कॉलेज पर भारी पडे छात्र, नहीं दिया पेपर
चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी कैंपस के सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज पर परीक्षा का बहिष्कार कर रहे बीटेक प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ष के छात्र भारी पड गए हैं। तीनों ही वर्षों के छात्र मंगलवार को पेपर देने...
चौ.चरण सिंह यूनिवर्सिटी कैंपस के सर छोटूराम इंजीनियरिंग कॉलेज पर परीक्षा का बहिष्कार कर रहे बीटेक प्रथम, द्वितीय, तृतीय वर्ष के छात्र भारी पड गए हैं। तीनों ही वर्षों के छात्र मंगलवार को पेपर देने नहीं पहुंचे। शाम की पाली में द्वितीय वर्ष के छात्र बैक पेपर देने आए, लेकिन उन्हें कॉलेज ने रोक दिया। कॉलेज ने मुख्य परीक्षा छोड़ने और केवल बैक पेपर देने की अनुमति नहीं दी। देर शाम निदेशक एवं फेकल्टी सहित प्रशासन हॉस्टल पहुंचे और छात्रों से परीक्षा के लिए अपील की। छात्रों ने कॉलेज को पेपर देने से इंकार कर दिया। हालांकि कॉलेज ने दावा कि परीक्षा यथावत चलती रहेंगी। आज भी पेपर होगा। छात्रों से कॉलेज की वार्ता और मंगलवार से परीक्षा सुचारू होने का दावा हवाई साबित हुआ। उक्त तीनों वर्षों के स्टूडेंट पेपर देने नहीं पहुंचे। कॉलेज में फेकल्टी और प्रशासन छात्रों का परीक्षा के लिए इंतजार करता रहा, लेकिन वे नहीं पहुंचे। कॉलेज ने छात्रों के साथ दुपहर में भी वार्ता की, लेकिन कोई भी पेपर देने को तैयार नहीं हुआ। शाम को सभी हॉस्टल में किसी ने पेपर स्थगित होने की अफवाह फैला दी। इसके बाद कॉलेज प्रशासन और फेकल्टी हॉस्टल पहुंची। यहां सभी ने छात्रों को समझाते हुए पेपर देने की अपील की। कॉलेज प्रशासन ने कहा कि परीक्षा किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेगी। छात्र पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार परीक्षा में शामिल हों। लेकिन तीन घंटे की मशक्कत के बावजूद कॉलेज प्रशासन खाली हाथ रहा। छात्र अगस्त में ही पेपर देने पर अडे़ रहे। छात्रों ने कहा कि यदि उन्होंने पेपर दे दिए तो उनकी छात्रवृत्ति नहीं आएगी। कॉलेज भी इसके लिए कोई कार्रवाई नहीं करेगा। वे फंस जाएंगे। छात्रों ने कहा कि वे अगस्त से पहले पेपर देने को तैयार नहीं हैं। राजनीति या वास्तविकता मेरठ। छात्रों के बहिष्कार के आगे कॉलेज प्रशासन लगभग बैकफुट पर है। शुरुआत में कॉलेज में आपसी राजनीति और एक-दूसरे को टारगेट कराने की प्रक्रिया अब कॉलेज पर ही भारी पड़ने लगी है। छात्र अधिकारियों से लेकर फेकल्टी तक किसी की मानने को तैयार नहीं हैं। सूत्रों के अनुसार यदि शुरू से ही छात्रों से बात करके आपसी सहमति बना ली होती तो यूनिवर्सिटी की यह किरकिरी नहीं होती। कॉलेज का दावा कि कुछ लोग राजनीति कर रहे हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिर चुनिंदा नेताओं के पीछे सारे छात्र कैसे हो लिए। कॉलेज प्रशासन छात्रों को अपने पाले में क्यों नहीं ला सका।