खसरा-रुबेला की रोकथाम को 30 से अभियान
स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एलएम उप्रेती ने कहा कि खसरा-रुबेला की रोकथाम के लिए 30 अक्टूबर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत राज्य में दो से 15 वर्ष के करीब 35 लाख और जनपद में साढ़े पांच लाख बच्चों...
स्वास्थ्य निदेशक डॉ. एलएम उप्रेती ने कहा कि खसरा-रुबेला की रोकथाम के लिए 30 अक्टूबर से विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत राज्य में दो से 15 वर्ष के करीब 35 लाख और जनपद में साढ़े पांच लाख बच्चों को वैक्सीन के टीके लगाए जाएंगे। यह अभियान एक माइक्रोप्लान के तहत एएनएम सेंटर, सरकार स्कूल, अस्पतालों में वैक्सीनेशन बूथ में चलाया जाएगा। स्वास्थ्य निदेशक ने बताया कि खसरा एक बेहद संक्रामक रोग है, जो प्रभावित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है। इससे प्रभावित व्यक्ति के चेहरे और शरीर पर गुलाबी लाल दाने या चकत्ते, अत्यधिक बुखार, खांसी आदि की समस्याएं होती है। खसरे का कोई निश्चित इलाज नहीं है, लेकिन टीकाकरण से इसका बचाव किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रुबेला बच्चों से ज्यादा गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता है। शुरूआत में रुबेला वायरस से संक्रमित हो गई स्त्री में जन्मजात रुबेला सिंड्रोम विकसित हो सकता है। इसका असर उसके गर्भ में पलने वाले भ्रूण और नवजात शिशु के लिए बेहद गंभीर हो सकता है। इससे बच्चे विकलांग हो जाते हैं। इसके लिए भी टीकाकरण जरूरी है। इससे पूर्व उन्होंने इस डब्ल्यूएचओ की टीम और अन्य डॉक्टरों के साथ अभियान को लेकर चर्चा भी की। यहां डब्ल्यूएचओ के डॉ. सुमन बोरा, डॉ. सुधीर जोशी, डॉ. इरशाद, डॉ. जिला शिक्षा अधिकार(बेसिक)अशोक गुंसाई, एसीएमओ डॉ. अविनाश खन्ना, डॉ. मनीष अग्रवाल आदि रहे।