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इस्लाम मजहब से खारिज विवाहिता को पुन:करना होगा निकाह

वाराणसी में भगवान राम के चित्र के समक्ष आरती करने वाली महिला नाजनीन अंसारी द्वारा दारुल उलूम पर मुकदमा करने की धमकी दी है, जबकि उलेमा-ए-कराम ने दो टूक कहा कि इस्लाम मजहब से खारिज महिला या पुरुष को...

इस्लाम मजहब से खारिज विवाहिता को पुन:करना होगा निकाह
हिन्दुस्तान टीम,सहारनपुरSun, 22 Oct 2017 11:12 PM
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वाराणसी में भगवान राम के चित्र के समक्ष आरती करने वाली महिला नाजनीन अंसारी द्वारा दारुल उलूम पर मुकदमा करने की धमकी दी है, जबकि उलेमा-ए-कराम ने दो टूक कहा कि इस्लाम मजहब से खारिज महिला या पुरुष को मजहब में शामिल होने के बाद यदि वह शादीशुदा है तो निकाह भी करना होगा।

इस्लाम मजहब से खारिज होने नाजनीन अंसारी द्वारा दारुल उलूम को मुकदमे की धमकी देने पर मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि इस मसले पर दारुल उलूम की तरफ से कोई बयानबाजी नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि अगर फतवा विभाग से पूछा गया तो वह अपना जवाब देगा। फतवा जाहिरी अमल पर ही लागू होता है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम किसी सियासी लाभ के लिए किए गए कृत्यों पर प्रतिक्रियाएं देना पसंद नहीं करता। वहीं दारुल उलूम जिकरिया के मोहतमिम मुफ्ती शरीफ कासमी ने कहा कि वह अपने दिए बयान पर कायम हैं। उन्होंने कहा कि अगर किंही महिलाओं ने किसी दूसरे मजहब के पेशवा के लिए पूजा या पूजा जैसा अमल किया है तो वह इस्लाम से खारिज है। इस्लाम मजहब से खारिज होने के चलते उन्हें तौबा कर इस्लाम मजहब में शामिल होना होगा। इतना ही नहीं यदि वह विवाहित है तो इस्लाम से खारिज होने के चलते अब उन्हें अपने शौहर से पुन: निकाह भी करना होगा। फतवा ऑनलाइन के संस्थापक मुफ्ती अरशद फारुकी ने भी दो टूक कहा कि इस्लाम से खारिज महिला हो या पुरुष उसे तौबा कर इस्लाम मजहब में शामिल होने के बाद अपना निकाह पुन: कराना होगा। उन्होंने कहा कि जब इस्लाम मजहब से कोई खारिज हो जाता है तो उसका निकाह टूट जाता है। इसलिए उसके मजहब में वापस होने पर शरीयतन निकाह वाजिब होता है। ========================================= किसी दूसरे की बयानबाजी को दारुल उलूम को जोड़ने पर जताया रोष 00 सियासी और प्रचार पाने के उद्देश्य से किए गए सवालों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं: मोहतमिम देवबंद। हमारे संवाददाता।दारुल उलूम के नाम से मीडिया में चलाई जा रहे समाचारों को गलत तरीके से पेश करने को लेकर संस्था के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने रोष व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम पहले ही सभी उलेमा से टीवी पर होने वाली डिबेट में शामिल होने और बेजह के बयानों को देने से परहेज बरतने का आह्वान किया है। मीडिया में आए दिन उलेमा द्वारा दिए जा रहे बयानों दारुल उलूम मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि मीडिया में किन्हीं लोगों के बयानों को दारुल उलूम से जोड़कर समाचार चलाए जा रहे हैं, जबकि दारुल उलूम सियासी और गैर जरुरी बयानबाजी पर प्रतिक्रिया देने को जरुरी नहीं मानता। नोमानी ने कहा कि विभिन्न मदरसों के उलेमा के बयानों को दारुल उलूम से जोड़कर दिखाया जाना गलत है और इनका दारुल उलूम से किसी तरह का कोई ताल्लुक (संबंध) भी नहीं होता। फिर भी उन्हें दारुल उलूम से जोड़ दिया जाता है। जिससे फजीहत दारुल उलूम को होती है। उन्होंने कहा कि दारुल इफ्ता (फतवा विभाग) शरई मसला बताता है। उन्होंने आक्रोषित स्वर में कहा कि मीडिया शरई मसलो पर बयानबाजी कर भ्रम की स्थिति पैदा कर रहा है। जो सहाफत के असूलों के खिलाफ है। मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने कहा कि उलेमा गलत रूप से दिखाई जाने वाली धार्मिक डिबेट और प्रिंट मीडिया में भी गैर जरुरी बयानबाजी से बचे। क्योंकि इसमे उलेमा के अलावा ऐसे लोगों को दानिश्वर बता पेश किया जाता है जिनका इस्लाम मजहब से कोईर वास्ता नहीं होता। ऐसे लोग जानकारी न होने के चलते सिर्फ जग हंसाई का सबब बनते हैं।

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