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चूकना मत, आज से लगेंगे दिमागी बुखार के टीके

चूकना मत, घर में 15 साल तक के बच्चों को जानलेवा दिमागी बुखार के खतरे से बचाने के लिए जेई का टीका हर हाल में लगा ही लेना। इसकी चपेट में आने पर बच्चों की जान बचाना नामुमकिन है। बच भी जाए तो उसका...

चूकना मत, आज से लगेंगे दिमागी बुखार के टीके
Center,BareillyWed, 24 May 2017 11:36 PM
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चूकना मत, घर में 15 साल तक के बच्चों को जानलेवा दिमागी बुखार के खतरे से बचाने के लिए जेई का टीका हर हाल में लगा ही लेना। इसकी चपेट में आने पर बच्चों की जान बचाना नामुमकिन है। बच भी जाए तो उसका दिव्यांग होना तय है। बच्चों को इतनी खतरनाक बीमारी के खतरे से बचाने के लिए उन्हें जेई का टीका भर लगाना है और आज से स्वास्थ्य विभाग यह टीका एक से 15 साल तक के बच्चों को मुफ्त लगाएगा। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग आज से 11 जून तक जैपनीज इंसेफलाइटिस(जेई) टीकाकरण अभियान में चला रहा है।जैपनीज इंसेफलाइटिस को जेई नाम से जाना जाता है। इस बीमारी का वायरस अधिकांश 15 साल तक के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। क्यूलेक्स नामक मच्छर के काटने से इसका वायरस उनके शरीर में प्रवेश करता है और सीधे उनके दीमाग पर असर करता है। इससे बच्चों को दीमागी बुखार हो जाता है और यह उनके लिए जानलेवा तक साबित होता है। इस बुखार से पीड़ित बच्चों की मृत्युदर 80 प्रतिशत तक है। 20 प्रतिशत बच्चे जो सही होने के बाद भी इसके असर से उबर नहीं पाते हैं। इस बुखार के असर से उनके शरीर का कोई न कोई हिस्सा अपंग हो जाता है। इससे उन्हें आजीवन विकलंगता का दर्द सहना पड़ता है। इतनी गंभीर बीमारी से बच्चों को बचाने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग जिले में दूसरी बार जेई का टीकाकरण अभियान चला रहा है। वर्ष 2015 में 11 अगस्त से 23 सितंबर तक यह अभियान चलाय गया था। इसमें एक से 15 साल तक के छह लाख 72 हजार से अधिक बच्चों को टीका लगाने का लक्ष्य था। अभियान के दौरान इनमें से पांच लाख 52 हजार बच्चों का टीकाकरण हो सका। टीकाकरण से रह गए एक लाख 20 हजार बच्चों को अब इस अभियान में टीके लगाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम में ही लगता है जेई का टीकादिमागी बुखार से बच्चों को बचाने के लिए जो टीके लगते हैं वह सिर्फ सरकारी टीकाकरण कार्यक्रम के तहत ही लगाए जाते हैं। प्राइवेट स्वास्थ्य केन्द्रों पर इसका टीका नहीं लगता है। टीकाकरण अभियान के बारे में जानकारी देने के लिए मंगलवार को सीमएओ कार्यालय में विभाग की ओर से प्रेस कांफ्रेंस की गई। इसमें डीआईओ डा. सीएम चतुर्वेदी ने बताया कि जैपनीज इंसेफैलाइटिस एक प्रकार का जानलेवा दीमागी बुखार है। इसका वायरस क्यूलेक्स मच्छर के काटने से इंसानों के शरीर में प्रवेश करता है। यह वायरस 15 साल तक के बच्चों को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है। इस बुखार से पीड़ित बच्चों इलाज के बाद भी बचा पाना बहुत मुश्किल होता है। जो बच्चे बचा भी लिए जाते हैं तो वह शारीरिक विकलांग हो जाते हैं। इसलिए अभिभावक 25 मई से 11 जून तक चलने वाले जेई टीकाकरण अभियान में हर हाल में अपने 15 साल तक बच्चों का टीकाकरण करा लें। सीएमओ डा. ओपी सिंह ने अभियान में सभी लोगों से सहयोग करने की अपील की। यह हैं बीमरी के लक्षण जापानी बुखार में भी शुरू में फ्लू जैसी बीमारी के लक्षण के साथ बुखार आना,ठंड लगना, थकान होना, सिर दर्द, उल्टी आना, घबराहट होना आदि लक्षण होते हैं। इसके बाद इसका संक्रमण तेजी से बढ़ता है और दीमाग में सूजन पैदा कर देता है। इससे मरीज पैरालाइसिस या कोमा में चला जाता है। देहातों में अधिक है जेई का खतराजेई का वायरस देहातों में खेती वाली जगहों पर अधिक पाया जाता है। धान के खेतों और सुअर बाड़ों में इसका वायरस पनपता है। इसका वायरस जल के पक्षियों और सुअरों में रहता है। क्यूलेक्स मच्छर जब इनको काटता है तो इनके खून से वायरस मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाता है। इसके बाद जब यही मच्छर इंसानों को काटता है तो वायरस उनके शरीर में भी प्रवेश कर जाता है और सीधे दीमाग को प्रभावित करता है।

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