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रानीखेत कैंट में लाखों-करोड़ों के नोटिस मौलिक अधिकारों का हनन: जनरल भंडारी

लीज होल्डर एसोसिएशन रानीखेत के अध्यक्ष सेवानिवृत्त ले. जनरल मोहन चंद्र भंडारी ने रक्षा संपदा विभाग की ओर से लीज नवीनीकरण के नाम पर छावनी क्षेत्रवासियों को भेजे गए लाखों-करोड़ों के नोटिसों को नागरिकों...

रानीखेत कैंट में लाखों-करोड़ों के नोटिस मौलिक अधिकारों का हनन: जनरल भंडारी
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाTue, 27 Jun 2017 10:45 PM
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लीज होल्डर एसोसिएशन रानीखेत के अध्यक्ष सेवानिवृत्त ले. जनरल मोहन चंद्र भंडारी ने रक्षा संपदा विभाग की ओर से लीज नवीनीकरण के नाम पर छावनी क्षेत्रवासियों को भेजे गए लाखों-करोड़ों के नोटिसों को नागरिकों के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। उन्होंने रक्षा संपदा के तानाशाही फरमान के खिलाफ मुहिम को रानीखेत के अस्तित्व की लड़ाई करार देते हुए एकजुट होने की जरूरत बताई। हिन्दुस्तान से वार्ता में पूर्व ले. जनरल भंडारी ने कहा कि आजादी से पूर्व सैन्य शासकों ने अपनी और सैन्य जरूरतों की पूर्ति के लिए विभिन्न कार्यों के लिए लोगों को मामूली सलाना किराए पर लीज पर जमीने दीं, लूट-खसोट इसका प्रयोजन नहीं था। अंग्रेज जन हितों का पूरा ख्याल भी रखते थे। देश आजाद हुआ, लेकिन लीज पॉलिसी वहीं रही। कुछ समय पूर्व छावनी क्षेत्र के कई नागरिकों की लीज समाप्त हो चुकी है, लीज समाप्ति से पूर्व नवीनीकरण के लिए लीज धारकों ने कई बार आवेदन किए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। अब अंतरिम लीज पॉलिसी के नाम पर लीज धारकों को बेवकूफ बनाया जा रहा है। लीज नवीनीकरण में स्टैंडर्ड टेबिल आफ रैंट (एसटीआर) के बारे में जिक्र नहीं किया गया, इसमें नागरिकों की सहमति लेनी तक उचित नहीं समझा गया। जनरल भंडारी ने कहा कि रानीखेत जैसे छोटे नगर की माली हालत ठीक नहीं है, लीज नवीनीकरण के लिए लाखों-करोड़ों का भुगतान कर पाना लीज धारकों के लिए संभव नहीं। लैंड लीज पॉलिसी बनने तक लीज धारकों को नहीं किया जा सकता बेदखल जनरल भंडारी ने कहा कि 1950 में रक्षा संपदा विभाग की ओर से लीज नवीनीकरण के नाम पर इसी तरह की तानाशाही पूर्ण कार्रवाई के तहत लीज धारकों को नोटिस भेजे गए थे। तब रानीखेत वासियों ने पूरे भारतवर्ष को जगाने का काम किया था, रानीखेत से शुरू हुई मुहिम पूरे देश में चली। तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने तत्काल अपने निजी सचिव को इस गंभीर मसले पर कार्रवाई के निर्देश दिए। इसके बाद पं. नेहरू इस सिलसिले में राष्ट्रपति से भी मिले। तब राष्ट्रपति की ओर से यह स्टे जारी किया गया कि भारत की लैंड लीज पॉलिसी बनने तक संबंधित भूमि पर काबिज लोगों को बेदखल नहीं किया जा सकता।

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