गर्भवती बीवी के कातिल को चौदह साल की कैद
घटना कुढ़ फतेहगढ़ में सात साल पहले की है। दहेज के लिए पत्नी के इलाज न कराने के लिए महिला की मौत के खिलाफ उसके पति और ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। कुढ़ के सूरजपाल यादव की बेटी ममता की...
घटना कुढ़ फतेहगढ़ में सात साल पहले की है। दहेज के लिए पत्नी के इलाज न कराने के लिए महिला की मौत के खिलाफ उसके पति और ससुरालियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। कुढ़ के सूरजपाल यादव की बेटी ममता की शादी तेजपाल से 24 अप्रैल, 2008 को हुई थी। आरोप है कि पति और परिवार के लोग दहेज और उम्र से सात साल बड़ी होने का ताना देने लगे। पिता की दर्ज रिपोर्ट में कहा गया कि ममता को कई बार घर से निकाला भी गया। घटना 27 जनवरी, 2010 को हुई। आरोप है कि घटना वाले दिन महिला से मारपीट की गई। जिससे महिला गर्भस्थ शिशु की मौत से शरीर में भी जहर फैला। पर समय पर इलाज न हुआ। उसकी मौत होने पर उसके शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया। मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट एडीजे-प्रथम सत्य प्रकाश द्विवेदी की अदालत में हुई जहां साक्ष्य और रिपेार्ट के आधार उसे पति को दोषी करार दिया गया। एडीजीसी रेशमा बेगम का कहना है कि शव के अंतिम संस्कार से उसका पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। मंगलवार को कोर्ट ने दोषी को चौदह साल की सजा दी। उसपर नौ हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। आगरा के सजायाफ्ता की सजा बरकरार मुरादाबाद। आगरा से सजायाफ्ता एक कैदी के खिलाफ मुरादाबाद में निचली कोर्ट से हुई सजा के फैसले को कोर्ट ने बरकरार रखा। कैदी के खिलाफ ट्रेन से फरार होने के मामले में मुंसिफ मजिस्ट्रेट ने सजा दी है। आगरा के रहीस को पेशी के सिलसिले में मुरादाबाद कोर्ट में 26 जून, 1997 को पेश किया गया था। पर रहीस ट्रेन से ले जाते समय फरार हो गया। आगरा कैंट ट्रेन में सवार कैदी के राजघाट में फरारी पर मुकदमा कायम कराया गया। यह मुकदमा मुरादाबाद कोर्ट में चला। एमएम-2 कोर्ट की सजा के खिलाफ उसकी ओर से 7 नवंबर,2011 को अपील दायर की गई जहां एडीजे-8 सीएस यादव ने निचली कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।