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अवध के जिलों में बाढ़ से तबाही, कई जगह मचान पर गुजर रही जिंदगी

घाघरा, शारदा, सरयू और राप्ती नदियों की बाढ़ ने अवध के जिलों में तबाही मचा दी है। हाल यह है कि कई जगह बंधे कट गए हैं। गांवों में पानी घुसने से इंसान और मवेशियों का हाल-बेहाल है। कई जगहों पर बाढ़ के...

करनैलगंज में मचान बनाकर बचाई जान।
1/ 2करनैलगंज में मचान बनाकर बचाई जान।
रेक्सड़िया गांव में पानी के बीच जिंदगी की जद्दोजहद।  
2/ 2रेक्सड़िया गांव में पानी के बीच जिंदगी की जद्दोजहद।  
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊ Sat, 19 Aug 2017 04:50 PM
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घाघरा, शारदा, सरयू और राप्ती नदियों की बाढ़ ने अवध के जिलों में तबाही मचा दी है। हाल यह है कि कई जगह बंधे कट गए हैं। गांवों में पानी घुसने से इंसान और मवेशियों का हाल-बेहाल है। कई जगहों पर बाढ़ के पानी से बचने के लिए लोगों ने घरों की छतों और पेड़ों पर मचान बना कर शरण ले रखी है। कई इलाकों में बाढ़ का पानी अभी नहीं निकल पाने के कारण प्रभावितों को मदद भी नहीं मिल सकी है। 

बलरामपुर की तीन तहसीलों में हाल-बेहाल
बलरामपुर जिले में बाढ़ से करीब तीन लाख लोग प्रभावित हैं। जिले की तीनों तहसीलें बलरामपुर, उतरौला व तुलसीपुर के करीब दो हजार परिवार विस्थापित हुए हैं। हालांकि अब पानी धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है। वहीं संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ गया है। बाढ़ पीड़ितों की सहायता के लिए एनडीआरएफ व पीएसी की टीमें पिछले पांच दिनों से राहत एवं बचाव कार्य में लगी हुई हैं। अब तक करीब दो लाख 38 हजार लंच पैकेट व राहत सामग्री का वितरण किया गया है। गांवों में लोगों को सबसे अधिक समस्या पशुओं के चारे की हो रही है। जिनके घर पक्के हैं उन्होंने छतों पर शरण ले रखी है, लेकिन फूस के मकान वालों के पास कुछ भी नहीं बचा है।   

गोंडा : हर तरह की आफत, नहीं कोई राहत 
गोंडा जिले के बाढ़ प्रभावित इलाकों में हर तरह की आफत पीड़ितों पर टूट रही है। पीड़ितों को ऊंचे स्थानों पर शरण लेनी पड़ रही है। बाढ़ प्रभावित इलाकों में सबसे ज्यादा दूषित पानी पीने के कारण गैस्ट्रो और डायरिया का प्रकोप है। बुखार से भी बाढ़ पीड़ित प्रभावित हो रहे हैं।  
जिला प्रशासन के दावों पर यकीन करें तो बाढ़ पीड़ितों को केरोसिन, लईया, चना और चावल के अलावा अब आंटा भी मुहैया कराया जा रहा है। बाढ़ राहत केन्द्रों पर नियमित रूप से राहत सामग्री का वितरण हो रहा है। जिसमें पन्नी, बांस, माचिस, मोमबत्ती और जीवन रक्षक दवाओं की किट है। प्रशासन के मुताबिक तरबगंज और करनैलगंज तहसील के बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या 400 के करीब है। विस्थापित बाढ़ पीड़ितों को जो बाहर नहीं आये हैं, उन्हें फ्लड पीएसी और एनडीआरएफ की मोटरबोटों से लंच पैकेज भिजवाये जा रहे हैं। 
हकीकत है उलट 
जिला प्रशासन के दावों से इतर परसपुर के बहुवन मदार मांझा में विस्थापित डेढ़ हजार से अधिक बाढ़ पीड़ितों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है।  बासगांव के हरीराम यादव और सुभागा देवी के साथ अन्य पीड़ितों ने बताया कि जिस दिन 15 अगस्त को बांध कटा था, तभी अफसर आये थे। उसके बाद कोई नहीं आया। करनैलगंज के पीड़ितों ने बताया कि पाल्हापुर से राहत केन्द्र हटा कर बरगदी 10 किलोमीटर दूर बना दिया गया है। इससे राहत लेने वहां कम लोग ही जा पाते हैं। पीड़ित बेचन और सुखदेव कहते हैं कि सब कागज में बंट रहा होगा। सीएमओ डॉ. आभा आशुतोष ने बताया कि सभी राहत केन्द्रों पर चिकित्सा और उपचार की व्यवस्था की गई है। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी भी तरह की बीमारी का कोई प्रकोप नहीं है। छिटपुट लोग ही आ रहे हैं। 

सीतापुर में बाढ़ से 10 हजार हुए विस्थापित
सीतापुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों बिसवां, मुस्तफाबाद और लहरपुर तहसील के लगभग 10 हजार लोग विस्थापित हुए हैं। सरकार प्रत्येक परिवार को 200 मीटर भूमि के साथ तिरपाल और राशन सामग्री दे रही है। जिला प्रशासन ने सभी बाढ़ पीड़ित परिवारों को पीएम आवास योजना के तहत मकान बनवाने का आश्वासन भी दिया है। फिलहाल सड़क और संपर्क मार्ग कटने के कारण मरीजों को अस्पताल ले जाने में भारी दुश्वारी हो रही है। डीएम सारिका मोहन ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों को हर संभव सहायता दी जाएगी। पीएम ग्रामीण आवास योजना से सभी को पक्की छत मुहैया कराई जाएगी।

फैजाबाद: मदद की आस में 30 हजार विस्थापित 
फैजाबाद जनपद में रुदौली, पूरा, मया और सोहावल ब्लॉक के कछारी इलाकों के करीब 40 गांव में रहने वाली 30 हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। पूरा ब्लॉक क्षेत्र में सैकड़ों लोग विस्थापित हुए हैं। इन्हें तटबंध पर रहने की जगह दी गयी है। इसी तरह रुदौली क्षेत्र में घाघरा नदी की बाढ़ से सैकड़ों लोग विस्थापित हुए हैं। 
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में मनुष्यों के साथ मवेशियों में संक्रामक रोग फैल रहा है। मवेशी और मनुष्य कई तरह की संक्रामक बीमारियों से ग्रसित हैं। इसमें मुख्य रूप से मनुष्यों में बुखार, डायरिया, उल्टी, दस्त और मवेशियों में खुरपका, मुंहपका, बुखार व दस्त की बीमारी फैली हुई है। स्वास्थ्य विभाग इन इलाकों में टीम भेज कर मनुष्य और मवेशियों का इलाज करा रहे हैं। 
सरकार की ओर से बाढ़ प्रभावित इलाकों में खाद्यान्न व केरोसिन का वितरण कराया जा रहा है। आवागमन के लिए नावों की व्यवस्था की जा रही है। फिर भी सरकारी इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों की संख्या ज्यादा है और सरकारी इमदाद कम है। 
रुदौली और पूरा  ब्लॉक में दर्जनों लोगों के मकान घाघरा और सरयू नदी में समाहित हो गये हैं। कोई तटबंध पर रह रहा है, तो कोई सड़क के किनारे। तमाम परिवारों को अस्थायी आशियाने का इंतजार है। अयोध्या व शहरी क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित इलाकों में दुकान बंद हो जाने से रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। यहां आवागमन में भी समस्या हो रही है। मवेशियों के लिए चारे का संकट प्रमुख समस्या बन गयी है।  

श्रावस्ती में लंच पैकेट में भी कमीशनखोरी
श्रावस्ती में करीब एक सप्ताह तक बाढ़ का पानी रहने से काफी नुकसान हुआ है। करीब 300 हेक्टेयर की फसलें बर्बाद हुई हैं। बाढ़ के बाद हैजा, मलेरिया और दस्त जैसी बीमारियां फैल रही हैं। अब तक सरकार ने जो लंच पैकेट बंटवाए हैं, उसमें भी कमीशनखोरी की गई है। हाल यह रहा कि पांच दिनों तक लोगों को छत पर और पेड़ों पर समय गुजारना पड़ा। तीन दिनों तक जिला मुख्यालय का अन्य स्थानों से संपर्क ही कटा रहा। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लंच पैकेट तब बंटे, जब बाढ़ घटी। पांच दिनों तक लोग भूखे-प्यासे रहे।

बहराइच : बाढ़ में डूब गई गृहस्थी
बहराइच जिले की चार तहसीलों के 950 मजरों के करीब 4,34,979 लोग घाघरा की भीषण बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें लगभग दस हजार लोग विस्थापित हुए हैं। प्रभावित इलाकों में वायरल फीवर, दस्त, निमोनिया आदि की चपेट में लोग आना शुरू हो गए हैं। फिलहाल उनमें लंच पैकेट, तिरपाल, राशन, सब्जी, केरोसीन आदि का वितरण करने का प्रशासन दावा कर रहा है। वहीं इस बाढ़ में कई लोगों की घर-गृहस्थी पानी में डूब गयी है। तटबंध पर बसेरा लिये ये लोग पुनर्वास की राह ताक रहे हैं।

अंबेडकरनगर में सरयू अभी भी खतरे के निशान से ऊपर 
अम्बेडकरनगर में खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर सरयू बह रही है। हाल यह है कि टांडा और आलापुर तहसील क्षेत्र के चार दर्जन गांवों के घरों में पानी घुस गया और बिजली सप्लाई ठप पड़ी है। पशुओं के चारे के संकट के बीच बाढ़ से प्रभावित 109 परिवार मदद की आस में हैं। सरयू के जलप्रवाह की चपेट वाले क्षेत्रों में संक्रामक रोग का प्रकोप हो चला है। लोग पानी और मच्छर जनित रोगों की चपेट में आ रहे हैं। वहीं पशुओं में खुरपका और मुंहपका का प्रकोप है। पशु चिकित्सा विभाग की ओर से पशुओं का टीकाकरण और स्वास्थ्य विभाग की मेडिकल टीम लोगों का इलाज करते हुए दवाओं का वितरण कर रही है। बाढ़ पीड़ित विस्थापितों में 20 किग्रा चावल, 10 किग्रा आलू, एक किग्रा अरहर दाल, एक लीटर सरसों का तेल, पांच लीटर मिट्टी तेल, मोमबत्ती, माचिस व अन्य जरूरी सामग्री का वितरण किया गया है। 

 

 

 

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