मौत को सामने देखकर भी नहीं डरा रामप्रकाश
मौत का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते है, लेकिन रामप्रकाश ने मौत को सामने देखकर भी नहीं घबराया। गन्ने के खेत पर घास काटने के दौरान बाघ ने रामप्रकाश पर हमला कर दिया। बाघ ने शरीर पर 15 से अधिक गंभीर घाव कर...
मौत का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते है, लेकिन रामप्रकाश ने मौत को सामने देखकर भी नहीं घबराया। गन्ने के खेत पर घास काटने के दौरान बाघ ने रामप्रकाश पर हमला कर दिया। बाघ ने शरीर पर 15 से अधिक गंभीर घाव कर दिए। रामप्रकाश ने भी बहादुरी दिखते हुए बाघ पर दरांती से हमला कर दिया। बाघ और रामप्रकाश के बीच कुछ सेंकेड चले संघर्ष के बाद बाघ अपनी जान बचाने को भागा तो वहीं रामप्रकाश अपनी जान बचाने को सड़क की ओर भागा। इस प्रकार रामप्रकाश ने अपनी जान बचाकर बहादुरी का काम किया। बाघ के हमले के दौरान रामप्रकाश अगर थोड़ा से डर जाता तो कुछ भी हो सकता था लेकिन उसने हिम्मत दिखाई। 45 मिनट लेट पहुंची एम्बुलेंस बाघ के हमले की सूचना 108 एम्बुलेंस को दी गई लेकिन एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंची। एम्बुलेंस के लेट होने पर तहसीलदार ने अपने वाहन से घायल हो जिला अस्पताल के लिए रवाना किया। रास्ते में 108 एम्बुलेंस मिली तो तहसीलदार के वाहन से एम्बुलेंस में घायल को शिफ्ट किया गया। इसके बाद उसे जिला अस्पताल भेजा गया। एम्बुलेंस के समय पर न पहुंचने पर ग्रामीणों ने आक्रोश फैल गया। पहले मुआजा दो फिर करो कांबिंग बाघ के हमले के बाद घटनास्थल पर वनविभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। कांबिंग के लिए दो हाथियों को मौके पर बुलाया गया, लेकिन ग्रामीणों ने कांबिंग कराने से मना कर दिया। ग्रामीणों की मांग की थी कांबिंग के दौरान उनकी फसल खराब होगी। पहले मुआवजा दो इसके बाद कांबिंग होने देंगे। काफी देर तक वनअधिकारियों और ग्रामीणों ने नोकझोक होती रही, लेकिन ग्रामीण मांगों पर जमे रहे। काफी प्रयास के बाद भी वनविभाग को सफलता नहीं मिली। इसके बाद बिना कांबिग के ही हाथियों को लौटना पड़ा। इस दौरान काफी संख्या में लोग मौके पर पहुंचे।