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राज्य कर्मचारियों ने किया सचिवालय कूच, सड़क पर दिया धरना

वेतन और एसीपी की विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर हजारों राज्य कर्मचारियों ने शुक्रवार को सचिवालय कूच किया। सड़क पर करीब एक घंटे तक धरना देकर कर्मचारी सरकार के खिलाफ जमकर गरजे। सरकार ने छह...

राज्य कर्मचारियों ने किया सचिवालय कूच, सड़क पर दिया धरना
हिन्दुस्तान टीम,देहरादूनSat, 28 Oct 2017 01:21 PM
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वेतन और एसीपी की विसंगति दूर करने सहित अन्य मांगों को लेकर हजारों राज्य कर्मचारियों ने शुक्रवार को सचिवालय कूच किया। सड़क पर करीब एक घंटे तक धरना देकर कर्मचारी सरकार के खिलाफ जमकर गरजे। सरकार ने छह नवंबर को कर्मचारियों को मुख्य सचिव से वार्ता का निमंत्रण दिया। जिसके बाद कर्मचारियों ने आंदोलन स्थगित कर दिया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेतृत्व में राज्य भर से आए विभिन्न विभागों के कर्मचारी शुक्रवार दोपहर परेड ग्राउंड में एकत्र हुए। वहां से अपने अपने विभागों के बैनर तक गर्जना रैली के रूप में हजारों कर्मचारी सचिवालय की ओर निकले। सरकार के खिलाफ और अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी करते हुए कर्मचारी जब सचिवालय से कुछ पहले इनकम टैक्स तिराहे पर पहुंचे तो पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें वहीं रोक दिया। इसके बाद परिषद के अध्यक्ष ठाकुर प्रह्लाद सिंह के नेतृत्व में आठ सदस्यीय प्रतिनिधमंडल को प्रमुख सचिव वित्त राधा रतूड़ी से वार्ता के लिए भेजा गया।

इस दौरान रैली में शामिल कर्मचारी सड़क पर ही धरने में बैठकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। करीब एक घंटे तक प्रमुख सचिव वित्त से वार्ता में कर्मचारियों की वित्त संबंधी मांगों पर चर्चा हुई। परिषद के प्रदेश प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि उन्हें इस वार्ता दौरान आश्वासन मिला कि बाकी समस्याओं को लेकर छह नवंबर को सुबह मुख्य सचिव उत्पल कुमार से वार्ता कराई जाएगी। जिसमें उनकी मांगों पर गंभीरता से चर्चा होगी। इस निमंत्रण के बाद कर्मचारियों ने छह नवंबर तक के लिए आंदोलन स्थगित कर दिया। प्रतिनिधिमण्डल में प्रदीप कोहली, अरूण पाण्डे, नन्दकिशोर त्रिपाठी, दिनेश जोशी, शक्ति प्रसाद भट्ट, अंजू बडोला और वीरेन्द्र सजवाण भी थे।

रैली में मुख्य रूप से ये रहे मौजूद

गर्जना रैली में पीके शर्मा, रामचन्द्र रतूडी, आरएस बिष्ट, ओमवीर सिंह, दिनेश जोशी, डीएस असवाल, वीके धस्माना, गुड्डी मटुडा, एसके नैयर, प्रमोद सिंह, सुरेन्द्र सिंह चौहान, अजय डबराल, सुनील डोबरियाल, सीपी सुयाल, पीएस चौहान, डीपी चमोली, गिरीजा शंकर, राजेश श्रीवास्तव, सुधा त्रिपाठी, डीएस रावत, श्रीमती रेणु लाम्बा, कमल जोशी, दीपक पुरोहित, भोपाल सिंह चौहान, एमपी शाही, किशन सिंह चौहान, ललिता नेगी, पानसिंह राणा, धर्मपाल सिंह रावत, इन्द्रमोहन कोठारी, आरआर पैन्यूली, डीडी कुकरेती, बबीता बिष्ट, हेमन्त शर्मा आदि कर्मचारी नेता मौजूद रहे।

इन विभागों की रही अहम भूमिका

रैली में ग्राम विकास अधिकारी एसोसिएशन, ग्राम पंचायत अधिकारी संघ, तकनीकी कर्मचारी संघ, उद्यान, अधीनस्थ कृषि सेवा संघ, आबकारी हैड कान्सटेबल- कान्सटेबल एसोसिऐशन, डीआरडीए ऐशोसिएशन, गन्ना कर्मचारी संघ,वन विभाग और सिंचाई संघ आदि शामिल रहे।

ये हैं प्रमुख मांगें

कर्मचारी वेतन समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने,कर्मचारी संघों को दोबारा अपना पक्ष रखने की मौका देने,एसीपी को 10, 16, 26 वर्ष के स्थान पर 10, 20,30 वर्ष किए जाने को निरस्त करने सहित कर्मचारी कल्याण निगम की स्थापना, परिवहन भत्ता, दुर्गम भत्ता, शिथिलीकरण, विभागों का एकीकरण आदि की मांग कर रहे हैं।

ऐन वक्त पर मिली रैली की मौखिक परमिशन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के चलते प्रशासन लगातार रैली की तारीख बदलने का दबाव बना रहा था। इसके चलते शुक्रवार को कर्मचारियों को सचिवालय कूच की परमिशन नहीं दी गई थी। प्रशासन और पुलिस ने उन्हें दो बजे पीएम के लौटने के बाद रैली निकालने को कहा था। सुबह 12 बजे से एक बजे तक कर्मचारियों को भारी पुलिस बल लगाकर परेड ग्राउंड में ही रोका गया था। इस दौरान सीओ सिटी चंद्रमोहन सिंह और सीओ ट्रैफिक जया बलूनी ने कर्मचारी नेताओं को काफी समझाया। लेकिन कर्मचारियों को आक्रोश देखते हुए करीब एक बजे उन्हें प्रशासन और पुलिस ने शांतिपूर्ण रैली निकालने की मौखिक परमिशन दे दी।

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