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मीट कारोबारियों ने प्रशासन को दी कानून तोड़ने की 'धमकी'

ऑल इंडिया कुरैशी विकास मंच और भाकपा माले ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। हाईकोर्ट की अवमानना का हवाला देते हुए प्रशासन पर आंखें तरेरीं और कानून तोड़ने की चेतावनी दी। प्रदर्शनकारियों ने...

मीट कारोबारियों ने प्रशासन को दी कानून तोड़ने की 'धमकी'
Center,VaranasiMon, 22 May 2017 08:53 PM
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ऑल इंडिया कुरैशी विकास मंच और भाकपा माले ने सोमवार को जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। हाईकोर्ट की अवमानना का हवाला देते हुए प्रशासन पर आंखें तरेरीं और कानून तोड़ने की चेतावनी दी। प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश सरकार को रमजान से पहले स्लाटर हाउस शुरू कराने का अल्टीमेटम भी दिया। सोमवार को भाकपा माले और ऑल इंडिया कुरैशी विकास मंच ने कचहरी मुख्यालय पर आवाज बुलंद की। सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने रैली निकालते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए। प्रशासन ने गेट बंद कराया तो बाहर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। एसएसपी से कार्यालय से निकलकर प्रदर्शनकारियों की बात सुनी और सरकार तक उनकी मंशा पहुंचाने का आश्वासन दिया। हालांकि इसके बाद भी धरना प्रदर्शन चलता रहा। उन्होंने सीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को सौंपकर मांग की कि कोर्ट के आदेशों की अवमानना न करते हुए प्रदेश सरकार स्लाटर हाउस के नवीनीकरण का आदेश जारी करे। हाईकोर्ट ने भी निर्देश दिया है कि मांसाहार को रोका नहीं जा सकता है। वक्ताओं ने कहा कि स्लाटर हाउस बंद हो जाने से प्रदेश के 25 लाख लोगों के सामने रोजगार का संकट है। मटन और मुर्गा व्यवसाय भी एनजीटी के मानकों के अनुरूप नहीं है लेकिन उसे चलने दिया जा रहा है। इसी तरह से भैंस के मीट के कारोबार को चलने की अनुमति दी जाए। साथ स्लाटरिंग की वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। मीट कारोबारियों ने कहा कि रोजगार उनका संवैधानिक अधिकार है । इस बंदी के कारण लोग भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने मांग की कि छोटे दुकानदारों को बड़े व्यवसायियों की तरह सब्सिडी दी जाए। रोजगार संकट से जूझ रहे मीट कारोबारियों ने चेतावनी दी है कि यदि रमजान से पहले प्रदेश सरकार ने बंद किए गए स्लाटर हाउस नहीं शुरू कराए तो वे कानून तोड़ देंगे। इस प्रदर्शन में भाकपा माले के मनीष शर्मा, अरशद कुरैशी, अबूसाद भाई, सरिता पटैल, कलाम कुरैशी, अब्दुल हक कुरैशी, नरेंद्र पाण्डेय, हाजी इकरामुल कुरैशी, आरजू आलम, अनूप, श्रवण कुमार समेत पूर्वांचल के लगभग सभी जिलों के मीट कारोबारी शामिल रहे।

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