सहारनपुर हिंसा: 5 घंटे उपद्रवियों के कब्जे में रहा सहारनपुर, सिटी और रूरल के SP हटाए गए
जिले में पिछले 20 दिनों से पुलिस और प्रशासन को उपद्रवियों के द्वारा खुली चुनौती दी जा रही है। हर बार पुलिस फेल साबित हो रही है। मंगलवार को हुए उपद्रव में जिलेभर में पूरी तरह अराजकता का माहौल रहा।...
जिले में पिछले 20 दिनों से पुलिस और प्रशासन को उपद्रवियों के द्वारा खुली चुनौती दी जा रही है। हर बार पुलिस फेल साबित हो रही है। मंगलवार को हुए उपद्रव में जिलेभर में पूरी तरह अराजकता का माहौल रहा। उपद्रवी बेखौफ होकर पुलिसवालों को पीटते रहे और गाड़ियों में आग लगाते रहे। खुलेआम अवैध असलहों से फायरिंग करते रहे। उनके इस उपद्रव में फंसे लोग भगवान से जिंदगी की भीख मांगते नजर आ रहे थे।मंगलवार की देर रात सीएम योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर के एसपी सिटी संजय सिंह और एसपी ग्रामीण रफीक अहमद को तत्काल प्रभाव से हटा दिया। इन दोनों को किसी नई जगह तैनाती न देकर डीजीपी मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।
मंगलवार को उपद्रवियों ने सबसे ज्यादा बवाल मल्हीपुरा रोड और नाजिरपुरा रोड पर किया। दोनों जगह उन्होंने पुलिस को भी नहीं बख्शा। कई पुलिस वालों को इन उपद्रवियों ने पीट डाला। अफसरों के हमराह और अपने निजी दोपहिया वाहनों से ड्यूटी पर पहुंचे पुलिसवाले और मीडियाकर्मी इन उपद्रवियों के शिकार बने। यहां तक कि एसपी सिटी और एडीएम प्रशासन तक पर उपद्रवी हमलावर हो गए तब छोटे कमर्चारी भी भाग गए। उप्रदवियों के दुस्साहस की इंतेहा तब हो गई जब पुलिस के सामने की पुलिस चौकी को फूंक दिया गया और पुलिस कुछ नहीं कर सकी।
यात्रियों से मारपीट की
करीब एक घंटा उपद्रवियों ने ये हाल रखा कि जो दिखा उसे पीटा। वाहनों में आग लगाते रहे। नाजिरपुरा पर जिस बस में आग लगाई गई उसमें 55 यात्री बताए गए हैं, जो शाकुंभरी देवी मंदिर से लौट रहे थे। भीड़ ने इस बस को घेर लिया। कुछ उपद्रवी डीजल टैंक को फोड़ने लगे। जोर-जोर से आग लगाने की आवाजें आने लगी। डर से कांप रहे यात्रियों ने हाथ जोड़े और नीचे उतारने की मनुहार की। भीड़ में कुछ लोगों ने किसी तरह यात्रियों को नीचे उतरने दिया, लेकिन उतरने के दौरान भी उनसे मारपीट की गई।
बस में आग लगा दी
यात्री पूरी तरह उतरे भी नहीं थे कि भीड़ ने बस में आग लगा दी। राजपाल राघव का कहना है कि वह अपने छह साल के बच्चे को डाक्टर को दिखाने आया था। उसका पैर टूट गया था। किसी तरह बेटे को लेकर उतर सका। एक बार लगा था कि आज जान जानी तय है। दूसरे यात्री हरबीर सिंह का कहना था कि वह शीशे की तरफ बैठा था। भीड़ ने बाहर से उसे डंडे मारे। मेरे पास बैठी महिला यात्री के गिरने से कपड़े फट गए। आज तो मौत उन्हें सामने नजर आ रही थी।