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घरेलू हिंसा की शिकार के मन का भी ख्याल है जरूरी

उस वाली गली में क्रीम रंग वाला घर इन्हीं का है। इनके घर से अक्सर बहू के चिल्लाने की आवाज आती थी। एक दिन वहां से गुजरते हुए मैंने घर की घंटी बजाई, तो चिल्लाने की आवाज अचानक शांत हो गई। दरअसल वो लोग...

घरेलू हिंसा की शिकार के मन का भी ख्याल है जरूरी
हिन्दुस्तान फीचर टीम,नई दिल्लीThu, 06 Jul 2017 06:44 PM
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उस वाली गली में क्रीम रंग वाला घर इन्हीं का है। इनके घर से अक्सर बहू के चिल्लाने की आवाज आती थी। एक दिन वहां से गुजरते हुए मैंने घर की घंटी बजाई, तो चिल्लाने की आवाज अचानक शांत हो गई। दरअसल वो लोग बहू के साथ मार-पीट किया करते थे। भले ही उस दिन के लिए सही, पर मुझे लगा मैंने किसी की मदद की। श्रुति की जिंदगी से यह किस्सा जुड़-सा गया है, क्योंकि एक दिन उसने किसी पीड़ित की मदद की थी। और इस छोटी सी पहल का अहसास उसे कहीं न कहीं सुकून जरूर देता है। पर मदद के वक्त अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो यह छोटी पहल, बड़ी में भी तब्दील हो सकती है। कैसे, आइए जानें-
सहयोग है जरूरी
अगर आप किसी की मदद करने जा रही हैं तो आपको उसे मानसिक मदद देने के लिए भी तैयार रहना होगा। जोश में नहीं, शांत मन से सोचिए कि क्या आप तैयार हैं? अगर हां, तो फिर पीड़िता की समस्या को ध्यान से सुनना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके बाद पीड़िता को समझाएं कि आगे क्या करना सही होगा।
आलोचनात्मक न बनें
पीड़ित कभी नहीं चाहता कि उसके साथ हुए अपराध के बाद भी लोग उसे ही आलोचनात्मक नजरिए से देखें। फिर भले ही यह सब उनकी खुद की गलती का नतीजा ही क्यों न हो। जैसे कई बार महिलाएं अक्सर उनके साथ मार-पिटाई करने वाले व्यक्ति के साथ दोबारा रहने को तैयार हो जाती हैं। पर, हर बार यह गलती करने के बाद भी वो आपसे बस मदद की आशा रखती हैं। ऐसी स्थिति में भी पीड़िता की आलोचना करने से बचें।
बेहतर भविष्य की आशा
पीड़िता को उन विकल्पों के बारे में समझाइए जिन्हें अपनाने के बाद वह अपने जीवन को वापस पटरी पर ला पाने में सक्षम हो सकती है। इस तरह उसमें आत्मविश्वास भी जागेगा और वह अपने जीवन को बेहतर बनाने काप्रयास भी करेगी।
गलती तुम्हारी नहीं है
पीड़िता को यह अहसास कराना कि जो कुछ हुआ उसमें उसकी गलती नहीं थी, उतना ही जरूरी है, जितना कि सहयोग के बारे में सोचना। अक्सर दूसरों के बार-बार आरोप लगाने की वजह से पीड़ित घटना का कारण खुद को ही मानने लगते हैं। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। हिंसा या किसी भी दूसरे बुरे काम को किसी भी कारण से सही नहीं ठहराया जा सकता। और इसके लिए पीड़िता जिम्मेदार नहीं होती।
गोपनीयता का रखें ख्याल
पीड़िता को इस बात का अहसास कराना जरूरी है कि वो आपको जो भी जानकारी दे रही है, आप उसे गोपनीय रखेंगी। उसकी ओर से बताई गई बातें हों या सुबूत, जरूरी और विश्वसनीय लोगों के अलावा किसी को नहीं बताया जाएगा।
भावनात्मक संबल है सबसे जरूरी
आप अगर घरेलू हिंसा से पीड़ित किसी महिला की मदद के लिए जा रही हैं तो सबसे पहले उसे हादसे के भावनात्मक प्रभाव से बाहर निकालने की कोशिश करें। उसे यह अहसास दिलाएं कि जो कुछ हुआ है, उसमें उसकी कोई गलती नहीं थी। इसके साथ ही आपको उसे किसी सुरक्षित जगह पर ले जाना और उसकी सुविधाओं का ध्यान में रखना होगा। और हां, इस वक्त वो जो बताना चाहे, सिर्फ वही सुनें। सारी जानकारी आपको देने के लिए उस पर दबाव न बनाएं। आप अपनी बातों से ही उसकी परेशानियां काफी हद तक कम कर सकती हैं। आपकी बातों से पीड़िता को यह भी अहसास होगा कि उसके साथ कोई है, जो उसकी मदद करेगा। इसके बाद पीड़िता को वो सारी जानकारी दें, जो सरकार द्वारा उसकी मदद के लिए पहले से उपलब्ध हैं। आप उसे रास्ता दिखाएंगी तो धीरे-धीरे न सिर्फ उसका खोया हुआ आत्मविश्वास वापस आ जाएगा बल्कि वो अपनी लड़ाई खुद लड़ने के लिए और जिंदगी से नजरें मिलाने के लिए तैयार हो जाएगी।
(मनोविशेषज्ञ डॉ. स्मिता श्रीवास्तव से बातचीत पर आधारित)
 

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