से बिना एक-दूसरे से नियमित रूप से मिले भी रिश्ते को इतनी सरलता से वे कैसे निभा पा रहे हैं?
एक दूसरी दोस्त, जो नौकरी के चलते पति से दूर थी, ने इस तरह के रिश्ते में फायदे गिनाने शुरू कर दिए। जिनमें सबसे बड़ा फायदा विवादों से बच जाना था। उसने बताया कि साथ रहते हुए दोनों के बीच अकसर बहस हो जाया करती थी, लेकिन ट्रांसफर के बाद फोन पर बात करने या मिलने के दौरान वे दोनों क्वालिटी टाइम बिताने को तवज्जो देने लगे हैं। दूसरी ओर मेरे सामने ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जहां जोड़े साथ रहकर भी एक-दूसरे से अनकही दूरी बनाकर रखते हैं।
दूरी में भी है खूबसूरती
दूरी, छोटा लेकिन काफी भारी शब्द है। जिस पर पड़ता है, वही समझ सकता है। इसका भार उठाकर चलना आसान नहीं है, लेकिन देखा जाए तो इस तरह के सफर की अपनी अलग ही खूबसूरती होती है। एक रिश्तेदार के पति बरसों से विदेश में रह रहे हैं, उनका मिलना कम ही हो पाता है। लेकिन घर के कामकाज, सुख-दुख में मैंने उनकी अच्छी भागीदारी देखी। चेहरा मुरझाया नहीं, हमेशा खिला हुआ ही मिला। इसका मतलब ये नहीं कि उन्हें दूरी का गम नहीं है। बस, इस सफर को काटना नहीं जीना आता है उन्हें। उनके अनुसार, ऐसे में घर की जिम्मेदारी उन पर ही आ गई और अब घर के निर्णयों में उनकी अहम भूमिका रहती है। ये वो भूमिका है, जिसके लिए पुरुष प्रधानता के चलते कई महिलाएं मन मसोसकर ही रह जाती हैं। इसके अलावा इस दूरी वाले रिश्ते में खुद के लिए जगह बनाना आसान हो जाता है। दूसरी तरह से देखें तो ये रिश्ता तो हमें जीवन की बीच डगर पर मिलता है, लेकिन उससे पहले हमारा अपना संसार होता है, जीने का तरीका, सोच-विचार और शौक सब खुद के होते हैं, लेकिन रिश्ते में आने के बाद इन सबका बस दम घुटकर रह जाता है। दूरी हमें रिश्ते में बंधे रहने के साथ ही खुलकर सांस लेने का मौका भी देती है और वो मौका भी, जिसमें हम अपनी उन ख्वाहिशों को पूरा कर सकें, जो साथ रहकर करना मुश्किल पड़ जाता है, जैसे म्यूजिक और डांस सीखना या व्यवसाय करना। इस तरह के सफर में आप अपने अन्य रिश्तों को भी तो अहमियत दे सकती हैं, जो कई बार सिर्फ एक रिश्ता निभाने में पीछे छूट जाया करते हैं।
बनी रहिए सकारात्मक
सकारात्मकता जितनी ही दूसरे कामों के लिए जरूरी है, उतनी ही रिश्तों के लिए भी। दूरी में इसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है, आपके लिए भी और आपके साथी के लिए भी।
अकेले रहना खलता जरूर होगा, लेकिन इसमें भी आप हर पहलू में सकारात्मकता तलाशने में पीछे न रहें। आपके लिए अच्छी और बड़ी बात ये होनी चाहिए कि आप किसी से प्यार करती हैं और बदले में वो भी आपसे। दूर रहकर भी आप एक-दूसरे के हैं और जहां भी हैं सलामत हैं।
यूं संभालें रिश्ते की डोर
रिश्ता दूरी का हो या करीब का, संभालना बखूबी पड़ता है। छोटी- छोटी चूक मिलकर बड़े रिश्तों की नींव भी हिला देती हैं। और बात जब लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप की आती है तो ये चूक प्यार की डोर ढीली करती चली जाती है। ये डोर बराबर थमी रहे इसके लिए आपको कुछ एहतियात बरतने जरूरी हैं और साथ ही कुछ तरीकों को अपनाने की भी।
एक साथ करें काम
अब आप सोचेंगी, भला वो कैसे? आप और आपका साथी एक-दूसरे से दूर रहकर भी अपने समान रुचि वाले कामों को एक ही वक्त पर अपनी-अपनी जगह पर कर सकते हैं। इस दौरान एक-दूसरे से संपर्क भी बनाकर रखिए। जैसे आप साथ कमरा साफ कर सकती हैं या एक ही वक्त पर एक मूवी या यूट्यूब वीडियो देख सकती हैं। इससे आपको साथ होने का एहसास बना रहेगा।
साथी पर भरोसा बनाए रखें
भरोसा हर रिश्ते की नींव है। दूर होने पर इस नींव को हिलने न दें। अपने साथी के शेड्यूल की जानकारी रखें और उनकी सुविधा का ख्याल रखते हुए उनसे बात करें। उनका बात न कर पाना उनकी व्यस्तता के कारण हो सकता है। इसलिए शक की गुंजाइश न दें। हां, उन्हें बता दें कि बात न कर पाने की स्थिति में आप दोनों एक-दूसरे को व्यस्त होने का एक मैसेज भेज बाद में तसल्ली से बात कर सकती हैं। गिले-शिकवों को मन में रखने की जगह सरलता से दूर करती रहें। एक-दूसरे से अपनी उम्मीदें साफ तौर पर सामने रखें। उन परिस्थितियों से भी बचने की कोशिश करें, जो एक दूसरे को गवारा न हों। इस तरह के रिश्ते में साथियों को एक-दूसरे से ईमानदारी से बात करने की बेहद जरूरत होती है।
बदलती रहें बात करने का तरीका
एक जैसे तरीके से एक-दूसरे से संपर्क करते रहना रिश्ते में बोरियत ला सकता है। डॉ. निशा के अनुसार, रोज की बातों से हटकर बातें करने की कोशिश करें। क्या खाया? क्या किया? जैसी बातें फॉर्म भरने जैसी हो जाती हैं। इनकी जगह बात करने का रोमांटिक या मजाकिया तरीका भी अपनाया जा सकता है। ध्यान रखें, हर बात करने का तरीका नया हो। जैसे, मिस यू कहने के कई तरीके हो सकते हैं, ग्राफिक, कोई गाना या एक छोटा सा वॉइस मैसेज आदि। बस आपको अपने तरीकों में रचनात्मक होने की जरूरत है। ये तरीके आपके साथी का रुझान आपकी ओर बनाए रखने में काफी काम आ सकते हैं।
प्यार न बन जाएं दमघोंटू
क्या आप साथी की पल- पल की खबर रखना चाहती हैं? साथी पर हद से ज्यादा अधिकार जताना रिश्ते के लिए नुकसानदेह होता है। रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. निशा खन्ना के अनुसार, प्यार और अधिकार जताने में अंतर होता है। जहां प्यार होता हैं, वहां साथी एक-दूसरे की पर्सनल स्पेस का मान रखना जानते हैं। रिश्तों को जकड़कर नहीं बनाया जा सकता, उनको सांस लेने की जगह देना जरूरी है।