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नमो नमो अंबे दुख हरनि..निराकार है ज्योति तुम्हारी

शारदीय नवरात्र के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा हुई। दानवों, असुरों व पापियों का नाश करने वाली देवी भक्तों के सभी दुखों को हरती हैं। देवी मां की आराधना से गृहस्थों व विवाह के...

नमो नमो अंबे दुख हरनि..निराकार है ज्योति तुम्हारी
हिन्दुस्तान टीम,शाहजहांपुरTue, 26 Sep 2017 12:44 PM
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शारदीय नवरात्र के छठे दिन देवी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा हुई। दानवों, असुरों व पापियों का नाश करने वाली देवी भक्तों के सभी दुखों को हरती हैं। देवी मां की आराधना से गृहस्थों व विवाह के इच्छुक लोगों को मनोकामना पूरी होती है। मां भवानी के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा अर्चना के लिए मंगलवार को भक्तों आराधना की। सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई के बाद नित्यकर्म से निवृत्ति हुए। स्नानादि के बाद देवी मां के आराधना का दौर शुरू हुआ। नौ दिनों का उपवास रखने वाले भक्तों ने घट स्थापना कर रखी है। जौ को पानी देकर सिंचाई की गई। इसके बाद देवी मां का आहवान किया गया। दुर्गा शप्तशती का पाठ हुआ। देवी मां को भोग लगाया गया। मंदिरों मे सुबह से भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ मंदिरों में भक्तों ने विशेष पूजा अर्चना कराई। दुर्गा मंदिर में महाआरती हुई। संकट मोचन व बाबा विश्वनाथ मंदिर में महिलाओं ने ढोलक की थाप पर देवी मां के छंद गाए। प्राचीन शिव मंदिर लाला तेली बजरिया के पुजारी सुरेश मिश्रा ने बताया कि महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया। महर्षि कात्यायन के नाम पर ही देवी का नाम कात्यायनी हुआ। मां कात्यायनी अमोद्य फलदायिनी हैं। यह दानवों, असुरों और पापी जीवधारियों का नाश करने वाली देवी कहलाती हैं। उनकी चार भुजाएं और सिंह की सवारी है।

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