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उत्तराखंड : आरडी के पैसे हड़पने वाले डिप्टी पोस्ट मास्टर और पोस्टल असिस्टेंट को सजा

सीबीआई की विशेष अदालत ने डाक विभाग में हुए आरडी फर्जीवाड़े में डिप्टी पोस्ट मास्टर और पोस्टल असिस्टेंट को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को अलग-अलग धाराओं...

उत्तराखंड : आरडी के पैसे हड़पने वाले डिप्टी पोस्ट मास्टर और पोस्टल असिस्टेंट को सजा
देहरादून, कार्यालय संवाददाताSat, 22 Jul 2017 08:26 PM
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सीबीआई की विशेष अदालत ने डाक विभाग में हुए आरडी फर्जीवाड़े में डिप्टी पोस्ट मास्टर और पोस्टल असिस्टेंट को दोषी करार देते हुए पांच-पांच साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को अलग-अलग धाराओं में 30-30 हजार रुपये जुर्माना दिए जाने के भी आदेश दिए हैं। 14 साल पुराने इस मुकदमे में कोर्ट ने अपना निर्णय दिया है। 

सीबीआई देहरादून को मई 2003 में हल्द्वानी हेड पोस्ट ऑफिस में करीब 101 लोगों की आरडी की जमा रकम 22 लाख 46 हजार 533 रुपये गबन करने की शिकायत मिली थी। सीबीआई की जांच में फर्जीवाड़े की पुष्टी होने के बाद छह जून 2003 को एमसी सुयाल, नंदन सिंह बिष्ट दोनों असिस्टेंट पोस्टल, केएन पांडेय डिप्टी पोस्टमास्टर और आरसी पांडेय पीए एसबीसीओ के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मामले सीबीआई ने 14 दिसंबर 2004 को चार्जशीट पेश की थी। पिछले 14 सालों से सीबीआई कोर्ट में यह मुकदमा चल रहा था। शनिवार को जज शादाब बानो की अदालत में मुकदमे पर सुनवाई हुई।

अभियोज पक्ष की तरफ से सीबीआई के वकील अभिषेक अरोड़ा ने 37 गवाह एवं जरूरी सबूत पेश किया। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी तत्कालीन डिप्टी पोस्टमास्टर हल्द्वानी केएन पांडेय निवासी गौरा पड़ाव हल्द्वानी और पोस्टल असिस्टेंट नंदन सिंह बिष्ट निवासी गांव भादियोनी काठगोदाम नैनीताल को दोष करार दिया। आरोपियों को फर्जीवाड़े तथा भ्रष्टाचार की अलग-अलग धाराओं में पांच-पांच साल की सजा सुनाई है। साथ ही प्रत्येक धाराओं में पांच-पांच हजार कुल 30-30 हजार का जुर्माना जमा करने के आदेश दिए हैं। जुर्माना न देने पर छह माह की अतिरिक्त सजा भुगतने के आदेश दिए हैं। कोर्ट के आदेश पर दोनों आरोपियों को पुलिस ने कस्टडी में लेते हुए सुद्धोवाला जेल भेज दिया है। 

एक आरोपी की मौत और दूसरा बरी... 

मामले में पोस्टल असिस्टेंट एमसी सुयाल निवासी काठगोदाम की मौत हो गई थी। उसका नाम केस से हट दिया गया था। जबकि दूसरे आरोपी आरसी पांडेय निवासी कटियारा हल्द्वानी के खिलाफ जांच के दौरान कोई ठोस सबूत नहीं मिल पाए। इससे कोर्ट ने पहले ही उसे बरी कर दिया था। ट्रायल के दौरान आरसी पांडेय की भूमिका फर्जीवाड़े में कहीं भी लिप्त नहीं पाई गई। 

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