फोटो गैलरी

Hindi News आओ राजनीति करेंहिन्दुस्तान संवाद: महिलाओं के लिए योजना बनाने में मिले महिलाओं को भागीदारी

हिन्दुस्तान संवाद: महिलाओं के लिए योजना बनाने में मिले महिलाओं को भागीदारी

'हिन्दुस्तान' के लोकप्रिय मतदाता जागरूकता अभियान 'आओ राजनीति करें' की थीम 'अब नारी की बारी' के तहत रविवार को घरेलू महिलाओं के मुद्दे पर संवाद का आयोजन हुआ। हिन्दुस्तान...

हिन्दुस्तान संवाद: महिलाओं के लिए योजना बनाने में मिले महिलाओं को भागीदारी
गुरुग्राम। वरिष्ठ संवाददाताSun, 14 Apr 2019 04:08 PM
ऐप पर पढ़ें

'हिन्दुस्तान' के लोकप्रिय मतदाता जागरूकता अभियान 'आओ राजनीति करें' की थीम 'अब नारी की बारी' के तहत रविवार को घरेलू महिलाओं के मुद्दे पर संवाद का आयोजन हुआ। हिन्दुस्तान कार्यालय में आयोजित इस संवाद में महिलाओं ने खुल कर अपनी बात रखी और व्यवस्था पर सवाल खड़े किए। कहा कि महिलाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा में आने के लिए खुद अपने हितों को समझना और अपने अधिकार हासिल करने के लिए आगे बढ़ना होगा। कहा कि जबतक महिलाओं के लिए बनने वाली योजना में महिलाओं की भागीदारी नहीं होगी, योजना सफल नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि नीचे से लेकर ऊपर तक संख्या के हिसाब से भागीदारी मिलनी चाहिए। ताकि वह लोकतंत्र में सिर्फ वोट देने की भूमिका तक सीमित न रहे, बल्कि फैसलों में भी उनकी सहभागिता हो।

संवाद की शुरुआत करते हुए एस्सेल टॉवर में रहने वाली डॉ. नेहा मित्तल ने कहा कि राजनीति में महिलाओं का होना जरूरी है। लेकिन जब तक परिवार का समर्थन नहीं होगा, महिलाएं राजनीति में नहीं आ पाएंगी। इसके अलावा उनकी वित्तीय आत्म निर्भरता भी बहुत जरूरी है। उन्होंने खुद अपना उदाहरण देते हुए बताया कि गृहस्थी की शुरुआत में उन्होंने तमाम झंझावात झेले हैं, लेकिन इसलिए हर मोर्चे पर सफलता की वजह उनकी वित्तीय आत्मनिर्भरता और आत्मबल रहा। उन्होंने कहा कि यदि महिला चाहे तो घर, परिवार और समाज ही नहीं, पूरे देश का बैलेंस ठीक कर सकती है। लेकिन इसके लिए उसे आत्मनिर्भर होना जरूरी है। वहीं पूर्व में मिस हरियाणा रही रितु कटारिया ने कहा कि कोई भी लड़की शादी कर दूसरे घर में जाती है तो उसके पास खूब सपने होते हैं। लेकिन यदि उसका ससुराल समझदार नहीं हैं तो सारे सपने टूट जाते हैं। लेकिन घर की बड़ी महिलाएं यदि यह एहसास कर लें कि वह भी कभी बहु थी, तो शायद यह दिक्कत नहीं आएगी। रितु कटारिया ने कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा पर सरकार से सीधा सवाल किया। कहा कि कानून में महिलाओं की सुरक्षा के लिए इतनी व्यवस्था है, लेकिन ठीक से अमल नहीं होने की वजह से इसका लाभ नहीं मिलता। उन्होंने अरब देशों के कानून का हवाला देते हुए कहा कि अपराधी को त्वरित दंड मिलना चाहिए। 

महिलाओं के मुद्दे को समझने वाला हो सांसद

हमारा सांसद कैसा हो, इस मुद्दे पर सवांद में शामिल सभी महिलाएं एक राय थी। महिलाओं ने कहा कि सांसद ऐसा व्यक्ति चुना जाना चाहिए जो महिलाओं के मुद्दे को समझ रहा हो और संसद में महिलाओं के लिए प्रभावी कानून बनवाने का माद्दा रखता हो। यह सबको पता है कि महिलाओं को हर महीने पीरियड के दौर से गुजरना होता है। शहरों में तो ठीक है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को हाइजनिक सुविधा नहीं मिल पाती। जबकि इससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। यदि हमारे जनप्रतिनिधि इस तरह की छोटी छोटी चीजों पर विचार करें और उनका समाधान कराएं तो बड़ा परिवर्तन आ सकता है। यह परिवर्तन देश और समाज की दशा और दिशा बदल सकता है।

स्त्री और पुरुष के बीच भेदभाव मिटाना होगा

करिश्मा सिंघानिया ने कहा कि आज के दौर में भी स्त्री पुरुष का भेदभाव खूब है। पुरुष सरेआम शराब पी रहे हों तो कोई उन्हें बोलने वाला नहीं है, लेकिन कोई महिला गलती से भी ऐसा कर ले तो कानाफूसी शुरू हो जाती है। चाहे खाना पान हो या पहनावा, यहां तक कि शिक्षा में भी भेदभाव है। देश और समाज को आगे बढ़ाने के लिए यह भेदभाव खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि संविधान में समानता का प्रावधान तो है, लेकिन यह व्यवहार में लागू नहीं है।

कार्यस्थल पर मिले सुरक्षा की गारंटी

डॉ. निधि  और सीमा सांगवान ने महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाया। कहा कि राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भागीदारी जरूरी है। लेकिन इसके कार्यस्थल पर उनकी सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए। ऐसा होगा तो महिलाएं बाहर निकलने में नहीं डरेंगी। उन्होंने कहा कि वह अपने अनुभव से कहती हैं कि उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं और आपेक्षित सहयोग नहीं मिलता है। वहीं ईशा शर्मा ने घरेलू महिलाओं के स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए कहा कि देश में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि हर महिला टायलेट में सेनेट्री पैड उपलब्ध हो। यदि ऐसा संभव नहीं है तो इसकी कीमत इतनी कम होनी चाहिए कि हरेक महिला आसानी से खरीद सके। यदि महिला स्वास्थ रहेगी तो परिवार स्वास्थ रहेगा। फिर परिवार से समाज और समाज से देश स्वस्थ रहेगा। 

नौकरी में मिले प्राथमिकता

डॉ. चंद्रप्रभा ने कहा कि आमतौर पर लड़कियों की छोटी उम्र में शादी हो जाती है और वह शुरुआती जिम्मेदारियों से घिर जाती है। ऐसे में उन्हें कैरियर बनाने का मौका नहीं मिल पाता। आम तौर पर ऐसी महिलाएं 30 या 35 साल की उम्र में घर से बाहर निकलने की स्थिति बना पाती है। लेकिन इतने समय में नौकरी के लिए निर्धारित उम्र बीत चुकी होती है। ऐसे में सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि महिलाओं को नौकरी के मामले में उम्र में छूट मिले। जिससे वह बाद में भी अपने कैरियर बनाने की दिशा में सोच सके। इसी प्रकार कविता ने घर परिवार में महिलाओं को निर्णय लेने में छूट की वकालत की। 

यह उठे मुद्दे

महिला सुरक्षा की गारंटी मिले

महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरुक किया जाए

राजनीति में महिलाओं की संख्या बढे

महिलाएं आत्मनिर्भर बने और उनकी ब्रांडिंग हो

पुरुष ईगो सबसे बड़ी बाधा

शिक्षा स्किल बेस्ड हो

महिलाओं के स्वास्थ्य की बात हो

प्रतिक्रिया

महिलाओं के स्वास्थ्य का मामला सरकार के प्राथमिकता में होना चाहिए। हरेक टायलेट में खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेट्री पैड उपलब्ध होना चाहिए। सांसद की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह समाज में सुरक्षा का माहौल बनाए। -ईशा शर्मा

महिलाओं को उनके अधिकार और दायित्व की बात स्कूली शिक्षा के सिलेबस में होना चाहिए। साथ ही लड़कों की शिक्षा भी इस प्रकार होनी चाहिए कि वह बचपन से ही भेदभाव के बजाय महिलाओं का सम्मान करना सीख सकें।  -डा. निधि

आमतौर पर छोटी उम्र में लड़कियों की शादी होती है। ऐसे में वह कैरियर के बारे में ज्यादा नहीं सोच पाती और जब तक वह शुरुआती जिम्मेदारियों से मुक्त होती है, कैरियर की उम्र निकल जाती है। ऐसे में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि उन्हें सरकारी और प्राइवेट नौकरी में उम्र बाधा ना बने।-चंद्र प्रभा

जिस प्रकार सीएसआर योजना में सरकार ने स्कूल और पर्यावरण को शामिल किया है, उसी प्रकार महिलाओं से संबंधित मामलों को शामिल करना चाहिए। इस दिशा में जितना बेहतर कारपोरेट क्षेत्र कर सकता है, सरकारी संस्थाएं नहीं कर सकती।-डॉ. नेहा मित्तल

महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए बातें बहुत हो गई, अब जरूरत ज्यादा बात करने की नहीं, बल्कि काम करने की है। हमारे प्रतिनिधि और सरकार को राष्ट्रहित में अब बेहतर काम करके दिखाना होगा। कानून में जो प्रावधान हैं, उन्हें बिना भेदभाव के कड़ाई से लागू करने होंगे। -करिश्मा सिंघानिया

महिलाओं को अपनी अभिव्यक्ति प्रकट करने की छूट मिलनी चाहिए। उन्हें व्यवस्था में भागीदार बनाकर ही श्रेष्ठ समाज का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए भेदभाव छोड़ कर चाहे शिक्षा हो रोजगार, समान अवसर देने होंगे। अपने हक प्राप्ति के लिए खुद महिलाओं को भी आगे आना होगा। -रितु कटारिया

लड़कियों को स्कूली शिक्षा ही नहीं, व्यवसायिक शिक्षा भी देनी चाहिए। शिक्षित महिला ही चीजों को बेहतर समझ सकती है और उचित अवसर पर बेहतर निर्णय ले सकती है। बच्चियों की सुरक्षा के लिए कानून कड़े होने चाहिए और प्रभावी होने चाहिए।-कविता

कानून में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि अपराधी को कठोर से कठोर दंड मिले। खासतौर पर महिला अपराध के मामले में अपराधी नाबालिग भी हो तो उसके लिए कठोर दंड की व्यवस्था होनी चाहिए। स्कूल में पिता का नाम अनिवार्य होने के बजाय मां के नाम की अनिवार्यता होनी चाहिए। -सीमा सांगवान

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें