भारत में कैसे तय होती हैं पेट्रोल और डीजल की रिटेल कीमतें?
पेट्रोल और डीजल की कीमतें ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (OMC) तय करती हैं। ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल प्राइसेज के आधार पर ऑयल कंपनियां रोजाना पेट्रोल और डीजल की कीमतों की समीक्षा करती हैं। राज्य और केंद्र सरकार पेट्रोल और डीजल के रिटेल प्राइसेज पर टैक्स लेती हैं। पेट्रोल और डीजल की कीमतें सरकार नहीं तय करती है। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड, ये पब्लिक सेक्टर ऑयल मार्केटिंग कंपनियां हैं।
अलग-अलग राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें अलग क्यों हैं?
पेट्रोल और डीजल की कीमतें गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में नहीं आती हैं। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार की तरफ से एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकार की तरफ से वैट (VAT) लिया जाता है। अलग-अलग राज्यों में वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) अलग-अलग है, इसलिए हमें पेट्रोल और डीजल की कीमतों में यह अंतर देखने को मिलता है।
भारत में डीजल के प्राइस पेट्रोल प्राइस से अलग क्यों हैं?
कई देशों की तरह भारत में भी डीजल का बेस प्राइस पेट्रोल के मुकाबले कहीं ज्यादा महंगा है। केंद्र और राज्यों के बीच डिफरेंशियल टैक्सेशन स्ट्रक्चर के कारण भारत में हमेशा डीजल की कीमतें पेट्रोल प्राइसेज के मुकाबले कम रही हैं। डीजल का इस्तेमाल किसानों के अलावा ट्रक और बस फ्लीट में किया जाता है, इस वजह से यह पेट्रोल के मुकाबले सस्ता रहा है। किसानों और ट्रांसपोर्ट फ्लीट ऑपरेटर्स का बोझ कम करने के लिए भारत में डीजल के प्राइसेज को पेट्रोल से कम रखा जाता है।