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आओ राजनीति करें: बिना डरें चौबीसों घंटे बाहर निकल सकें महिलाएं

मिलेनियम सिटी पहचान महिलाओं की सुरक्षा के लिए हो। स्कूली छात्राओं से लेकर गृहणियां और नौकरीपेशा महिलाएं बिना डरे घर से बाहर निकलें, उन्हें घड़ी देकर न निकलना पड़े। मतदाता जागरूकता को समर्पित...

आओ राजनीति करें: बिना डरें चौबीसों घंटे बाहर निकल सकें महिलाएं
हिन्दुस्तान टीम ,गुरुग्रामTue, 02 Apr 2019 09:24 PM
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मिलेनियम सिटी पहचान महिलाओं की सुरक्षा के लिए हो। स्कूली छात्राओं से लेकर गृहणियां और नौकरीपेशा महिलाएं बिना डरे घर से बाहर निकलें, उन्हें घड़ी देकर न निकलना पड़े। मतदाता जागरूकता को समर्पित 'हिन्दुस्तान' के लोकप्रिय अभियान 'आओ राजनीति करें' के तहत मंगलवार को गुरुग्राम कार्यालय हुए संवाद में महिलाओं ने सामूहिक तौर पर ये बातें रखी। महिलाओं ने कहा कि यह नामुमकिन नहीं, सांसद इसमें अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। 

हेल्थ और वेलनेस कोच डॉ. शुभ्रा अरोड़ा ने संवाद में अपने अनुवभ साझा करते हुए कहा कि गुरुग्राम जिस मिजाज का शहर है। उस तरह सिस्टम नहीं है। महिलाओं को पुलिस-प्रशासन से मदद नहीं मिलती है। महिलाओं की सुरक्षा का सीधा संबंध पुलिस से है। अगर पुलिस मदद नहीं करेगी। तो महिलाएं बाहर निकलने से डरती है। गुरुग्राम जैसे शहर के जरूरी है कि पुलिस संवेदनशील हो। इसमें भी ट्रैफिक पुलिस भूमिका ज्यादा महत्वपूर्ण है। दूसरी दिक्कत सार्वजनिक परिवहन की है, अगर सार्वजनिक परिवहन के नेटवर्क हो तो फिर बाहर निकलना आसान होगा। इसके साथ ही पैदल यात्रियों की सुरक्षा के उपाय नहीं है। इस ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। करीब सात साल पहले गुरुग्राम आई कंचन कपूर ने कहा कि सांसद जो भी बने, वह एप्रोचएबल होना चाहिए, ताकि लोग अपनी दिक्कतें आसानी से उस तक पहुंचा सकें। कपूर ने कहा कि अभी के हालात काफी निराशाजनक हैं, नागरिकों की सुनने वाला कोई नहीं है। जनप्रतिनिधि को जनता से संवाद होना चाहिए। वह महिलाओं से भी संवाद रखे और आधी आबादी को साथ लेकर आगे बढ़े। 

सीसीटीवी कैमरे लगें: 
एमजी रोड की एक सोसाइटी में रहने वाली मोना जैन ने महिला सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बताया, उन्होंने कहा कि एमजी रोड पर रात में परिवार के साथ घूम या टहल नहीं सकते हैं, उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में शराब के ठेके हैं। सड़क पर अंधेरा रहता है। पर्याप्त संख्या में स्ट्रीट लाइटें नहीं है। इतना ही नहीं फुटपाथ की स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने कहा जो सांसद निर्वाचित हो वह महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीर रुख रखे। उन्होंने कहा कि आखिर अच्छा फुटपाथ और स्ट्रीट मुद्दा क्यों है? ये चीजें तो वैसे भी मिलनी चाहिए। जैन ने कहा हमें अपने बच्चों को कहना पड़ता है कि अब बाहर नहीं जाएं, आखिर ये नौबत क्यों है? उन्होंने बड़ी संख्या ठेके तो खोले गए हैं लेकिन दुष्प्रभावों पर बात नहीं हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि एमजी रोड पर को बड़े मेकओवर की जरूर है। फुटपाथ की मरम्मत के साथ पर्याप्त संख्या में स्ट्रीट लाइटें और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए, ताकि लोग डरें नहीं और वे बेफ्रिक होकर बाहर निकलें। 

जवाबदेही तय हो: 
असंल यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ लॉ में प्रोफेसर और एसोसिएट डीन डॉ. कनुप्रिया ने कहा कि तकनीकी की मदद से सरकारी महकमों में पारदर्शिता लाई जाए। लड़कियों को आत्म रक्षा का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाए। विदेशों की तर्ज पर लड़कों को बचपन से घरेलू कार्यों को करना सिखाया जाए। साउथ सिटी-2 में रहने वाली पेशे से डेंटिस्ट डॉ. विनीता मलिक ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा के साथ जरूरी है कि उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि सांसद कोई भी बने, लेकिन शिकायतों को रिड्रेसल का एक पारदर्शी सिस्टम बने। उन्होंने कहा आवासीय क्षेत्रों और स्कूलों के पास में शराब के ठेके और आहाते खुले हैं। ऐसा क्यों है? इसका जवाब कोई नहीं देता? उन्होंने कहा जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी है कि लोग जिसके विरोध में हों वह काम न होने दे। उन्होंने साथ ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने की वकालत की। उन्होंने कहा सरकारी स्कूलों की स्थिति काफी दयनीय है।

स्वास्थ्य पर ध्यान जरूरी: 
मैक्स अस्पताल गुरुग्राम में वरिष्ठ चिकित्सक और कैंसर विशेषज्ञ डॉ. भावना सिरोही ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान दिन की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि महिलाओं में ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर काफी आम हैं। सिरोही ने कहा कि इनकी नि:शुल्क जांच की सुविधा होनी चाहिए। उन्होंने कहा इतना ही नहीं इन दोनों का इलाज भी उपलब्ध होना चाहिए। वैक्सीन का विकल्प भी उन्होंने सुझाया। डॉ. सिरोही ने कहा कि कुछ एनजीओ इस दिशा में काम कर रहे हैं लेकिन उनकी पहुंच काफी सीमित है। सरकार को इसे अपने हाथ में लेना चाहिए और अगुवाई करनी चाहिए। उन्होंने दूसरी सबसे अहम चीज है शिक्षा। महिलाएं शिक्षित हों इसके पर्याप्त इंतजाम जरूरी हैं। संवाद में गुरुग्राम नगर निगम (एमसीजी) की सीनियर डिप्टी मेयर प्रमिला गजे सिंह कबलाना ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि कोई पीछे खींचेगा इसका परवाह किए बगैर महिलाओं को खुद भी आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। जनप्रतिनिधियों पर काम का दबाव होता है लेकिन अफसरों पर नहीं होता है। बतौर जनप्रतिनिधि मैं पूरी कोशिश करती हूं कि समस्याएं दूर हों। महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है इस पर और अधिक गंभीर संवेदनशील रुख अपनाने की जरूरत है। नई पीढ़ी हमसे अच्छा सोचती है, हमें उन्हें अच्छा माहौल देना होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ बेटियों ही नहीं बल्कि बेटों की भी सही परवरिश पर फोकस होना चाहिए। उन्होंने कहा इससे महिला सुरक्षा का विषय भी एड्रेस होगा। कबलाना ने कहा कि महिलाओं को शिक्षा और स्वास्थ्य के बेहतर मौके मिलने चाहिए। 

इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी: 

अंसल यूनवर्सिटी के स्कूल ऑफ लॉ में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. कोमल आहूजा ने कहा कि महिला सुरक्षा के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। सड़कों पर अंधेरा रहता है, परिवहन के पुख्ता इंतजाम नहीं है, जबतक इन पर ध्यान नहीं दिया जाएगा तब शहर कैसे सुरक्षित बनेगा। आहूजा ने कहा कि महिलाओं में जागरूकता की कमी है। लीगल एड क्लीनिक जैसी चीजें भी मुहैया कराई जानी चाहिए। पिछले दो दशक से ब्यूटी बिजनेस में सक्रिय सेक्टर-4 निवासी स्नेहलता नायक ने कहा कि पुलिस-प्रशासन का रवैया तो अच्छा होना ही चाहिए। साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य की आम लोगों की पहुंच में होना चाहिए। उन्होंने कि ये दोनों बहुत मंहगे हैं।

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