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रामजन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु

कस्बे में तहसील मोड़ पर चल रही कथा में वृंदावन के बाल व्यास महाराज ने रामजन्म का प्रसंग सुनाया। व्यास जी ने कहा कि अयोध्या के राजा दशरथ घर पुत्रों का जन्म होता है। चारों पुत्रों का नामकरण अपने पुरोहित...

रामजन्म की कथा सुनकर भावविभोर हुए श्रद्धालु
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरSun, 24 Sep 2017 05:29 PM
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कस्बे में तहसील मोड़ पर चल रही कथा में वृंदावन के बाल व्यास महाराज ने रामजन्म का प्रसंग सुनाया। व्यास जी ने कहा कि अयोध्या के राजा दशरथ घर पुत्रों का जन्म होता है। चारों पुत्रों का नामकरण अपने पुरोहित गुरु वशिष्ट के द्वारा कराया। बताया कि गुरु वशिष्ट ने बड़े पुत्र का नाम श्रीराम, भरत, लक्ष्मन, शस्त्रुघन रखा है। उधर, राक्षसों से परेशान महर्षि विश्वामित्र राजा दशरथ के दरबार में पहुंच कर अपनी रक्षा के लिए श्रीराम व लक्ष्मण को मांगते हैं। तत्पश्चात दोनों राजकुमार गुरु के साथ आश्रम में पहुंच जाते हैं। कथा व्यास ने बताया कि गुरु दोनों राजकुमारों को अस्त्र शस्त्र की विद्या सिखाते हैं। थोड़े से ही समय में दोनों विद्या में निपुण हो जाते हैं। एक दिन जनकपुर से महर्षि विश्वामित्र के लिए सीता स्वंबर संदेश आता है। लक्ष्मण के आग्रह पर गुरु विश्वामित्र दोनों राजकुमारों को अपने साथ जनकपुर ले जाते हैं। गुरु का आशीर्वाद लेकर राम ने पलक झपते ही धुनष तोड़ दिया। सीता ने राम के गले में जयमाला डाल दी। इस दौरान मनोहारी झांकी देखकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। आरती के बाद प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन हुआ। परीक्षित रामाधार गुप्ता ने कथा वाचक के तिलक लगाया। इस दौरान आकाश गुप्ता, अजय बाबू, दीपू राजा, आलोक बाबू, रामगोपाल गुप्ता, अभिषेक सराफ, राममोहन, विजय कुमार, अनिल कौशल, टेनी, मल्लू, सचिन, सौरभ, अशोक आदि ने कथा का श्रवण किया।

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