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GST पर जानिए उत्तराखंड के टैक्स एक्सपर्ट और कारोबारियों की राय, देखें वीडियो

जीएसटी को लागू हुए चार दिन हो चुके हैं। नई कर व्यवस्था के लागू होने से पहले तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। एक जुलाई को जीएसटी के साथ बाजार खुले तो भ्रम की स्थिति थी। लेकिन इन तीन दिन में ही काफी कुछ...

GST पर जानिए उत्तराखंड के टैक्स एक्सपर्ट और कारोबारियों की राय, देखें वीडियो
वरिष्ठ संवाददाता,देहरादूनTue, 04 Jul 2017 12:25 PM
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जीएसटी को लागू हुए चार दिन हो चुके हैं। नई कर व्यवस्था के लागू होने से पहले तमाम तरह के सवाल उठ रहे थे। एक जुलाई को जीएसटी के साथ बाजार खुले तो भ्रम की स्थिति थी। लेकिन इन तीन दिन में ही काफी कुछ बदला नजर आ रहा है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने दून के जीएसएम रोड स्थित कार्यालय में जीएसटी पंचायत का आयोजन किया। जीएसटी पंचायत में उद्योग, सर्राफा, कपड़ा कारोबार, टैक्स बार के प्रतिनिधियों के साथ ही टैक्स एक्सपर्ट ने अपनी राय रखी और जीएसटी को लेकर सकरात्मक रवैया दिखाया, जो आम लोगों के साथ ही सरकार, उद्योग और कारोबार के लिए अच्छा संकेत है। 

जीएसटी पंचायत में इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, इंडियन इंडस्ट्री एसोसिएशन के उत्तराखंड चैप्टर के अध्यक्ष राकेश भाटिया, टैक्स बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनूप नरुला, सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मैसोन, राज्य कर विभाग के डिप्टी कमिश्नर अजय कुमार, क्स बार एसोसिएशन के सचिव सुमित धवन, कारोबारी प्रवीन जैन, डा.देवेंद्र ढल्ला, टैक्स एक्सपर्ट अंकुश गोयल ने भी जीएसटी पर विचार रखे। 

अच्छे हैं जीएसटी के शुरुआती अनुभव 

एक जुलाई से पहले वाला चरण मुश्किल भरा था, क्योंकि तमाम तरह की भ्रांतियां थीं, लेकिन अब जीएसटी लग चुका है और इंडस्ट्री ने जीएसटी का स्वागत किया है। जीएसटी से उद्योगों को काम करने में और आसानी होगी। क्योंकि अभी तक तमाम तरह के टैक्स थे, कई अप्रत्यक्ष कर भी थे, जो सब खत्म हो गए हैं। अब हमें सिर्फ जीएसटी याद रखना है और एक मात्र जीएसटी ही देना है। शुरूआती दिनों में ही अच्छा अनुभव है, कम से कम टैक्स के जंजाल से तो बच गए और जो टैक्स लग रहा है, उसे इमानदारी से दें तो व्यापक स्तर पर इसका असर नजर आएगा। 
- पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, इंडस्ट्री एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड

टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम 

जीएसटी को लागू करने के पीछे मंशा अच्छी है। पूरा देश एक ही सिस्टम से चलेगा और अलग-अलग राज्य में अलग-अलग रेट और टैक्स जैसी समस्या पूरी तरह खत्म हो गई है। यह ऐसा बदलाव है, जो भ्रष्टाचार को रोकेगा और ईमानदार कर दाताओं को बढ़ावा देगा। जीएसटी आने से टैक्स चोरी रुकेगी और नंबर दो में काम करने वालों पर लगाम लगेगी। क्योंकि जीएसटी का ट्रैकिंग सिस्टम काफी मजबूत है। जीएसटी में जो टैक्स रेट तय किए गए हैं वह पहले से चल रहे टैक्स के काफी करीब हैं। यह आम लोगों के लिए अच्छी बात है। अच्छे नतीजों के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। 
- अनूप नरुला, अध्यक्ष, देवभूमि टैक्स बार एसोसिएशन 

जल्द रफ्तार पकड़ेंगे उद्योग 

पहले की कर व्यवस्था में कई तरह के एकाउंट रखने पड़ते थे। टैक्स को लेकर तमाम तरह की समस्याएं आती थीं। अब तो सिर्फ सीजीएसटी और एसजीएसटी की ही गणना करना है। वह भी हर वस्तु पर तय है और सीजीएसटी और एसजीएसटी भी केंद्र और राज्य के फीस आधा-आधा तय है। ऐसे में उद्योग इसके लिए पूरी तरह तैयार थे। उत्तराखंड समेत एक्साइज ड्यूटी में छूट लेने वाले राज्यों को एक्साइज रिफंड के नोटिफिकेशन का इंतजार है। जैसे ही नोटिफिककेशन जारी होगा, उद्योग भी रफ्तार पकड़ लेंगे। कर ढांचे में लाए गए बड़े बदलाव को जल्द आम आदमी भी महसूस करेगा।  
- राकेश भाटिया, अध्यक्ष, इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन 

भ्रम को दूर करने में लगेगा वक्त 

जीएसटी को लेकर व्यापारी और ग्राहक के बीच में कई तरह के भ्रम हैं। खासतौर पर कपड़ा कारोबार तो इसके लिए तैयार नहीं था और न ही कपड़ा उद्योग को विश्वास में लिया गया। अचानक तीन जून को कपड़े पर टैक्स का फैसला लिया गया। टैक्स सिस्टम में लाने के लिए 27 दिन काफी कम थे। हम आखिरी समय तक इसे जीएसटी से बाहर रखने की उम्मीद कर रहे थे। ऐसा नहीं हुआ है, अब हमें जीएसटी में शून्य से शुरूआत करनी पड़ रही है और जीएसटी को समझने की कोशिश कर रहे हैं। 
- अनिल गुप्ता, अध्यक्ष, देहरादून कपड़ा कमेटी

जीएसटी में है बेहतर भविष्य 

हमें लगता है कि ज्वेलर्स ही ऐसा व्यापारी वर्ग है, जिसने जीएसटी की पूरी तरह से पहले तैयारी कर ली थी। कम से कम देहरादून के ज्वेलर्स को कोई दिक्कत नहीं है। साफ्टवेयर अपडेट हैं और बिलिंग भी जीएसटी में होने लगी है। इसके लिए काफी पहले से तैयारी कर रहे थे। सर्राफा मंडल की ओर से लगातार सेमीनार किए गए और तकनीकी सपोर्ट तक उपलब्ध कराया गया। यह सभी को समझना होगा कि अगर हमें प्रगति करनी है तो धारा के विपरीत चलने के बजाय धारा के साथ चलना होगा और इसमें ही भलाई है और जीएसटी देश को अच्छी दिशा में ले जाएगा। 
- सुनील मैसोन, अध्यक्ष, दून सर्राफा मंडल 

बाजार को समझने में लगेगा वक्त 

व्यापारी वर्ग में भ्रम की स्थिति है। जो स्टॉक बचा हुआ है, वह पहले टैक्स के दायरे में नहीं था और अब टैक्स लग गया है। इससे स्थिति और उलझ गई है। साथ ही जीएसटी को लेकर जो दिक्कतें आ रही हैं, वह व्यापारी और ग्राहक के बीच में हैं। ग्राहक मोल-भाव कर सामान खरीदता है और जैसे ही पेमेंट की बारी आती है, वह टैक्स सुनकर बिगड़ जाता है। इस स्थिति का सामना व्यापारी करने लगे हैं। व्यापारी तो जीएसटी को लेकर सकारात्मक रवैया दिखाना चाहता है, लेकिन बाजार की स्थिति ऐसी नहीं है। इसमें अभी वक्त लगेगा।
- प्रवीन जैन, कारोबारी

ग्राहकों को करना होगा जागरूक 

जीएसटी को लेकर जो आशंकाएं रही हैं, वह व्यापारी वर्ग जल्द दूर कर लेगा, क्योंकि उसे व्यापार करना है। वह कल भी व्यापार कर रहा था और आगे भी व्यापार करेगा। शुरूआती दिक्कतें जरूर रहेंगी, लेकिन टैक्स को लेकर अभी जितनी ज्यादा परेशानी थी, वह अब कम होगी। क्योंकि आपको एक ही सिस्टम में काम करना है। एक बार जीएसटी आदत में शामिल हो जाएगा तो फिर कोई दिक्कत नहीं होगी। अब ग्राहकों की जागरूकता जरूरी है, क्योंकि यह बात सामने आ रही है कि ग्राहक जीएसटी देखकर बिल लेने में आनाकानी कर रहे हैं और ऐसे में सौदे भी खराब हो रहे हैं।
- डा.देवेंद्र ढल्ला, कारोबारी

नए टैक्स सिस्टम का हिस्सा बनें 

जीएसटी लागू जरूर हो गया है, लेकिन अभी काफी सहूलियत दी गई है। इसको हनीमून पीरियड मानने के बजाय हम सबको सीखने और जीएसटी को आत्मसात करने की जरूरत है। जितनी जल्दी हो हम जीएसटी के अनुसार ढल जाएं, उसमें काम करें और उसकी जरूरतों को समझें। क्योंकि आमतौर पर आखिरी समय पर काम करने की आदत होती है और ऐसे में दो-चार महीने जो सहूलियत और छूट मिली है, उसका फायदा नहीं उठाया तो फिर आगे भी यही स्थिति रहेगी। अभी तक हमें तमाम तरह के टैक्स को लेकर अलग-अलग गणना करनी पड़ती थी, अब सिर्फ जीएसटी को ही समझना है।
- अंकुश गोयल, टैक्स एक्सपर्ट

हर संभव सहायता दे रहा विभाग 

जिस तरह से व्यापार के लिए यह नया सिस्टम है, उसी तरह विभाग और कारोबार के लिए भी यह बिल्कुल नया अनुभव है। हमारा विभाग एक जुलाई से कागजों और फाइलों के बोझ से फ्री हो गया है। सभी अफसरों का फोकस सिर्फ एक है कि जीएसटी को लेकर कहीं कोई दिक्कत है तो उसको हल किया जाए। यह अच्छी बात है कि तीन दिन में ही जीएसटी को लेकर सकारात्मक रवैया है, कारोबारी जगत इसे समझ रहा है और स्वीकार कर रहा है। पिछला क्या किया, यह जीएसटी में नहीं देखा जाएगा। अब क्या कर रहे हैं, वह स्पष्ट हो और जीएसटी के कायदों पर हो, इसका ख्याल रखा जाए। 
- अजय कुमार, उपायुक्त, राज्य कर विभाग

बिल मांगने की आदत डालनी होगी 

कारोबारी वर्ग को तो जीएसटी को स्वीकार करना ही होगा। पर उपभोक्ताओं को भी अपनी आदत बदलनी होगी। उपभोक्ताओं को भी जागरूक होना होगा। अगर कोई सामान खरीद रहे हैं तो बिल मांगने की आदत डालें। जब हम बिल मांगेंगे और व्यापारी बिल काटकर देगा, तभी जीएसटी का फायदा मिलेगा। अभी तक पूरे सिस्टम का फोकस कारोबारी जगत पर था और वह उन्हें जीएसटी में लाने के लिए जानकारी दे रहा था, लेकिन अब जीएसटी लागू होने के बाद आम लोगों को भी इसी तरह अभियान के तहत जागरूक करने की जरूरत है। 
- सुमित धवन, सचिव, टैक्स बार एसोसिएशन 

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