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CBI कोर्ट ने लोन फर्जीवाड़े में विजया बैंक के दो अफसरों को सुनाई सजा

आवेदक से मिलीभगत कर 1.10 करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने विजया बैंक के दो अधिकारियों समेत लोन लेने वाले को दोषी ठहराया है। मंगलवार को सीबीआई विशेष अदालत की जज शादाब बानो...

CBI कोर्ट ने लोन फर्जीवाड़े में विजया बैंक के दो अफसरों को सुनाई सजा
कार्यालय संवाददाता,देहरादूनWed, 31 May 2017 02:02 AM
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आवेदक से मिलीभगत कर 1.10 करोड़ रुपये का लोन देने के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने विजया बैंक के दो अधिकारियों समेत लोन लेने वाले को दोषी ठहराया है। मंगलवार को सीबीआई विशेष अदालत की जज शादाब बानो ने बैंक के पूर्व सहायक महाप्रबंधक, वर्तमान मुख्य प्रबंधक और लोन आवेदक को चार-चार साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। 

सीबीआई के शासकीय अधिवक्ता सतीश कुमार ने बताया कि एसके गुप्ता ने सेलाकुई में इंडस्ट्री लगाने के लिए विजया बैंक में 1.10 करोड़ रुपये के लोन के लिए आवेदन किया। इसे तत्कालीन दून शाखा प्रबंधक शिवाजी साही (वर्तमान में मुख्य प्रबंधक दिल्ली रीजन) ने पास कर स्वीकृति के लिए चंडीगढ़ में बैठने वाले तत्कालीन एजीएम वाईडी मिश्रा को भेजा। जून-जुलाई वर्ष 2007 में वाईडी मिश्रा की स्वीकृति पर गुप्ता को बैंक ने लोन जारी कर दिया गया।

लोन के एवज में गुप्ता ने दोनों बैंक अधिकारियों से मिलीभगत कर तीन फर्जी रजिस्ट्री, फर्जी पेन कार्ड डिटेल के साथ ही फर्जी फर्म खोलकर उससे इंडस्ट्री के लिए मशीन सप्लाई के दस्तावेज बैंक में जमा कराए। जबकि मौके पर दिखावे के लिए कबाड़ मशीनें लगाई गईं। लोन देने के बाद बैंक प्रबंधन को फर्जीवाड़े का शक हुआ तो शिकायत सीबीआई से की गई।

शासकीय अधिवक्ता सतीश कुमार ने बताया कि आठ जून 2009 को सीबीआई दिल्ली कार्यालय में इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई। सीबीआई ने 24 अगसत 2010 को तीनों अधिकारियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने तीनों आरोपियों को दोषी पाया। साथ ही उन्हें चार-चार साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा बैंक अधिकारियों को 25-25 हजार और लोन आवेदक पर 20 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।

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