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मेरठ की मिलों को गन्ना आवंटन आज, किसान पहुंचे लखनऊ

चीनी मिलों को गन्ना क्षेत्र आंवटन के लिए होने वाली सुरक्षण बैठकें सोमवार से से लखनऊ में शुरू हो रही हैं। पहले दिन मेरठ मंडल की चीनी मिलों का ही नंबर है। 12 तारीख को सहारनपुर की मिलों को गन्ना आवंटन...

मेरठ की मिलों को गन्ना आवंटन आज, किसान पहुंचे लखनऊ
हिन्दुस्तान टीम,मेरठMon, 11 Sep 2017 02:15 AM
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चीनी मिलों को गन्ना क्षेत्र आंवटन के लिए होने वाली सुरक्षण बैठकें सोमवार से से लखनऊ में शुरू हो रही हैं। पहले दिन मेरठ मंडल की चीनी मिलों का ही नंबर है। 12 तारीख को सहारनपुर की मिलों को गन्ना आवंटन के लिए मीटिंग होगी। रविवार को किसानों का प्रतिनिधिमंडल नौचंदी से लखनऊ के लिए रवाना हो गया। यूपी की चीनी मिलें 2016-17 के दौरान 82 लाख टन चीनी का उत्पादन कर देश में नंबर वन रही थीं। आम तौर पर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें अक्टूबर में पेराई शुरू नहीं करती हैं, इसलिए अक्टूबर में पेराई शुरू होना उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के लिए नई चीज है।अक्टूबर मे चीनी मिलें चालू होने का मिलों, सरकार और उपभोक्ताओं, सभी को फायदा मिलेगा। जल्द पेराई शुरू करने से मिलों, विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को गुड़ एवं खांडसारी इकाइयों को गन्ने की आपूर्ति कम करने में मदद मिलेगी। यूपी में यह पहला मौका है जब गन्ना सुरक्षण बैठकें पंद्रह सितंबर के पहले होने जा रही हैं। इससे मिलें करीब एक महीने पहले पेराई शुरू कर पाएंगी। प्रदेश में आमतौर पर गन्ने की पेराई नवंबर के मध्य में शुरू होती रही है, जिसकी वजह खेतों में खड़ी खन्ने की फसल का देरी से पकना है। अबकी बार वेस्ट यूपी में 70 फीसदी से ज्यादा गन्ना रकबा अगेती प्रजातियों का है। इस वजह से जल्द पेराई शुरू करने में मिलों को नुकसान नहीं होगा। इस्मा का अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरे साल 2017-18 में गन्ने का भारी उत्पादन होगा। विनोद कलंजरी बोले किसानों की नहीं किसी को परवाह गन्ना सुरक्षण बैठकें पहले मंडलवार होती थीं। करीब साल से यह मीटिंग लखनऊ में ही हो रही हैं। विनोद कलंजरी ने केन कमिश्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा है कि मेरठ , रमाला , नरौरा , हरिद्वार , ग़ाज़ियाबाद, लखनऊ में 30 बैठकें कीं। कलंजरी ने कहा कि वह अब सुरक्षण बैठक में नही जाएंगे। मिल प्रबंधन अब उनकी मदद करता है जो किसानो के आंदोलन तोड़ने का काम करता है । कलंजरी ने कहा कि सरकारें कोई भी हों , गन्ना किसानों की किसी ने परवाह नहीं की ।

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