पिथौरागढ़ जनपद में प्रशासन के आदेश दरकिनार, नदियों में हो रहा है अवैध खनन
सीमांत जनपद में वर्षाकाल में सभी नदियों में खनन के लिए डीएम ने रोक लगाई है। इसके बावजूद अवैध खनन बेखौफ किया जा रहा है।मुनस्यारी क्षेत्र में गोरी नदी में 6 से अधिक स्थानों में प्रशासन की आंख में धूल...
सीमांत जनपद में वर्षाकाल में सभी नदियों में खनन के लिए डीएम ने रोक लगाई है। इसके बावजूद अवैध खनन बेखौफ किया जा रहा है।मुनस्यारी क्षेत्र में गोरी नदी में 6 से अधिक स्थानों में प्रशासन की आंख में धूल झौंककर रात भर नदी में खनन हो रहा है। झूलाघाट में भी काली नदी में अवैध खनन किया जा रहा है।मुनस्यारी में गोरी नदी में छिजा, बसंतकोट, भदेली, शेराघाट, बंगापानी में पूरी रात अवैध खनन किया जा रहा है। जिससे नदी किनारे के गांवों में रह रहे लोगों में आक्रोश है।झूलाघाट में भारत-नेपाल सीमा के बीच बह रही महाकाली नदी में खनन माफिया धड़ल्ले से अवैध खनन कर रहे हैं। जिससे सीमांत क्षेत्र में भू कटाव का खतरा बढ़ गया है। साथ ही नदी किनारे बसी पांच हजार से अधिक की आबादी पर मानसूनकाल में आपदा का खतरा मंडरा रहा है। झूलाघाट में अवैध खनन से नदी में मोड़ा रुख झूलाघाट। काली नदी में लगातार हो रहे अवैध खनन के बाद नदी ने कई जगह अपना प्राकृतिक प्रवाह मार्ग बदल दिया है। जिससे वर्षाकाल में नदी का प्रचंड प्रवाह मुसीबत बन सकता है।जनपद में नदियों में खनन पर लगाई गई रोक यहां बेअसर साबित हो रही है। सीमांत क्षेत्र झूलाघाट के कानड़ी, झूलाघाट, गेठीगड़ा और सीमू क्षेत्र में लगातार अवैध खनन किया जा रहा है। जिससे इन क्षेत्रों में काली नदी ने अपना रुख भारत की ओर मोड़ दिया है। अवैध खनन के बाद इस क्षेत्र में भारतीय भूमि करीब 50 से 200 मीटर तक कई जगह खिसककर नेपाल की ओर चली गई है। नदी के रुख बदलने से वर्षा काल में नदी किनारे बसे भारतीय क्षेत्र के गांवों में आपदा का खतरा है। 10 से 12 हजार में बेची जा रही है रेत झूलाघाट। काली नदी से प्रतिबंधित समय में रेत निकालकर खनन माफिया उसे टिप्पर व पिकअप के माध्यम से जिला मुख्यालय तक पहुंचा रहे हैं। जहां एक टिप्पर रेत 10 से 12 हजार में तक बेचा जा रहा है। अवैध खनन से सरकार को राजस्व का भी चूना लग रहा है।