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मथुरा में उमड़ा कान्हा के दीवानों का मेला

महायोगी श्रीकृष्ण की जन्मस्थली अपने भक्तों की श्रद्धा से आह्लादित रही है। ये कान्हा के दीवानों का मेला है। अपने इष्ट के जन्म का उत्सव मनाने कृष्णधाम पहुंचे ये दीवाने ब्रज की रज को छाती-माथे लगाकर...

मथुरा में उमड़ा कान्हा के दीवानों का मेला
हिन्दुस्तान टीम,मथुराMon, 14 Aug 2017 08:55 PM
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महायोगी श्रीकृष्ण की जन्मस्थली अपने भक्तों की श्रद्धा से आह्लादित रही है। ये कान्हा के दीवानों का मेला है। अपने इष्ट के जन्म का उत्सव मनाने कृष्णधाम पहुंचे ये दीवाने ब्रज की रज को छाती-माथे लगाकर धन्य हो रहे हैं। यहां जर्रे-जर्रे में कृष्ण नाम की खुशबू बिखरी हुई है। ऐसा जन्म और जन्मोत्सव कृष्ण कन्हैया का ही हो सकता है, जिसके मोहपाश में देश-दुनिया खिंची चली आ रही है। रेल-बस स्टेशन हो, गली कूंचे हों, सड़क-चौराहे, होटल-रेस्टोरेंट या फिर धर्मशालाएं हर जगह कृष्ण के दीवानों का डेरा है। दो दिन पहले से ही यह जत्था आना शुरू हो गया और जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर मथुरा विश्वग्राम बन गया। जिनका कोई ठिकाना नहीं, उन्हें भी कोई अफसोस नहीं। सड़क पर ही भोजन हो रहा है और सड़क ही बिछौना बन गया है। यात्रा की दुश्वारियां भूलकर बच्चे, बूढ़े-जवान सभी की आंखें अजन्मे के जन्म के दिव्य पलों के लिए आतुर हैं। जो पहली बार पहुंचे हैं, उनके लिए यह उत्सव अचंभे से कम नहीं। कृष्ण धाम की दरों-दीवारों को अपलक निहार रहे हैं। जन्मस्थान की लंबी कतारों से कुछ दूर खड़े चित्रकूट जमुना प्रसाद आंखों से खुशी की अश्रुधार बह रही थी। आहट मिली तो जैसे किसी ने ध्यान से जगा दिया हो। देखते ही श्रद्धा से हाथ जोड़ लेते हैं। बोले, बहुत दिनों से कन्हैया के इस पल का साक्षी बनने की लालसा थी, वह आस पूरी हो गई। वहीं पास की एक दुकान पर बस्ती की शकुंतला कन्हैया की प्रिय वस्तुओं में खोई हुई हैं। उन्हें बस उस अवसर का इंतजार है, जब वह कान्हा का दीदार होगा। जन्मस्थान ही नहीं, वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, गोवर्धन हर जगह भक्तों का जत्था आनंद रस से सराबोर हो रहा है। मंदिरों की झिलमिलाती रोशनी देखते ही बनती है। श्रद्धालुओं के स्वागत में ब्रजवासी पलक पांवड़े बिछाए बैठे हैं। जगह-जगह भंडारे की तैयारियां चल रही हैं। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। कृष्ण जन्मस्थान पर ऐसे होगा जन्मोत्सव 15 अगस्त की सुबह ठाकुरजी पोषाक धारण करके दर्शन देंगे। मंगला-दर्शन से पूर्व भगवान यह पोशाक धारण करेंगे। 15 को प्रात: शहनाई, नगाड़ों की ध्वनि के बीच मंगला आरती होगी। सुबह 8 बजे प्रात: अभिषेक के बाद कमल और गुलाब के पुष्पों से सहस्रार्चन एवं स्त्रोत पाठ होगा। प्रातर: 9 बजे श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत श्रीनृत्यगोपाल दास, कार्ष्णि गुरु शरणानंद के सानिध्य में लीलामंच पर पुष्पांजलि होगी। कथावाचिका कीर्ति किशोरी भजन गायन करेंगी। अपराह्न 3 बजे से सायं 7 बजे तक लीला मंच पर फिर भजन चलेगा। देर शाम 8 बजे से लीला कार्यक्रम शुरू होंगे। जन्म महाभिषेक का मुख्य कार्यक्रम भागवत भवन में 15 अगस्त को रात्रि 11 बजे श्रीगणेश-नवग्रह आदि पूजन से शुरू होगा। रजत निर्मित कामधेनु का पूजन और देवताओं का आह्वान होगा कि वे गऊ के शरीर में विराजमान होकर स्वयं ठाकुर जी का अभिषेक करें। पुनरू सहस्रार्चन होगा। रात्रि 12 बजे कन्हैया का प्राकट्य होगा। उसके साथ ही आरती शुरू हो जाएगी, जो रात्रि 12.04 मिनट तक चलेगी। 12.05 मिनट पर भगवान के चल विग्रह अभिषेक स्थल पर पधारेंगे और कामधेनु के यंत्र चालित थनों से दुग्ध की धारा बहेगी ओर 12.10 बजे तक अभिषेक होगा। फिर शंख और कलश से 12.35-40 तक अभिषेक चलेगा। इसके बाद शृंगार और शृंगार आरती होगी। यह कार्यक्रम लगभग एक बजे तक पूर्ण होगा। जनता के लिए दर्शन रात्रि 1.30 बजे तक खुले रहेंगे। सेवादारों के लिए दो बजे तक दर्शन इस बार रात्रि 1.30 से दो बजे तक मंदिर सेवा में लगे सेवादार, पुलिस, प्रशासन कर्मी, मंदिर के कर्मी, संकीर्तन मंडल, लीला मंडली के लोगों के लिए आधा घंटे तक दर्शन खुले रहेंगे। साथ ही 1.30 बजे तक मंदिर परिसर में प्रवेश कर चुके आम लोग भी इस दौरान दर्शन कर सकेंगे।

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