नेपाली प्रतिनिधिमंडल ने प्रद्युम्न शाह की समाधि पर चढ़ाए फूल
नेपाल के रंगकर्मी, साहित्यकार, इतिहासकारों के तीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दर्शनी गेट स्थित शहीद प्रद्युम्न शाह की समाधि में जाकर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। खास बात ये है कि 1804 मे गोरखों के...
नेपाल के रंगकर्मी, साहित्यकार, इतिहासकारों के तीस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने दर्शनी गेट स्थित शहीद प्रद्युम्न शाह की समाधि में जाकर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया। खास बात ये है कि 1804 मे गोरखों के आक्रमण से प्रद्युम्न शाह शहीद हो गए थे। उन्हें नेपाल के विद्वान लोग याद कर रहे हैं।
मौके पर समाधि स्थल में हुए एक विचार गोष्ठी भी इस बात पर जोर दिया कि, पड़ोसी देश से अच्छे संबंद्ध बनाने के लिए, समय-समय पर हिमाचल, उत्तराखंड और नेपाल के बीच सांस्कृतिक गतिविधियां होनी चाहिए। प्रद्युम्न शाह स्मारक समिति के अध्यक्ष शीशपाल गुसाईं ने नेपाल के प्रतिनिधिमंडल को प्रद्युम्न शाह से सम्बंधित साहित्य भेंट किया और बताया कि समस्त उत्तराखंड मे प्रद्युम्न शाह के कार्यक्रम किए जाएंगे। क्योंकि वे गढ़वाल और कुमांऊ के राजा थे। उन्होंने अपनी माटी के लिए युद्ध लड़ा। वक्ताओं ने भी प्रद्युम्न शाह को याद करने की आवश्यकता बताई। नेपाल का प्रतिनिधिमंडल खुड़बुड़ा को देखकर हैरान था कि 213 साल पहले यहां युद्ध भी हुआ था। इस मौके पर शीशपाल गुसाईं, सुरेंद्र सिंह सजवाण, राजेन्द्र काला, डा. यशवंत सिंह कटोच, भवानी प्रताप सिंह पंवार, नितेंद्र सिंह बोहरा, धीरज गुरुंग, रंजन नायक, विवेक गायक, अमर हिमरे, माया गुरुंग, आकांक्षा बसियाल, सुदीप गायक, सोनू दुरा, अनुराधा शर्मा, आशीष रतूड़ी शामिल थे।