175 मीट्रिक टन कूड़ा रोज उगल रहा शहर
शायद यकीन न आए, लेकिन यह सच है कि अकेले मथुरा-वृंदावन शहर के वाशिंदे रोजाना 175 मिट्रिक टन कूड़ा पैदा कर देते हैं। इनमें अकेले मथुरा में 150 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। सुबह होते ही इतना कूड़ा शहर के 60...
शायद यकीन न आए, लेकिन यह सच है कि अकेले मथुरा-वृंदावन शहर के वाशिंदे रोजाना 175 मिट्रिक टन कूड़ा पैदा कर देते हैं। इनमें अकेले मथुरा में 150 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। सुबह होते ही इतना कूड़ा शहर के 60 से अधिक छोटे-बड़े डलावघरों के अलावा कदम-कदम पर बिखरा नजर आता है। संसाधनों के अभाव में इस कूड़े को उठाने में अब नगर निगम की कमर टूटने लगी है।
ये आंकड़े तो सिर्फ मथुरा-वृंदावन नगर पालिका परिषद के क्षेत्र के हैं। यदि नगर निगम के दायरे से आकलन किया जाए तो दोनों ही शहरों की सीमाएं अब 10 किमी और बढ़ गई हैं। ऐसे में आने वाले समय में 100 मिट्रिक टन कूड़े का भार और बढ़ने जा रहा है। इसके निस्तारण को तो अभी निगम ने कोई तैयारी नहीं की है।
1100 की जरूरत, 700 कर्मचारी
वर्तमान में निगम के पास 700 कर्मचारी हैं, जबकि 1100 कर्मचारियों की जरूरत और बताई जा रही है। दायरा बढ़ने के हिसाब से जेसीबी व ट्रैक्टरों की बड़ी जरूरत है। कर्मियों का अभाव इस कदर है कि एक-एक वार्ड में मात्र चार से आठ सफाईकर्मी ही नियुक्त हैं। यही वजह है कि अधिकांश कॉलोनियों में तो महीनों सफाई नहीं हो पाती।
संसाधनों की कमी की वजह से जनता की समस्याओं को समय से पूरा करने में दिक्कत आ रही है। आवश्यक पदों को निगम द्वारा शासन को डिमांड भेजी गई है।
केके सिंह, मुख्य सफाई निरीक्षक