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वर्षों पुरानी बेड़ियों से आजादी मिल गई

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तीन तलाक को लेकर प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। मुस्लिम महिलाओं को इसी तरह के फैसले की उम्मीद थी। मुस्लिम वर्ग में भले ही सार्वजनिक रूप से इस फैसले का स्वागत...

वर्षों पुरानी बेड़ियों से आजादी मिल गई
हिन्दुस्तान टीम,मैनपुरीTue, 22 Aug 2017 09:04 PM
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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तीन तलाक को लेकर प्रतिक्रियाएं शुरू हो गईं। मुस्लिम महिलाओं को इसी तरह के फैसले की उम्मीद थी। मुस्लिम वर्ग में भले ही सार्वजनिक रूप से इस फैसले का स्वागत न हुआ हो लेकिन जिससे भी बात हुई सभी ने फैसले का तहे दिल से स्वागत किया और कहा कि तीन तलाक का फैसला मुस्लिम महिलाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। मुस्लिम वर्ग की महिलाओं ने फैसले पर कहा कि उन्हें वर्षों पुरानी बेड़ियों से आजादी मिल गई। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे पर मंगलवार को अपना फैसला दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि इस फै सले पर अमल कराने के लिए कानून बनाया जाए। इसके लिए 6 माह का समय दिया गया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद मुस्लिम मौलानाओं, उलेमाओं ने तीन तलाक पर अपनी मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है। खानकाह रशीदिया के सज्जादा नशीन अब्दुल रहमान उर्फ बबलू मियां ने कहा कि सरकार मुस्लिम वर्ग की शिक्षा उनके विकास और तरक्की की मुख्य धारा में लाने के लिए भी ठोस पहल करे। फैसले से खुश राबिया ने कहा कि तीन तलाक कह देने भर से निकाह जैसे पवित्र रिश्ते को खत्म नहीं किया जा सकता। शरियत का फैसला धार्मिक एकता के लिए जरूरी है लेकिन इंसानी रिश्तों में तीन तलाक से अक्सर मुश्किलें पैदा होती रही हैं। शायद अब मुस्लिम महिलाओं को इन मुश्किलों से निजात मिल सकेगी। अधिवक्ताओं ने फैसले को बताया ऐतिहासिक मैनपुरी। कोर्ट ने तीन तलाक के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाकर सरकार को कानून बनाने के लिए कह दिया है। इस फैसले को लेकर जिले के वकील भी खुश हैं। अधिवक्ता संजय त्रिवेदी का कहना है कि फैसला ऐतिहासिक है। सालों से मुस्लिम वर्ग की महिलाएं तीन बार तलाक कह देने भर से वर्षों पीड़ा का सामना करती थीं। ये फैसला नजीर बनेगा। अधिवक्ता मुकेश शर्मा का कहना है कि देश एक है संविधान एक है तो फिर किसी को धर्म की आड़ में विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता। तीन तलाक गैरजरूरी था। देश के कानून के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ेगा। अधिवक्ता प्रखर दीक्षित मुस्लिम महिलाओं के लिए इस फैसले को ऐतिहासिक मानते हैं। उनका कहना है कि तीन तलाक पीड़ादायक था।

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