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उत्तराखंड के प्रदीप का वर्ल्ड रिकॉर्ड, 115 दिन के सफर में चलाई 15280 KM साइकिल

उत्तराखंड के जुनूनी साइकिल सवार प्रदीप राणा (18) ने शुक्रवार को साइकिलिंग का नया गिनी

Newswrapहल्द्वानी, अंशुल डांगीSat, 16 Sep 2017 11:14 AM

जानिए इस लंबे सफर के रोमांचकारी अनुभव

जानिए इस लंबे सफर के रोमांचकारी अनुभव1 / 2

उत्तराखंड के जुनूनी साइकिल सवार प्रदीप राणा (18) ने शुक्रवार को साइकिलिंग का नया गिनीज बुक वर्ल्ड रिकॉर्ड बना लिया। हिमाचल प्रदेश के जोगेंद्र नगर पहुंचने से पहले ही प्रदीप ने 15223 किलोमीटर चलकर 15222 किलोमीटर का पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया। हालांकि, प्रदीप का सफर अभी थमा नहीं है। वह 20 हजार किलोमीटर साइकिल चलाकर नया रिकॉर्ड बनाने का है। शुक्रवार शाम तक प्रदीप कुल 15280 किलोमीटर साइकिल का सफर पूरा कर चुके हैं।

ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी देहरादून में बीएससी आईटी प्रथम वर्ष के छात्र प्रदीप मूलत: बागेश्वर जिले के गरुड़ तहसील के देवनाई गांव के निवासी हैं। प्रदीप ने 2016 में दीपावली की छुट्टियों में काठमांडू से देहरादून तक 800 किलोमीटर साइकिल चलाकर पहली शुरुआत की थी। इस कामयाब सफर के बाद उन्होंने 20 हजार किलोमीटर साइकिल चलाने का रिकॉर्ड बनाने की ठानी। 23 मई 2017 को देहरादून से वाया पांवटा साहिब होते हुए रुड़की के सफर से प्रदीप ने शुरुआत की। गुरुवार रात प्रदीप कुल्लू पहुंचे थे, तब उनका सफर 15120 किलोमीटर हो गया था।

शुक्रवार को कुल्लू से 116वें दिन के सफर पर सुबह आठ बजे प्रदीप निकले। कुल्लू से जोगिंदर नगर के बीच करीब आठ घंटे में 123 किलोमीटर का सफर साइकिल पर करने के दौरान प्रदीप ने पुराना विश्व रिकॉर्ड तोड़ दिया। जोगिंदर नगर से बैजनाथ की ओर जाते वक्त प्रदीप राणा ने 'हिन्दुस्तान' को फोन पर बताया कि उनका लक्ष्य 20 हजार किलोमीटर का सफर साइकिल पर करने का है। देर शाम प्रदीप पालमपुर पहुंच गए थे। शनिवार को वह यहां से आगे निकलेंगे।
 
कुल्लू पहुंचने के दौरान टूटी साइकिल की सीट

प्रदीप ने बताया कि 14 सितंबर की शाम कुल्लू पहुंचने के दौरान उनकी साइकिल की सीट टूट गई थी। रात मंे एक स्थानीय साइकिल स्टोर में साइकिल की सीट मिलने पर उसे सही कराया। इसकी फोटो बकायदा फेसबुक पर पोस्ट भी की है।
 
हर दिन औसतन 100 से 130 किलोमीटर तक सफर 

प्रदीप ने बताया कि एक दिन में वह औसतन 110 से 130 किलोमीटर तक साइकिल चला रहे हैं। सुबह सात से नौ बजे तक साइकिल चलाते हैं और इसके बाद ब्रेकफास्ट करते हैं। इसके बाद दोपहर दो बजे तक लगातार साइकिल चलाकर लंच करते हैं। लंच के बाद शाम को अंधेरा होने से पहले वह सुरक्षित जगह पर पहुंचने की कोशिश करते हैं। 

इन राज्यों में पहुंचे 

उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, सिक्किम, पश्चिम बंगाल, ओडिसा, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, दादर नगर हवेली, गोवा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान
 
पिता ने दी हिम्मत, डेढ़ लाख हो चुके हैं खर्च 

अपने अभियान के लिए खर्च के बारे में पूछने पर प्रदीप ने बताया कि उनके पिता किशन राणा से उन्होंने इस बारे में बात की थी। पिता ने उनका हौसला बढ़ाया और सफर के लिए हिम्मत और सहयोग दे रहे हैं। बताया कि अभी तक करीब डेढ़ लाख रुपया खर्च हो चुका है। पढ़ाई के नुकसान पर प्रदीप ने बताया कि कॉलेज ने भी रिकॉर्ड बनने पर परीक्षा की व्यवस्था कराने का भरोसा दिया है।
 
पुणे के संतोष होली के नाम दर्ज था रिकॉर्ड 
एक देश के अंदर साइकिल से सबसे लंबे सफर का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड पुणे के संतोष होली के नाम है। संतोष ने 13 अक्तूबर 2015 से 31 जनवरी 2016 तक 15222 किलोमीटर का सफर साइकिल पर किया था।

आगे की स्लाइड में जानिए रास्ते के चुनौतीपूर्ण अनुभव

रुकावटों से भी न रुके प्रदीप के कदम

रुकावटों से भी न रुके प्रदीप के कदम2 / 2

एक देश में साइकिल पर सबसे अधिक सफर का विश्व रिकॉर्ड तोड़ने के दौरान प्रदीप राणा को कई बार रुकावटों का भी सामना करना पड़ा। मगर इसके बावजूद प्रदीप ने रिकॉर्ड तोड़ा और अब शनिवार से नए लक्ष्य को छूने निकलने की तैयारी में हैं। देहरादून से सफर शुरु करने के करीब एक हफ्ते बाद ही प्रदीप की तबीयत खराब हो गई थी। तेज गर्मी और गर्म हवाओं के थपेड़ों ने प्रदीप को रोकने की कोशिश की। इस दौरान प्रदेश को डिहाइड्रेशन की भी शिकायत हुई, लेकिन उन्होंने सफर रोका नहीं। वहीं पूर्वी राज्यों में ठंड, बारिश से भी प्रदीप जूझे। 

हरियाणा से आगे बढ़ने के दौरान डेरा सच्चा सौदा मामले में हुए बवाल ने प्रदीप का रास्ता रोका। इस कारण प्रदीप को हिमाचल प्रदेश का रुख करना पड़ा। इस दौरान उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश के सफर के बाद प्रदीप दोबारा हिमाचल प्रदेश पहुंचे। बीती 14 सितंबर की शाम को कुल्लू पहुंचने के दौरान प्रदीप की साइकिल का सीट स्टैंड टूट गया। शाम होने के कारण प्रदीप को दिक्कत होने लगी थी, लेकिन आखिरकार एक दुकान पर प्रदीप को सीट स्टैंड मिल गया। जिसे सही करवाकर प्रदीप ने आगे का सफर शुरू किया और रिकॉर्ड तोड़ा। अपने सफर के दौरान प्रदीप एक ही साइकिल पर चले, लेकिन इस दौरान 5-6 टायर वह बदल चुके हैं।

गिनीज बुक की गाइडलाइन का पालन जरूरी 

प्रदीप ने बताया कि उनका कार्यक्रम 5 से 6 महीने का है। इसलिए ऑफीशियल नियुक्त नहीं होता, लेकिन गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से एक गाइडलाइन जारी होती है। इसके नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जिसके आधार पर रिकॉर्ड की जांच की जाती है। सभी दस्तावेजों, फोटो और वीडियो की जांच के बाद ही रिकॉर्ड के संबंध में प्रमाण पत्र दो महीने बाद मिल पाता है।
 
गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के मानक 

-साइकिल पर जीपीएस डिवाइस लगती है, गिनीज बुक की बताई जगह से ही यह डिवाइस ली जाती है और इसके उपयोग का तरीका भी गिनीज बुक ही बताता है
-हर दिन सफर शुरू करते ही डिवाइस ऑन करनी होती है और रुकते ही बंद, शाम को उस डाटा को सेव करने के बाद अगली सुबह पिछली शाम बंद प्वाइंट से ही सफर शुरू करना होता है
-हर दिन सफर के दौरान हर घंटे में 2 मिनट का वीडियो बनाना जरूरी है
-हर दिन सफर के दौरान रास्ते में फोटो खींचने होते हैं
-होटल या किसी जगह रुकते हैं वहां विजिटर डायरी पर पूरा ब्यौरा दर्ज करना होता है, जिसमें गिनीज बुक रिकॉर्ड के बारे में भी लिखा जाना अनिवार्य है
-हर शहर में जहां भी रहते हैं खाते हैं, वहां से रहने, खाने का बिल लेना है