जीएसटी से सरकार की विकास योजनाओं का एस्टीमेट गड़बड़ाया
जीएसटी की वजह से राज्य की सभी विकास परियोजनाओं के एस्टीमेट गड़बड़ा गए हैं। टैक्स की दर और व्यवस्था बदलने से विभागों को नए सिरे से एस्टीमेट तैयार करने पड़ रहे हैं। इससे अधिकांश योजनाओं के निर्माण में...
जीएसटी की वजह से राज्य की सभी विकास परियोजनाओं के एस्टीमेट गड़बड़ा गए हैं। टैक्स की दर और व्यवस्था बदलने से विभागों को नए सिरे से एस्टीमेट तैयार करने पड़ रहे हैं। इससे अधिकांश योजनाओं के निर्माण में देरी और बजट का आकार बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
जीएसटी के तहत सभी सरकारी विभागों को भुगतान पर 18 प्रतिशत टैक्स काटना अनिवार्य कर दिया गया है। जबकि ढाई लाख से अधिक के भुगतान पर दो प्रतिशत टीडीएस भी देना है। इससे योजनाओं के निर्माण और भुगतान पर संकट खड़ा हो गया है। राज्य में इस समय निर्माणाधीन तकरीबन सभी परियोजनाओं की डीपीआर पूर्व में तैयार हुई है। जिन्हें 6 प्रतिशत टैक्स के हिसाब से तैयार किया गया है। अब एक जुलाई से जीएसटी लागू हो गया है। इस तिथि के बाद होने वाले किसी भी भुगतान पर जीएसटी के नियम लागू होंगे। इससे टैक्स की दर बढ़ जाएगी।
एस्टीमेट रिवाइज कराएं
ऐसे में लोनिवि सहित राज्य की सभी निर्माणदायी संस्थाएं उलझ गई हैं। बुधवार को कर विभाग द्वारा बुलाई गई बैठक में अधिकारियों ने कहा कि पुरानी योजनाओं के भुगतान पर ठेकेदार नई दर से टैक्स देने को तैयार नहीं हैं। ठेकेदारों का कहना है कि यदि भुगतान पर नए नियमों से टैक्स व टीडीएस देना है तो उनके एस्टीमेट 18 प्रतिशत टैक्स के हिसाब से रिवाइज कराए जाएं। राज्य में सालों पुरानी योजनाओं पर भी इस समय काम चल रहे हैं। ऐसे में इन सभी योजनाओं को रिवाइज करना जरूरी होगा। ऐसे में योजनाओं के निर्माण में देरी और आकार बढ़ने का खतरा पैदा हो गया है।
सभी विभाग कराएंगे जीएसटी में पंजीकरण
राज्य के सभी सरकारी विभागों को जीएसटी में पंजीकरण कराना होगा। बुधवार को कर आयुक्त श्रीधर बाबू अद्यांकी ने बताया कि सभी विभागों को ढाई लाख से अधिक के भुगतान पर दो प्रतिशत टीडीएस काटना होगा। कार्यशाला के दौरान सभी विभागों के विभागाध्यक्षों, वित्त नियंत्रकों और आहरण वितरण अधिकारियों को जीएसटी के नियमों के बारे में जानकारी दी गई। कर आयुक्त ने कहा कि प्रत्येक मंगलवार को वह जीएसटी से संबंधित शिकायतों को सुनेंगे।
टैक्स की दर और टीडीएस व्यवस्था बदली गई
राज्य कर आयुक्त श्रीधर बाबू अद्यांकी का कहना है कि जीएसटी की वजह से टैक्स की दर और टीडीएस व्यवस्था बदल गई है। सभी विभागों को अब नए नियमों के अनुसार ही टैक्स व टीडीएस का भुगतान करना होगा। इस वजह से कई विभागों के एस्टीमेट गड़बड़ा गए हैं। इन विभागों को एस्टीमेट रिवाइज करने को कहा गया है।