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बदनीयत की विरासत को क्यों कायम रखें
जब अपने भंडार में कम पड़ जाए गेहूं
रिकॉर्डतोड़ बढ़ती कीमतों के मायने
उन्हें मुसीबत में फिर जिन्ना याद आए
निवेशकों की भीड़ में न मचे भगदड़
राजद्रोह शब्द सुनते ही कुपित क्यों हो जाते हैं
शासन की आलोचना का स्वागत करना चाहिए
पुलिस में अपनी मंजिल से दूर महिलाएं
श्रीलंका में आम लोगों के साथ खड़ा भारत
देशद्रोह को फिर समझने की कवायद
दिल्ली की गद्दी पर दक्षिण के दावे
यह जमाना सांप्रदायिक अभ्युदय का नहीं है
दूसरे देशों-विचारों की अंधी नकल प्रगति नहीं
यूरोपीय मुल्कों से हमारी ताजा नजदीकी
पटरी पर आती अर्थव्यवस्था का सच
भारत की सर्वप्रिय भाषा बने हिंदी
पुलिस का दुरुपयोग दोधारी तलवार
कोयले के इंतजाम में रह गई कसर
हमारे बाजार की सबसे सशक्त भाषा है हिंदी
हिंदी को कभी भी राष्ट्रीय भाषा नहीं बनाया गया
विकास की राह में रोड़ा न बनें नियम
समान नागरिक संहिता की असमान राह
टि्वटर पर बदलाव की चहचहाहट
दक्षिणी प्रवेश द्वार पर फिर हिंदुत्व
नौजवान कंधों पर कितनी सियासत
अपनी अखंड परंपरा से हम अलग न हों
झगड़े का मुंह हमेशा के लिए काला ही रहे
पृथ्वी पर हमारी बेटिकट मुसाफिरी
बेहिसाब शोर से मिलती बीमारियां