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तीन तलाक: सायरा बानो बोलीं-मैंने कुरीतियों के खिलाफ जंग लड़ी, अब मैं आजाद हूं

मैं (सायरा बानो) आज बहुत खुश हूं। तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। आज न सिर्फ मेरे लिए बल्कि सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए खुशी का दिन है। अशिक्षा के कारण महिलाएं कई बार खुद के लिए...

तीन तलाक: सायरा बानो बोलीं-मैंने कुरीतियों के खिलाफ जंग लड़ी, अब मैं आजाद हूं
रुद्रपुर, लाइव हिन्दुस्तान टीमTue, 22 Aug 2017 07:37 PM
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मैं (सायरा बानो) आज बहुत खुश हूं। तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया है। आज न सिर्फ मेरे लिए बल्कि सभी मुस्लिम महिलाओं के लिए खुशी का दिन है। अशिक्षा के कारण महिलाएं कई बार खुद के लिए न्याय की लड़ाई नहीं लड़ पाती हैं, लेकिन जो लड़तीं हैं उसके लिए जीत तय है। महिलाओं को अत्याचार का डटकर विरोध करना ही होगा। मैंने भी वहीं किया। 
 
मैं उत्तराखंड के काशीपुर के हेमपुर डिपो की रहने वाली हूं। मेरा निकाह इलाहाबाद निवासी रिजवान अहमद से 11 अप्रैल 2002 में हुआ था। लेकिन 10 अक्तूबर 2015 को मेरे पति ने मुझे टेलीग्राम भेजकर तलाक दे दिया। उस वक्त मुझ पर दुखों का पहाड़ टूट गया था, लेकिन मैंने हार नहीं मानी। मैंने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला किया। मुझ पर केस वापस लेने के लिए दबाव डाला गया।

कुछ ने समझाया, कोर्ट जाने से कोई फायदा नहीं होगा। मैंने भी साफ कर दिया, मुझे फायदा हो या न हो, लेकिन मेरे कदम से अगली पीढ़ी को जरूर फायदा होगा। मैंने तीन तलाक के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की। मेरी इस लड़ाई में मेरे परिवार के साथ सुप्रीम कोर्ट के कई वकीलों ने पूरा साथ दिया। आज तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ गया। ये फैसला सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। इस फैसले से मेरी जैसे सैकड़ों महिलाओं को ताकत मिलेगी।

हलाला के खिलाफ भी लड़ूंगी
यह लड़ाई जितनी मेरे लिए थी उससे कई गुना ज्यादा आने वाली पीढ़ियों के लिए। मेरा यह सफर अभी यहीं नहीं थमेगा। मैं हलाला और बहुविवाह के खिलाफ भी कानूनी लड़ाई लड़ूंगी। 

बच्चों का केस जीत चुकी हूं
मैं बच्चों की कस्टडी को लेकर काशीपुर सिविल कोर्ट से केस पहले ही जीत चुकी हूं। तीन बार कोर्ट से पति रिजवान अहमद को वारंट भी जारी हो चुका है। लेकिन, वे अभी तक कोर्ट में पेश नहीं हुए। सुप्रीम कोर्ट ने भी काशीपुर सिविल कोर्ट को इस मामले को देखने के लिए कहा है।

भाई ने दिया साथ
मेरी इस कानूनी लड़ाई में मेरे भाई अरशद ने काफी साथ दिया। अरशद ही मुझे दिल्ली लेकर आए और सुप्रीम कोर्ट में वकीलों से मुलाकात कराई। 

अब मैं आजाद हूं
अब मैं आजाद हूं। अब मैं अपनी जिंदगी अपने मुताबिक जीऊंगी। मैं अपने बच्चों को अच्छी परवरिश दूंगी। ताकि वे आगे चलकर समाज की कुरीतियों को दूर करने का काम कर सकें। मैं मुरादाबाद के तीर्थंकर महादेव यूनिवर्सिटी (टीएमयू) से एमबीए भी कर रही हैं। एमबीए करने के बाद मैं जॉब करके अपना करियर भी बनाऊंगी।

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