गुरुजनों से बिछुड़ने पर नम हुईं साधकों की आंखें
बाबा विश्वनाथ यात्री निवास में आयोजित रामाश्रम सत्संग मथुरा के अध्यात्मिक सत्संग समारोह का मंगलवार को समापन हो गया। गुरुजनों ने सत्संग में प्रवचन से सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए संतों की शरण में जाने...
बाबा विश्वनाथ यात्री निवास में आयोजित रामाश्रम सत्संग मथुरा के अध्यात्मिक सत्संग समारोह का मंगलवार को समापन हो गया। गुरुजनों ने सत्संग में प्रवचन से सच्चे सुख की प्राप्ति के लिए संतों की शरण में जाने की अपील की। सत्संग के समापन पर गुरुजनों से बिछुड़ने पर साधकों की आंखें नम हो गईं।
सत्संग के अंतिम सत्र में टुंडला के गृहस्थ संत प्रभुदयाल शर्मा ने कहा कि गुरु महाराज डा. चतुर्भुज ने रामाश्रम सत्संग के विचारक्रांति को जन्म दिया। उनकी विचारक्रांति का विस्तार आज लाखों सत्संगियों के मन में हो चुका है। बोले कि हर साल होने वाले अध्यात्मिक सत्संग में आने वाले साधकों को ध्यान साधना से मन की शांति प्राप्त करने का तरीका सिखाया जाता है। उन्होंने कहा कि रामाश्रम सत्संग में नियमों से परे और बिना किसी भेदभाव के आत्मज्ञान की साधना कराई जाती है। जिससे अलौकिक व परलौकिक दोनों ही तरह की शांति प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि गुरु ही एक ऐसा साधन है जो आत्मसंतुष्टि दिला सकता है। गुरु के सानिध्य में ही सच्चे सुख की प्राप्ति संभव है। इस मौके पर अहमदाबाद के राजेंद्र गुप्ता, लखनऊ के डा. सुभाष शर्मा, राजदेव सिंह ने प्रवचन के माध्यम से गुरु और साधकों के बीच संबंधों को समझाया। सुबह के समय ध्यान साधना में सत्संगियों ने हिस्सा लिया। समापन पर सत्संगियों ने साथी सत्संगियों व गुरुजनों से विदा ली।