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खुले में शौच मुक्त उत्तराखंड की सच्चाई, शौचालय तो बने पर पानी नहीं

स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत उत्तराखंड सरकार राज्य को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करने का दावा कर रही है। सच्चाई यह है कि प्रदेश के कई गांव ऐसे भी हैं, जहां शौचालय तो बन गए पर पानी नहीं...

खुले में शौच मुक्त उत्तराखंड की सच्चाई, शौचालय तो बने पर पानी नहीं
सुरेन्द्र नौटियाल,उत्तरकाशीMon, 26 Jun 2017 11:11 AM
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स्वच्छ भारत मिशन के अन्तर्गत उत्तराखंड सरकार राज्य को खुले में शौच की प्रथा से मुक्त करने का दावा कर रही है। सच्चाई यह है कि प्रदेश के कई गांव ऐसे भी हैं, जहां शौचालय तो बन गए पर पानी नहीं है। 

उत्तरकाशी का सीमांत गांव में बरी के ग्रामीण आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है, जहां गांव में शौचालय तो ग्रामीणों ने बनाएं हैं लेकिन शौचलयों में पानी नहीं है। हिमाचल सीमा से सटे विकासखंड मोरी के बरी गांव में डेढ़ सौ परिवार निवास करते हैं। इसमें 65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के परिवार शामिल है। 

शौचालय तो बन गए पर नहीं हो रहा इस्तेमाल 

गांव में ग्रामीणों ने अपनी सुविधा के लिए शौचालय तो बनाए हैं। लेकिन जल संस्थान और जल निगम की लापरवाही के कारण वह उसका प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं। गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए जल संस्थान ने एक सार्वजनिक संयोजन की व्यवस्था की गई है। लेकिन उस पर भी नियमित पानी की आपूर्ति न होने तथा लाइन का विस्तारीकरण न होने कारण  ग्रामीणो को खुले में ही शौच के लिए जाना पड़ रहा है।  

पंचायत ने प्रस्ताव भेजा, विभाग के पास बजट नहीं 

ग्राम प्रधान बरी सुभाष सिंह रावत ने बताया कि गांव में पेयजल आपूर्ति के विस्तारीकरण के लिए कई बार जल संस्थान और जल निगम को प्रस्ताव दिए गए, लेकिन विभाग स्तर से अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जल संस्थान पुरोला के एसएस रावत ने बताया कि बरी गांव में पेयजल लाइन विस्तारीकरण के लिए विभाग को बजट अवमुक्त नहीं हो पा रहा है। इस कारण गांव में लाइन नहीं बिछाई जा सकती है।

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