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शहीद के नाम पर गांव में बना स्मारक अनदेखी का शिकार

आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व बलिदान कर देने वाले शहीद नर सिंह धानक की स्मृति में बनाया गया शहीद स्मारक उपेक्षा की मार झेल रहा है। यहां के ग्रामीणों ने कई बार इस शहीद स्मारक की दशा को सुधारने की...

शहीद के नाम पर गांव में बना स्मारक अनदेखी का शिकार
हिन्दुस्तान टीम,अल्मोड़ाMon, 14 Aug 2017 05:48 PM
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आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व बलिदान कर देने वाले शहीद नर सिंह धानक की स्मृति में बनाया गया शहीद स्मारक उपेक्षा की मार झेल रहा है। यहां के ग्रामीणों ने कई बार इस शहीद स्मारक की दशा को सुधारने की मांग प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से की। लेकिन कभी भी किसी ने इस स्मारक की सुध लेना मुनासिब नहीं समझा। चौकुना गांव निवासी शहीद नर सिंह धानक का जन्म 12 फरवरी 1897 को हुआ था। धानक ने जब से होश संभाला उनके अंदर देश भक्ति की भावना पैदा होने लगी। धीरे धीरे धानक आजादी की लड़ाई में कूद गए। सालम में आजादी की चिंगारी को आग में बदलने के लिए धानक ने महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्हें लोगों को संगठित कर अंग्रेजी फौज के खिलाफ जमकर लोहा लिया। धानक अंग्रेजी सरकार की आंखों की किरकिरी बन गए थे। जिसके चलते ब्रितानी फौज ने आंदोलनकारियों के दमन का निर्णय ले लिया। वर्ष 1942 में अंग्रेजी फौज ने आंदोलनकारियों की सभा को घेर लिया और उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी। दमन की इस कार्रवाई में धानक देश के लिए शहीद हो गए। आजादी मिलने के बाद उनके पैतृक गांव चौकुना में उनकी याद में एक शहीद स्मारक का निर्माण किया गया। लेकिन देखरेख के अभाव में अब यह स्मारक खस्ता हालत में है। ग्रामीणों ने कई बार देश के लिए जान देने वाले इस शहीद की याद में बने स्मारक की दशा को सुधारने की मांग जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से की। लेकिन किसी ने भी शहीद की सम्मान की दिशा में कोई कार्रवाई करना मुनासिब नहीं समझा।

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