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मैराथन बैठको के बाद भी नही हो सका वेतन समझौता

कोयला कर्मियों के दसवें वेतन समझौते को लेकर ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी फॉर कोल इंडस्ट्री (जेबीसीसीआई-10) की सातवीं बैठक तीन दिन तक चलने के बाद भी बेनतीजा रही। 50 फीसद इजाफे की मांग कर रहे श्रमिक संगठन...

मैराथन बैठको के बाद भी नही हो सका वेतन समझौता
अनपरा (सोनभद्र)। निज संवाददाताSun, 20 Aug 2017 05:27 PM
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कोयला कर्मियों के दसवें वेतन समझौते को लेकर ज्वाइंट बाइपरटाइट कमेटी फॉर कोल इंडस्ट्री (जेबीसीसीआई-10) की सातवीं बैठक तीन दिन तक चलने के बाद भी बेनतीजा रही। 50 फीसद इजाफे की मांग कर रहे श्रमिक संगठन 21 प्रतिशत वेतन वृद्धि तक मानने को तैयार हो गये किन्तु प्रबंधन किसी भी हालत में 14 फीसद वेतन वृद्धि से अधिक देने को तैयार नही हुआ। 

बैठक की अध्यक्षता कर रहे कोल इंडिया के चेयरमैन एस भट्टाचार्य और उनकी टीम ने वेतन मद में सालाना तीन हजार करोड़ से बढ़ाकर चार हजार करोड़ रुपये तक की वृद्धि का प्रस्ताव यूनियनों के सामने रखा लेकिन श्रमिक संगठनों ने उसे नकार दिया। शनिवार शाम तक समझौते को लेकर पूरी तरह आशांवित एनसीएल समेत विभिन्न कोयला कम्पनियों के लगभग तीन लाख से अधिक कोयला कर्मियों को इससे भारी निराशा हुयी। आगामी 24 अगस्त को अब पुन: दिल्ली में जेबीसीसीआई-10 की बैठक बुलायी गयी है जिसमें माना जा रहा है कि समझौते को लेकर आरपार की वार्ता होना तय है। 

बीते गुरूवार से शुरू हुयी बैठक में तीन दिनों के दौरान लगभग 22 घण्टें प्रबंधन और यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच वेतन वृद्धि को लेकर जमकर मोलभाव हुआ। नतीजा रहा कि यूनियने 21 प्रतिशत तक वेतन वृद्धि पर सहमत हो गयी लेकिन पेंच तब अटका जब शुरूआती सकारात्मक संकेत देने के बाद प्रबंधन ने संसाधनों की कमी बताकर 14 प्रतिशत से ऊपर जाने में मजबूरी जता दी। 24 को बैठक निर्णायक हो सकती है।

समझौते में कोल इंडिया बोर्ड के बाहरी निदेशक बाधक
बैठक में शामिल एचएमएस के नाथूलाल पाण्डेय ने बताया कि प्रबंधन की सोच बार-बार बदल रही है। वार्ता विफल होने के बाद चारो यूनियनों ने अब अपनी रणनीति तय कर ली है। आगामी 23 अगस्त को दिल्ली में एक बार फिर यूनियने बैठक कर समझौते को लेकर संयुक्त निर्णय लेने के बाद बैठक में पहुंचेंगी। बीएमएस के जेबीसीसीआई सदस्य बीके राय का कहना है कि प्रबंधन और यूनियने दोनों समझौते को लेकर पूरी कोशिश कर रही है। कोल इंडिया बोर्ड ने बाहरी निदेशको की मौजूदगी से पेंच फंस रहा है। प्रबंधन 4500 करोड़ रुपये तक देने को तैयार है लेकिन यूनियनों की मांग लगभग 5500-5600 करोड़ तक पहुंच रही है। कोल इंडिया बोर्ड के बाहरी निदेशको द्वारा यह स्वीकार्य नही है। अधिकारियों की 15 प्रतिशत हुयी वेतन वृद्धि का भी प्रबंधन हवाला दे रहा है। प्रयास होगा कि इन दोनों चुनौतियों से पार पाया जा सके। 

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