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हौसले को सलाम: रायबरेली में शौहर ने बेटी की पढ़ाई और खेल में बाधा डाली तो तोड़ लिया नाता

'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' वाला नारा आजकल हम सब जोर-शोर से सुन रहे हैं। रायबरेली की मुस्लिम महिला नाहिद आब्दी ने इस नारे में एक नया संकल्प और जोड़ दिया है 'बेटी खिलाओ'। छोटी बेटी के खेल...

सबा को 25 हजार का चेक देते सिटी मजिस्ट्रेट, साथ में मां नाहिद आब्दी।
1/ 2सबा को 25 हजार का चेक देते सिटी मजिस्ट्रेट, साथ में मां नाहिद आब्दी।
सबा बुतूल आब्दी अपने मेडल के साथ।
2/ 2सबा बुतूल आब्दी अपने मेडल के साथ।
गौरव अवस्थी , रायबरेली Thu, 28 Sep 2017 08:12 PM
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'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' वाला नारा आजकल हम सब जोर-शोर से सुन रहे हैं। रायबरेली की मुस्लिम महिला नाहिद आब्दी ने इस नारे में एक नया संकल्प और जोड़ दिया है 'बेटी खिलाओ'। छोटी बेटी के खेल में शौहर ने बाधा डाली तो नाहिद ने उनसे अपना नाता ही तोड़ लिया। उसका कहना है कि ऐसे आदमी के साथ रहना हमें अब कतई पसंद नहीं था, इसीलिए हमने यह कदम उठाने में कोई हिचक नहीं दिखाई।
नाहिद के दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी जेबा आब्दी का निकाह हो चुका है। नाहिद के शौहर जावेद हुसैन कबाड़ का काम करते हैं। वह अपने पति के कबाड़ के धंधे में पिछले 11 साल से हाथ बंटा रही थी। घर-परिवार की जिम्मेदारियों के साथ ही वह पति के व्यवसाय को बढ़ाने में भरपूर मदद करती थी। काम अच्छा चल निकला। साल 2006 में उसने एक मकान भी खरीदा। पति-पत्नी ने मेहनत से तीन ट्रक भी खरीदे। दो ट्रक तो नाहिद के नाम ही निकले। पति ने एक ट्रक धोखे से बेच दिया।
उसके शौहर को बच्चों को पढ़ना-लिखना पसंद नहीं था। बड़ी बेटी की पढ़ाई में उसने एतराज किया। उसके रुख को देखते हुए नाहिद ने बेटे को पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेज दिया। बेटे ने इंटर करने के बाद एमबीए और होटल मैनेजमेंट कोर्स किया और दिल्ली के हॉली-डे इंटरनेशनल होटल में इसी साल उसे शेफ की नौकरी मिल गई। 
नाहिद की सबसे छोटी बेटी सबा बुतूल आब्दी पूर्व माध्यमिक स्कूल चकअहमदपुर में छठीं कक्षा की छात्रा है और ग्रेपलिंग गेम खेलती है। उसके पिता जावेद को सबा का पढ़ना और खेलना रास नहीं आ रहा था। वह बेटी को बाहर भेजने के भी खिलाफ था। इसी बात को लेकर नाहिद का पति जावेद से रोज-रोज घर में लड़ाई-झगड़ा होने लगा। नाहिद बेटी के पक्ष में मजबूती से खड़ी हो गई। उन्होंने शौहर से साफ कह दिया कि वह बेटी के कॅरियर के लिए उसका (पति) साथ भी छोड़ने को तैयार हैं। 
वह बताती हैं कि बीती 19 जुलाई को ग्रेपलिंग के नेशनल सेलेक्शन में प्रतिभाग के लिए नाहिद बेटी को लेकर दिल्ली गईं। जाने के पहले भी पति से काफी लड़ाई-झगड़ा हुआ। 25 जुलाई को वह दिल्ली से लौटीं नए संकल्प के साथ। अगले ही दिन पति के झगड़ों से आजिज नाहिद ने अंतत: पति जावेद से अपना नाता पूरी तोड़ लिया। नाहिद अब अपने को पहले से ज्यादा सुकून में महसूस कर रही है। मुफलिसी से वह सिलाई-कढ़ाई करके मुकाबला कर रही है लेकिन लक्ष्य केवल एक है बेटी का खेल में कॅरियर बनाना। वह कहती हैं कि बेटी को कमी महसूस नहीं होने दूंगी।  

छह महीने में जगह बनाई 
रायबरेली। कुल जमा छह महीने की मेहनत से सबा बुतूल आब्दी ग्रेपलिंग गेम में नेशनल स्तर पर अपना नाम रोशन कर चुकी है। फतेहपुर के क्रिकेट खिलाड़ी और वर्तमान में ग्रेपलिंग गेम के कोच रविकांत मिश्रा से उसने इस गेम के गुर सीखे। फतेहपुर में ही 29-30 जून को संपन्न हुए राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उसने सिल्वर मेडल जीता। जुलाई माह में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में लगे कैम्प में उसे नेशनल टीम में चुन लिया गया। 24 से 26 नवंबर तक साउथ एशियन ग्रेपलिंग चैंपियनशिप में भाग लेने जाना है। 

डीएम की दरियादिली ने दिखाई राह
रायबरेली। जिलाधिकारी संजय कुमार खत्री की दरियादिली ने नाहिद के बेटी को बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए पर लगा दिए हैं। नेशनल प्लेयर सबा बुतूल आब्दी को साउथ एशियन ग्रेपलिंग चैंपियनशिप के लिए काठमांडू (नेपाल) नवंबर में जाना है। फीस और रजिस्ट्रेशन के लिए 25 हजार रुपए जमा करने थे। पिता से अलग होने के बाद मां के सामने इतनी बड़ी रकम जुटाना चुनौती थी। वह अपनी समस्या लेकर स्काउट लीडर लक्ष्मीकांत शुक्ला के पास पहुंची। उन्होंने उसे डीएम का रास्ता दिखाया। सबा अपनी मां के साथ बुधवार को डीएम से मिली। डीएम ने संवेदनशीलता दिखाते हुए उसे आर्थिक मदद का भरोसा दिया। डीएम के निर्देश पर सिटी मजिस्ट्रेट ने सबा को बुलाकर गुरुवार को 25 हजार रुपए का चेक दे दिया। अब सबा के सामने काठमांडू जाने और वहां रुकने के खर्च की चिंता है।

क्या है ग्रैपलिंग 
ग्रैपलिंग कुश्ती, जूडो, ताइक्वाण्डो से मिलता जुलता खेल है। इसका मुकाबला दो खिलाड़ियों के बीच होता है। इसमें दो खिलाड़ी मैट्स (गद्दों) पर ठीक उसी तरह लड़ते हैं जैसे कुश्ती या जूडो के खिलाड़ी। कुश्ती में जैसे ग्रीको रोमन व फ्रीस्टाइल इवेंट होते हैं, वैसे ही ग्रैपलिंग में भी दो इवेंट स्टैण्ड ग्रैपलिंग और ग्राउण्ड ग्रैपलिंग होते हैं। स्टैण्ड ग्रैपलिंग में हाथों की ग्रिप से मुकाबला लड़ा जाता है। ग्राउण्ड ग्रैपलिंग का मुकाबला फ्रीस्टाइल कुश्ती की तरह होता है।

नहीं कर सकती समझौता 
मैं बेटी के कॅरियर से समझौता नहीं कर सकती थी। इसीलिए पति का साथ छोड़ दिया। हम बेटी को खेल में बुलंदियों तक पहुंचते देखना चाहते हैं। हमारी अब और कोई तमन्ना नहीं है।
-नाहिद आब्दी  

नाम रोशन करना लक्ष्य
मेरा पहला प्रयास मां के सपनों पर खरा उतरना है। साउथ एशियन चैंपियनशिप में भारत का नाम रोशन करना भी मेरा लक्ष्य रहेगा।
-सबा बूतूल आब्दी  


 

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