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बच्चे का गुस्सा हो जाएगा उड़न-छू

गुस्सा सिर्फ बड़ों को ही नहीं आता, बच्चों को भी आता है। सबसे अनूठी बात यह होती है कि बच्चे जब गुस्सा होते हैं तो उस वक्त आपकी कही हर बात पर उसकी प्रतिक्रिया गुस्से वाली होती है। आमतौर पर पेरेंट्स बनने...

बच्चे का गुस्सा हो जाएगा उड़न-छू
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीTue, 28 Nov 2017 03:24 PM
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गुस्सा सिर्फ बड़ों को ही नहीं आता, बच्चों को भी आता है। सबसे अनूठी बात यह होती है कि बच्चे जब गुस्सा होते हैं तो उस वक्त आपकी कही हर बात पर उसकी प्रतिक्रिया गुस्से वाली होती है। आमतौर पर पेरेंट्स बनने के बाद हर किसी को इस स्थिति से गुजरना पड़ता है। 
अब सवाल यह है कि बच्चों को आखिर गुस्सा आता क्यों है? इस संबंध में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट ज्योति त्रिपाठी का कहना है कि छोटे बच्चे को खुद ही इस बात का पता नहीं होता है कि वह गुस्सा क्यों है? अकसर उनका गुस्सा भावनात्मक होता है। बच्चे के पास अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए ज्यादा शब्द नहीं होते हैं, इसलिए वो अपनी बात को अपनी भावनाओं के माध्यम से जाहिर करते हैं। जिस तरह से बच्चों के गुस्से का पता नहीं होता है, ठीक उसी तरह से उनकी खुशी के स्तर का भी पता नहीं होता है। कभी-कभी जो बात उन्हें खुशी देती है, कई बार वही बात उनके गुस्से का कारण भी बन जाती है। जब बच्चा गुस्से में हो, तो बार-बार उसे मनाने की कोशिश करने या डांटने की बजाय उसे कुछ देर के लिए अकेले छोड़ देना चाहिए। जब वह शांत हो जाए, तब आप उससे उसके गुस्से का कारण पूछें।

समझदारी से लें काम
यह सच है कि बच्चे की नाराजगी से जूझ पाना बहुत असमंजस और तनाव भरा काम है। जब वह बिना बात के नाराज होता है, तो उस समय ना चाहते हुए भी आपको भी गुस्सा आ जाता है। पर, यह वक्त बच्चे पर अपनी निराशा और गुस्सा निकालने का नहीं होता है, उस समय बहुत समझदारी से काम लेना चाहिए। अगर आप ऐसे समय में बच्चे को डांटेंगी या मारेंगी, तो इसका बच्चे के मस्तिष्क पर गलत असर पड़ेगा। वहीं, अगर आप आसानी से उसकी बात मान जायेंगी, तो वह गुस्से को अपनी बात मनवाने के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करेगा। बच्चे के गुस्से को समझने और उससे पार पाने के लिए आपको उसके स्तर पर जाकर सोचना होगा, तभी आप उसके मन की बात को समझकर उसके अनुकूल व्यवहार कर पायेंगी।

अकेला छोड़ दें
जब बच्चा नाराज होता है, तो या तो आप उसे डांटने लगती हैं या उससे बार-बार उसके गुस्से का कारण जानने की कोशिश करती हैं। जब बच्चा गुस्से की अवस्था में हो तो सामान्य होने तक उसे अकेला छोड़ दें। बच्चे ज्यादा देर तक नाराज नहीं रहते हैं। जब उसका गुस्सा कम हो जायेगा तो वह खुद ही आपको बतायेगा कि उसकी नाराजगी की वजह क्या थी। 

खूब जतायें प्यार 
जब बच्चा खुद को भावनात्मक रूप से कमजोर समझता है, तब अपनी भावनाओं को शब्दों के माध्यम से जाहिर न कर पाने की वजह से वह गुस्सा हो जाता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे की मानसिक अवस्था को समझते हुए उससे बात करें। बच्चे के साथ अपने लगाव को भावनात्मक तौर पर भी जाहिर करें। कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दें ताकि वह यह समझ सके कि उसका गुस्सा जायज है या बेमानी। फिर थोड़ी देर बाद उसके पास जाकर बिना कुछ कहे उसे गले लगाएं और खूब प्यार करें। बच्चे का गुस्सा छूमंतर हो जाएगा। उसे डांटने की बजाय इधर-उधर की बातें करके उसका दिमाग बदलने की कोशिश करें।

हर बार गलत नहीं होता बच्चा
माना कि बच्चे कई बार बिना बात के गुस्सा करते हैं, लेकिन हर बार उसका गुस्सा नाजायज हो, यह जरूरी नहीं है।  बच्चे के गुस्से को लेकर किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले स्थितियों का विश्लेषण करें। हो सकता है कि बच्चे को किसी किस्म का तनाव हो, जिसे जाहिर न कर पाने की वजह से वह गुस्सा कर रहा है या फिर उसकी तबियत खराब हो। कई बार बच्चे को भूख लगी होती है, लेकिन इस बात को समझ न पाने की वजह से वह गुस्से में आ जाता है। 

इन बातों का रखें ध्यान

  • जब बच्चा गुस्से में हो, तो उसके साथ तीखी बहसबाजी करने या उसे अपनी बात को तर्कसंगत ढंग से समझाने की कोशिश न करें। इस समय वह आपकी किसी भी बात को ध्यान से नहीं सुनेगा। उसे शांत रहने दें ताकि वह मामले की गंभीरता को समझकर अपने गुस्से पर काबू पा सके।
  • जब आपका बच्चा गुस्से में है, तो पर उस पर अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए उसे सजा न दें। जब उसका गुस्सा शांत हो जाए तब उसे किसी कहानी के माध्यम से गुस्से पर नियंत्रण रखने की सीख दें।
  • बच्चे के अंदर आत्मविश्लेषणात्मक रवैया विकसित करने के लिए गुस्से के हालात में उसे अकेला छोड़ दें, ताकि वह खुद गुस्से का कारण तलाश सके।
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