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ये कैसा सम्मानः शहीदों के गांव श्यामपुर में समस्याओं का अंबार

प्रेमनगर से लगते श्यामपुर गांव के तीन जांबाजों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहूति दी थी। लेकिन शासन-प्रशासन ने गांव में शहीदों की यादों को सहेजने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। गांव में सुविधाओं...

ये कैसा सम्मानः शहीदों के गांव श्यामपुर में समस्याओं का अंबार
देहरादून ’ सुभाष भट्ट ,देहरादूनMon, 24 Jul 2017 12:28 PM
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प्रेमनगर से लगते श्यामपुर गांव के तीन जांबाजों ने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहूति दी थी। लेकिन शासन-प्रशासन ने गांव में शहीदों की यादों को सहेजने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई। गांव में सुविधाओं का भी अभाव है। 

श्यामपुर गांव निवासी रायफलमैन विजय सिंह भंडारी, सिपाही जय सिंह नेगी और नायक दिलवर सिंह ने कारगिल युद्ध के दौरान वीरगति पाई थी। तब से सरकारों ने गांव में शहीदों के नाम पर कई घोषणाएं तो कीं, लेकिन अमल किसी पर भी नहीं हुआ। गांव में एक मात्र स्मारक विजय सिंह भंडारी के नाम पर बना हुआ है, लेकिन अब बदहाल हो चुका है। शहीद की मां रामचंद्री देवी अपने इकलौते बेटे की मौत के बाद टूट गई हैं। अब वो घर में अकेली रहती हैं।

रामचंद्री बताती हैं कि बेटे का स्मारक सही तरीके से बनाने की मांग को लेकर वह कई बार नेताओं और अधिकारियों से मिल चुकी हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। इसी गांव के दूसरे शहीद जय सिंह नेगी के परिजनों ने अपने खर्च से घर पर स्मारक बनाया। शहीद की  मां चंद्रकला नेगी के अनुसार शहादत के समय सरकारों ने बड़ी-बड़ी बातें की थीं, लेकिन उसके बाद पलट कर किसी ने नहीं देखा। तीसरे शहीद दिलवर सिंह की पत्नी कमलादेवी कहती हैं कि पति के नाम पर स्मारक बने या न बने लेकिन जिस क्षेत्र ने इतने शहीदों को जन्म दिया है कम से कम वहां मूलभूत सुविधाएं तो लोगों को मिलनी ही चाहिए। 

गांव को जोड़ने वाली सड़क भी बदहाल

प्रेमनगर मुख्य बाजार से करीब 5-6 कीलोमीटर की दूरी पर स्थित श्यामपुर में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। परिवहन, बिजली, पेयजल और सड़कों की हालत ठीक नहीं है। आमतौर पर बिजली कटौती होती है। पीने के पानी की सप्लाई का तय समय नहीं है। प्रेमनगर से श्यामपुर, अंबीवाला, दुर्गामंदिर चौक, राणा चौक और शहीदों के घरों तक को जोड़ने वाली सड़कें बदहाल हैं। प्रेमनगर से श्यामपुर जाने के लिए रात आठ बजे के बाद कोई परिवहन सुविधा उपलब्ध नहीं है।  

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