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प्रोटीन का बेहतर स्रोत है सोयाबीन

प्रोटीन के शाकाहारी स्रोतों में सोयाबीन प्रमुख है, जो कि वास्तव में फली है और इसमें कई तरह के बायोएक्टिव प्लांट कम्पाउंड मिल जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। वैज्ञानिकों का मानना है...

प्रोटीन का बेहतर स्रोत है सोयाबीन
रजनी अरोड़ा,नई दिल्लीMon, 26 Feb 2018 05:19 PM
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प्रोटीन के शाकाहारी स्रोतों में सोयाबीन प्रमुख है, जो कि वास्तव में फली है और इसमें कई तरह के बायोएक्टिव प्लांट कम्पाउंड मिल जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सोयाबीन में मिलने वाली प्रोटीन दूध या अंडे में मिलने वाले प्रोटीन के बराबर होते हंै। इसे दाल, आटा, नगेट्स, चाप, चिप्स, फ्लैक्स जैसे खाद्य पदार्थो के रूप में ही नहीं, मिल्क, टोफू, योगर्ट, ऑयल के रूप में भी आहार में शामिल किया जाता है। यह विभिन्न प्रकार के पोषक और एंटीऑक्सीडेंट तत्वों से भरपूर है, जो पोषण प्रदान करने के अलावा कई बीमारियों की चपेट में आने से बचाता है। 

कार्डियोवैस्कुलर स्वास्थ्य में कारगर
सोयाबीन में मौजूद आइसोफ्लेवोन्स बायोएक्टिव कम्पाउंड, अल्फा लिनोलिक एसिड, पॉली अनसेचुरेटेड फैटी एसिड और भरपूर मात्रा में पाए जाने वाले फाइबर, कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के लिए हैल्दी हैं। ये बैड कोलेस्ट्रॉल एलडीएल के स्तर को कम करते हैंैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखते हैं। ऐसे में सोयाबीन के नियमित सेवन से हृदय संबंधी रोगों से काफी बचाव होता है।

कैंसर की आशंका को करे कम
एंटी कार्सिनोजेनिक तत्वों के कारण सोयाबीन के नियमित सेवन से कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिलती है। बड़ी उम्र के पुरुषों में टेस्टोस्टेरान हार्मोन में गड़बड़ी से प्रोस्टेट कैंसर और मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टरोन हार्मोन्स में बढ़ोतरी के कारण ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एंटी कार्सिनोजेनिक तत्व इन हार्मोन में संतुलन बनाने में मदद करता है।

डाइबिटीज को करे नियंत्रित
फाइबर, मिनरल्स और ओमेगा 3 फैटी एसिड से भरपूर सोयाबीन के नियमित सेवन से ब्लड में शुगर की मात्रा नियंत्रित रहती है। इससे डाइबिटीज का खतरा  कम हो जाता है।

ऑस्टियोपोरोसिस के जोखिम को करे कम
सोयाबीन के नियमित सेवन से उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों में होने वाली कमजोरी आथ्र्राइटिस या ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या को कम किया जा सकता है। खासकर मेनोपॉज के बाद महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होने वाले अस्थिक्षय रोकने में मदद मिलती है। 

बॉडी बिल्डिंग में सहायक
शाकाहारी प्रोटीन रिच होने के कारण नियमित रूप से सोयाबीन का सेवन मसल्स मजबूत बनाने और बॉडी बिल्डिंग के शौकीन लोगों के लिए फायदेमंद है। 

मेनोपॉज की परेशानियां करे कम
मेनोपॉज के दौरान सोयाबीन का नियमित सेवन हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी की तरह काम करता है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट महिलाओं में  एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से होने वाले मूड स्विंग, चिड़चिड़ेपन, हॉट फ्लैश जैसी परेशानियां कम करने में मदद करते हैं। 

पाचन-तंत्र को रखे सुचारू
फाइबर से भरपूर सोयाबीन आंतों की सफाई और क्रियाशीलता में सहायक है। यह पाचन-तंत्र को सुचारू रखकर कब्ज जैसी समस्याओं से बचाता है।

वजन घटाने में मददगार
सोयाबीन के कार्बोज में स्टार्च और शर्करा कम होती है। इसमें मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड आंतों में वसा के अवशोषण को रोकता है और फाइबर लंबे समय तक पेट भरे होने का एहसास बनाए रखता है। 

उम्र के प्रभाव को करे कम
उम्र बढ़ने के साथ त्वचा पर पड़ने वाले दाग-धब्बों और झुर्रियों को कम करने में सोयाबीन में मौजूद फाइटोएस्ट्रोजन मददगार है। रूखी और बेजान त्वचा को नमी प्रदान कर मुलायम बनाता है। ये नाखून और बालों को मुलायम, चमकदार और मजबूत बनाने में मदद करता है।

लैक्टोज़ इनटॉलरेंस डिजीज में फायदेमंद
सोयाबीन से बना दूध लैक्टोज इनटॉलरेंस यानी एनिमल मिल्क से एलर्जी के रोगी के लिए फायदेमंद है। वास्तव में यह ऑटो इम्यून डिसॉर्डर है, जिसमें पाचन-तंत्र में गड़बड़ी होने के कारण पीड़ित व्यक्ति को एनिमल मिल्क लैक्टोज शुगर आदि पच नहीं पाता। डेयरी मिल्क या डेयरी मिल्क प्रोडक्ट लेने के बाद प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है, जिसका असर शरीर पर देखा जा सकता है। लैक्टोज इनटॉलरेंस डिजीज से पीड़ित व्यक्ति के लिए सोया मिल्क का सेवन बेहतरीन विकल्प है। पौष्टिक तत्वों से भरपूर ये मिल्क शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करता है, सुपाच्य भी होता है। बाजार में तो ये मिलता ही है, आप खुद भी आसानी से इसे तैयार कर सकते हैं। पानी में सोयाबीन भिगोकर पानी के साथ मिक्सी में पीस लें और छान लें। इससे आप दही, पनीर, चाय, कॉफी, खीर या दूसरे स्वादिष्ट व्यंजन भी आसानी से बना सकते हैं।

(दिल्ली स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल की डाइटीशियन चेतना बंसल से की गई बातचीत पर आधारित) 

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