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बेटियों की शादी के अनुदान के लिए वर्षों का फेरा

-चार-चार साल तक नहीं मिलता अनुदान, दब गये कर्ज तले - समाज कल्याण विभाग में सैकड़ों लोगों के आवेदन लंबित - प्रार्थनापत्र देने के बावजूद शादी के चार साल बाद भी नहीं मिला अनुदान वाराणसी। वीणा...

बेटियों की शादी के अनुदान के लिए वर्षों का फेरा
Center,VaranasiWed, 31 May 2017 06:55 PM
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-चार-चार साल तक नहीं मिलता अनुदान, दब गये कर्ज तले - समाज कल्याण विभाग में सैकड़ों लोगों के आवेदन लंबित - प्रार्थनापत्र देने के बावजूद शादी के चार साल बाद भी नहीं मिला अनुदान वाराणसी। वीणा तिवारी केस-1 बड़ीगैबी विनायका के राजेश्वर प्रसाद ने बेटी की शादी के लिए 22 जनवरी 2014 को समाज कल्याण विभाग में शादी अनुदान के लिए आवेदन किया। शादी 23 फरवरी 2014 को हो गई। उसमें 35 हजार रुपये खर्च हुए। अनुदान की उम्मीद में राजेश्वर ने साहूकार से 30 हजार रुपये भी उधार लिये थे। अब शादी हुए तीन साल हो गये। अनुदान के पैसे मिले नहीं उल्टे साहूकार की सूद की रकम बढ़ती जा रही है। केस-2 अंधरापुल रनियामोहाल की गीता देवी देवी ने बेटी की शादी के लिए 25 जनवरी 2014 को विभाग में आवेदन किया था। 22 मार्च 2014 को 25 हजार रुपये रिश्तेदार से उधार लेकर बेटी के हाथ पीले कर दिये। शादी के चार साल बाद भी इसे अनुदान की राशि नहीं मिली। उल्टे रिश्तेदार पैसे वापस करने के लिए ताना मारने लगा है। केस-3 बड़ागांव बचौरा के जंगबहादुर ने शादी अनुदान के लिए दो मार्च 2013 को आवेदन किया। शादी की तिथि तक विभाग से पैसे नहीं मिले तो साहूकार से 35 हजार रुपये लेकर एक मई 2013 को बेटी की शादी कर दी। शादी के चार साल बाद भी अनुदान की राशि मिलने की उम्मीद लगाये जंगबहादुर विभाग का चक्कर काट रहा है। साहूकार की रकम 35 हजार से 45हजार रुपये तक पहुंच गई है। ये उन लोगों के नाम है जो बेटियों की शादी के लिए शासन से मिलने वाले आर्थिक सहायता की आस में कर्ज तले दब गये हैं। इन्होंने शादी अनुदान योजना के अन्तर्गत मिलने वाले 10 हजार रुपये की उम्मीद में सेठ साहूकारों से कर्ज तक ले लिया। अब स्थिति यह है कि शादी होने के बाद अनुदान के पैसे मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। कारण, समाज कल्याण विभाग की ओर से चलाई जा रही इस योजना में 2014-2015 और 2015-16 में आये आवेदनों को अनुदान न देने का शासनादेश जारी होना है। ऐसे में दो साल के दौरान हुए सभी आवेदन खारिज कर दिये गये हैं। अनुदान की उम्मीद में जिन लोगों ने उधार लेकर बेटी के हाथ पीले किये वे कर्ज और सूद के तले दबे हुए हैं। इस साल के आवेदनों के भुगतान के संदर्भ में भी अब तक कोई शासनादेश जारी नहीं हुआ है। ऊपर दी गई जानकारी समाज कल्याण विभाग से मिली जानकारी के आधार पर दी गई है। बेटी के बाप डूब गये कर्ज में शादी अनुदान योजना में इस वित्तीय वर्ष 2017-18 में अब तक 2100 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। इसमें सामान्य वर्ग में 370और और अनुसूचित जाति में 1885 आवेदन लंबित हैं। सत्र 2016-17 में दोनों वर्गों में ग्यारह सौ लोगों ने आवेदन किया था। जिसमें से 850 को इसका लाभ मिला था। 2014से 2016 के बीच आवेदन करने वालों ने अनुदान मिलने की उम्मीद में कर्ज लेकर अपनी बेटी के हाथ तो पीले कर दिये है लेकिन पैसे न मिलने पर साहूकारों क ा ताना सुनने को मजबूर हैं। वे अब तक पैसे मिलने की आस लगाये हुए हैं। विभागीय कर्मचारी उन्हें बताते हैं कि सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाता है। उनका आवेदन क्यों खारिज हो गया इस संबंध में वे कुछ नहीं बता सकते। लगा रहे विभाग का चक्कर समाज कल्याण विभाग का कार्यालय खुलते ही आवेदन करने वालों की भीड जुटने लगती है। बुधवार को भी लगभग डेढ़ दर्जन आवेदक पैसे मिलने की उम्मीद में वहां पहुंचे। चेहरे पर बेचारगी और खस्ताहाल स्थिति उनकी सच्चाई बयां करने को काफी थी। कार्यालय में संबंधित बाबू से अपना दु:खड़ा सुना रहे थे। किसी ने कहा सेठ गालियां देता है तो कोई पटीदार के ताने सुनकर बेहाल हो चुका था। लेकिन इस बार भी उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। शादी योजना में आवेदन के मानक इस योजना में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले वे व्यक्ति आवेदन कर सकते हैं जिनकी वार्षिक आय शहरी क्षेत्र में 56400 और ग्रामीण क्षेत्र में 46480 रुपये है। इसके साथ ही कन्या की उम्र 18 और वर की आयु 21 वर्ष से कम न हो। आवेदन की प्रक्रिया ऑन लाइन है। कोट- दो साल के तक योजना बंद रही। उस दौरान हुए आवेदन में किसी को अनुदान नहीं मिला। इस वित्तीय वर्ष में भी अब तक कोई शासनादेेश नहीं आया है। पूरी प्रक्रिया ऑन लाइन हो चुकी है। अनुदान न मिलने के संबंध में जिला स्तर पर कोई जानकारी नहीं दी जा सकती। आरके यादव, जिला समाज कल्याण अधिकारी

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