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टेंडर में गोलमाल के रास्ते बंद, अब अपनाया जाएगा ये तरीका

राज्य में टेंडर और उसके बाद होने वाले निर्माण कार्यों में होने वाले घपलों पर रोक को सरकार ने सख्त कदम उठाया है। इसके लिए कैबिनेट ने उत्तराखंड प्रिक्योरमेंट संशोधन नियमावली 2017 में की सख्त व्यवस्थाएं...

टेंडर में गोलमाल के रास्ते बंद, अब अपनाया जाएगा ये तरीका
देहरादून, वरिष्ठ संवाददाताThu, 13 Jul 2017 03:30 PM
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राज्य में टेंडर और उसके बाद होने वाले निर्माण कार्यों में होने वाले घपलों पर रोक को सरकार ने सख्त कदम उठाया है। इसके लिए कैबिनेट ने उत्तराखंड प्रिक्योरमेंट संशोधन नियमावली 2017 में की सख्त व्यवस्थाएं की हैं। कैबिनेट ने नियमावली को मंजूरी दी।

राज्य में केंद्र सरकार के गर्वमेंट ई मार्केटिंग पोर्टल में राज्य को अब अपना पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद राज्य के किसी भी विभाग को कोई भी सामान खरीदना होगा, तो पोर्टल पर अपनी डिमांड दर्ज करानी होगी। इसके बाद पोर्टल से जुड़ी ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियां राज्य की डिमांड के लिहाज से सामान को लेकर अपने रेट कोड करेंगी। जिस कंपनी के सबसे कम दाम होंगे, उस रेट पर राज्य खरीद करेगा। कंपनी से जो अंतिम रेट तय होगा, राज्य सरकार उस पर भी रिवर्स बिडिंग करेगी।

रिवर्स बिडिंग का अर्थ, टेंडर के बाद फाइनल हुए रेट पर एकबार फिर कंपनियों से रेट आमंत्रित किए जाएंगे। इसके बाद जो सबसे कम रेट तय होंगे, उस पर ही खरीद होगी। दस करोड़ से अधिक के कार्यों को भी नई व्यवस्था से कराया जाएगा। इसके लिए इंजीनियरिंग प्रिक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन रुल्स 2017 को मंजूरी दी गई। इसके तहत किसी भी रोपवे, ब्रिज, स्टेडियम समेत दूसरे बड़े कार्यों को लेकर नक्शा, डिजाइन तैयार करने से लेकर निर्माण का जिम्मा एक ही कंपनी के पास रहेगा।  शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता व पारदर्शिता को हर हाल में सुनिश्चित कराया जाएगा। इसके लिए सख्त मानक तय करने से लेकर सख्त नियम बनाने से भी परहेज नहीं किया जाएगा। नई नियमावली सख्ती से लागू कराएंगे।
 
चोरी छिपे विज्ञापन का नहीं चलेगा खेल

चहेते ठेकेदार को काम दिलाने को विभागीय इंजीनियर चोरी छिपे विज्ञापन जारी करते थे। ऐसा अब नहीं हो सकेगा। विभागों को हर काम का टेंडरों को पब्लिक प्रिक्योरमेंट पोर्टल www.uktenders.gov.in पर लोड करना होगा। आपदा में 10 लाख तक के काम सिंगल टेंडर से: सरकार ने आपदा में तत्काल होने वाले राहत कार्यों के लिए जरूर नियमों में कुछ ढील दी है। अब दस लाख तक के कार्यों को सिंगल टेंडर पर भी दिया जा सकेगा। कैबिनेट में प्रस्ताव पांच लाख तक का रखा गया था। इसे चर्चा के बाद दस लाख किया गया।  नई पॉलिसी में बड़े प्रोजेक्ट के कई टुकड़े कर उसे कई लोगों में बांटने का खेल को खत्म किया गया है। साफ कर दिया गया है कि किसी भी बड़े काम को छोटे छोटे भागों में नहीं बांटा जाएगा। 

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