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तीसरे दिन हड़ताल पर राज्यकर्मचारी कार्रवाई के खिलाफ गरजे

तहसील में मंडलायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई का विरोध जारी है। कलक्ट्रेट के कर्मचारियों ने तीसरे दिन हड़ताल पर रहे और कलक्ट्रेट परिसर में धरना दिया। आंदोलनकारियों ने कार्रवाई को गलत ठहराया और सवाल...

तीसरे दिन हड़ताल पर राज्यकर्मचारी कार्रवाई के खिलाफ गरजे
हिन्दुस्तान टीम,मेरठThu, 10 Aug 2017 09:10 PM
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तहसील में मंडलायुक्त द्वारा की गई कार्रवाई का विरोध जारी है। कलक्ट्रेट के कर्मचारियों ने तीसरे दिन हड़ताल पर रहे और कलक्ट्रेट परिसर में धरना दिया। आंदोलनकारियों ने कार्रवाई को गलत ठहराया और सवाल उठाए। कर्मचारियों पर लगे आरोप वापस नहीं लेने तक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया। इस बीच अदालतों में काम नहीं हो पाया। मंडलायुक्त डॉ प्रभात कुमार ने तहसील में छापेमारी की थी। जिसके बाद नाजिर रण सिंह समेत अन्य कर्मचारियों के खिलाफ सिविल लाइन में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके विरोध में राज्यकर्मचारियों ने मोर्चा खोल दिया था। उत्तर प्रदेश मिनिष्ट्रियल कलक्ट्रेट कर्मचारी संघ के बैनर तले कार्य बहिष्कार करते हुए कलक्ट्रेट में धरना शुरू कर दिया था। गुरुवार को तीसरे दिन भी कर्मचारी हड़ताल पर रहे और काली पटटी बांधकर परिसर में धरना दिया। संगठन के पदाधिकारियों ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि कार्रवाई पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि कर्मचारियों के पास अधिक काम है। इसलिए कर्मचारी रखे गए। किसी भी दफ्तर में उस दफ्तर के अधिकारी की मर्जी के बगैर प्राइवेट कर्मचारी नहीं जा सके। जबकि इस मामले में केवल कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई है अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं किया गया। ऐसा करके कर्मचारियों का उत्पीड़न किया गया है। थोड़ी सी तनख्वाह पर सालों से काम करने वालों की रोजीरोटी छीनकर मुकदमा करा दिया है। आंदोलन के चलते प्रशासनिक अधिकारियों कीअदालतों में कामकाज नहीं हो पाया। संगठन की जनपद शाखा के अध्यक्ष सुरेश चंद शर्मा ने कहा कि जब तक कर्मचारियों पर एफआईआर वापस नहीं ली जाएगी। रजिस्ट्रार कानूनगो संघ, लेखपाल संघ ने नैतिक समर्थन दिया है। सचिव भगवानदास, सत्यनारायण शर्मा, नागेश दत्त शर्मा, राजेश कुमार, शकील अहमद, अरुण कुमार शर्मा आदि मौजूद रहे। भटकते रहे लोग मेरठ। कर्मचारियों के आंदोलन के चलते प्रशासनिक अधिकारियों के दफ्तर और अदालतों में काम नहीं हो पाया। इससे जनपद के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लोग परेशान घूमते रहे। प्रमाण पत्र बनवाने वालों की संख्या लगातार बनी रही। हड़ताल खत्म होने के बारे में पूछकर लौटे।

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