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गलतियां करेगा तभी तो सीखेगा बच्चा

बार-बार स्पेलिंग में गलती करना, तो कभी स्कूल में क्लॉस मॉनिटर नहीं बन पाना या फिर अपने सबसे प्यारे दोस्त का लंच पार्टनर न बन पाना... इन छोटी-छोटी बातों से भी बच्चे का मन उदास हो जाता है। उसे अपनी...

गलतियां करेगा तभी तो सीखेगा बच्चा
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीWed, 14 Jun 2017 02:05 PM
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बार-बार स्पेलिंग में गलती करना, तो कभी स्कूल में क्लॉस मॉनिटर नहीं बन पाना या फिर अपने सबसे प्यारे दोस्त का लंच पार्टनर न बन पाना... इन छोटी-छोटी बातों से भी बच्चे का मन उदास हो जाता है। उसे अपनी काबिलियत पर शक होने लगता है। इन छोटी-छोटी बातों को असफलता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता, पर आपके बच्चे के लिए ये बातें बहुत बड़ी असफलताएं हैं। ये बातें उसमें गुस्सा भर सकती हैं, उसे परेशान कर सकती हैं और उसके आत्मविश्वास को हिला सकती हैं। अगर लंबे वक्त तक ऐसा होता रहे तो असर बच्चे के व्यक्तित्व पर नजर आने लगता है।

अपनी प्रतिक्रिया पर रखें नजर
ऐसी ही स्थिति में आपकी भूमिका अहम हो जाती है। गलतियां करने पर अगर आप भी बच्चे को बार-बार डांटती हैं, उसे प्यार-दुलार से समझाती नहीं हैं तो बच्चे के लिए स्थिति और खराब हो जाती है। चूंकि पेरेंट्स बच्चे के लिए रोल मॉडल होते हैं, इसलिए जरूरी है कि आप भी इस बात का ध्यान रखें कि किसी चीज में बच्चे के असफल होने पर आप कैसी प्रतिक्रिया देती हैं। बच्चे के असफल होने पर अगर आप गुस्सा हो जाती हैं या आपका मूड खराब हो जाता है तो कुछ समय बाद आपका बच्चा भी ऐसी ही प्रतिक्रिया देने लगेगा। 

हमेशा दें प्यार-दुलार
बच्चा चाहे सफल हो या असफल, उसे हर वक्त हमारे प्यार और दुलार की जरूरत होती है। खासतौर पर अगर कुछ अच्छा न हो तो उसे ऐसे व्यक्ति और बातों की जरूरत होती है, जो उसका आत्मविश्वास बढ़ा सकें। अगर आप इस स्थिति को बेहतर तरीके से संभाल पाएं तो बच्चे की इन असफलताओं को उसके लिए कुछ नया सीखने का जरिया बना सकती हैं। शोध बताते हैं कि ऐसा करने वाले बच्चे भविष्य में ज्यादा सफल होते हैं।

गलतियों से क्या सीखता है बच्चा
असफलता की स्थिति में प्रोत्साहन के दो बोल नकारात्मक भावनाओं से बाहर निकलने में बच्चे की मदद करेंगे। बच्चा जब किसी चीज में असफल होगा, तभी वह समस्या का समाधान तलाशने की कला सीख पाएगा। पेरेंटिंग एक्सपर्ट सुधा गुप्ता के अनुसार, ‘बच्चा जब किसी चीज में असफल हो तो उसे समझाएं कि गलती कहां हुई और उसे सुधार कर भविष्य में वह कैसे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। बार-बार कोशिश करने से बच्चा धैर्य रखना भी सीखेगा और जब वह अपने लक्ष्य में सफल होगा तो उसे अपने-आप पर सबसे ज्यादा गर्व होगा।’

ऐसे करें बच्चे की मदद
1 बच्चे को उसकी भावनाओं को समझने और उसे सही तरीके से जाहिर करने में मदद करें। 
2 उससे बात करें और उसे यह साझा करने का मौका दें कि गलती कहां हुई और उसमें कैसे सुधार लाया जा सकता है। 
3 बच्चे को ऐसी एक्टिविटी में सक्रिय रखें, जो उसकी उम्र, रुचि और क्षमता के मुताबिक हो।
4 बच्चे को छुटपन से ही यह सिखाएं कि जिंदगी में जीतना ही सब कुछ नहीं होता। जीत या हार की परवाह किए बिना तरह-तरह की गतिविधियों में भाग लेने के लिए उसे प्रोत्साहित करें।
5 बच्चे को उन चीजों के बारे में बताएं, जिनमें वह औरों से बेहतर है। जब उसे अपनी क्षमताओं के बारे में मालूम होगा तो उसका आत्मविश्वास अपने-आप बढ़ जाएगा।
6 सबसे जरूरी बात, बच्चे से अपनी अपेक्षाएं सीमित रखें। अगर उससे आपकी अपेक्षाएं ज्यादा होंगी तो बेहतर प्रदर्शन करने के लिए आप भी उस पर ज्यादा दबाव बनाने लगेंगी।
7 बच्चे को यह महसूस करवाएं कि वह जीते या हारे, आप उसे हमेशा प्यार करेंगी।

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