ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News उत्तर प्रदेश रामपुरअस्पताल में नर्स-डाक्टरों से लेकर दवा तक का टोटा

अस्पताल में नर्स-डाक्टरों से लेकर दवा तक का टोटा

गोरखपुर में आक्सीजन के अभाव में 50 से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया। रामपुर के अस्पताल में आक्सीजन तो पर्याप्त है लेकिन, नर्सो और डाक्टरों का टोटा है। 150 बैड के अस्पताल में अस्पताल में 203 बैड हैं।...

अस्पताल में नर्स-डाक्टरों से लेकर दवा तक का टोटा
हिन्दुस्तान टीम,रामपुरSat, 12 Aug 2017 11:59 PM
ऐप पर पढ़ें

गोरखपुर में आक्सीजन के अभाव में 50 से अधिक लोगों ने दम तोड़ दिया। रामपुर के अस्पताल में आक्सीजन तो पर्याप्त है लेकिन, नर्सो और डाक्टरों का टोटा है। 150 बैड के अस्पताल में अस्पताल में 203 बैड हैं। उनपर भी एक-एक बैड पर तीन-तीन मरीज हैं। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद बजट भी एक चौथाई घटा दिया है। अस्पताल में सबकुछ जुगाड़ से चल रहा है। दवाओं और डाक्टरों की कमी के चलते मरीजों को अच्छा इलाज नहीं मिलता। गंभीर हालत के मरीजों को बचाने के लिए डाक्टर आनन-फानन में बाहर की दवाएं लिखकर मरीज की जान बचाने की कोशिश करते हैं। शासन को कई बार दवाओं, डाक्टरों और नर्सो की पूर्ति करने के लिए लिखा जा चुका है लेकिन जिम्मेदार तमाम मांगों पर तवज्जो नहीं देते। इसके चलते मरीजों को उचित दवाएं नहीं मिलतीं और एक-एक डाक्टर को प्रति दिन चार गुना अधिक मरीज देखना पड़ रहे हैं। जिला अस्पताल में इन दवाओं का है टोटा रेनीटिडीन . डाईसाइक्लोमीन . एटीनाल . डेक्सोना (कम है।) जिला अस्पताल को बजट 150 बैड के अनुरूप मिलता है। जबकि, इसके सापेक्ष 203 बैड अस्पताल में बिछे हैं। उनपर चार गुना अधिक मरीज रहते हैं। ऐसे में अस्पताल का बजट बढ़ाने के लिए कई बार फाइनेंस कंट्रोलर को लिखा जा चुका है। लेकिन, कोई सुनवाई नहीं है। डा. आरके ढल, सीएमएस सीएचसी टांडा में सुविधाओं का अभाव, बना रेफर सेंटर टांडा। हिन्दुस्तान संवादसामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में गंभीर रोगी के आने पर उसे उपचार नहीं मिल पाता। क्योंकि यहां पर सुविधाओं को अभाव है। चिकित्सक भी गंभीर रोगी को इलाज देने के बजाय रेफर करना ही उचित समझते है। ऐसी हालत में रोगी जिला अस्पताल जाने से पहले ही दम तोड़ देते है। क्षेत्रवासियों ने रोगियों की सुविधा के लिए एक्सरे मशीन, सीटी स्केन व अन्य सुविधाएं भी नहीं है।कहने को तो टांडा में 30 बैडो का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है। लेकिन असपताल में सुविधाए व चिकित्सक , तकनीशियन के न होने के कारण अस्पताल रोगियों के लिए खरा साबित नहीं हो रहा। रोगियों को हर छोटी बड़ी जांच के लिए जिला मुख्यालय अथवा मुरादाबाद दौड़ना पड़ता है। वहीं गंभीर रोगी के आने पर चिकित्सक भी उपकरण व जांच मशीन न होने पर रेफर कर अपना पल्ला झाड़ लेना उचित ही समझते है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें