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अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा कसा तो गर्भपात का ग्राफ हुआ कम

लखनऊ। कार्यालय संवाददाता रजनीश रस्तोगी अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कसने का फर्क गर्भपात पर भी नजर आने लगा है। यही वजह है कि बीतें वर्षों के मुकाबले गर्भपात के मामलों में कमी आई है। अधिकारियों का...

अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा कसा तो गर्भपात का ग्राफ हुआ कम
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊFri, 23 Jun 2017 06:33 PM
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लखनऊ। कार्यालय संवाददाता रजनीश रस्तोगी अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर कसने का फर्क गर्भपात पर भी नजर आने लगा है। यही वजह है कि बीतें वर्षों के मुकाबले गर्भपात के मामलों में कमी आई है। अधिकारियों का कहना है कि गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग परीक्षण के खेल पर भी पाबंदी लगी है। वहीं महिलाओं में सेहत को लेकर भी संजीदगी बढ़ी है। सीएमओ के अधीन लखनऊ में 167 सेंटर गर्भपात के लिए अधिकृत हैं। इनमें 27 सेंटरों को महानिदेशालय से लाइसेंस मिला है। 26 सरकारी अस्पताल गर्भपात के लिए पंजीकृत हैं। बाकी लाइसेंस प्राइवेट अस्पतालों को जारी किए गए हैं। सीएमओ कार्यालय में करीब 440 अल्ट्रासाउंड पंजीकृत हैं। डेढ़ साल के दौरान अधिकारियों ने अवैध अल्ट्रासाउंड संचालकों पर शिकंजा कसा। नियम-कानून को ताक पर रखकर चल रहे कई सेंटर सील भी किए गए। अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि बार-बार गर्भपात से महिला की जान जोखिम में पड़ सकती है। रक्तस्राव होने से शरीर में खून की कमी हो सकती है। संक्रमण समेत दूसरी परेशानी का खतरा भी बना रहता है। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए तमाम उपाय हैं। संजीदा रहकर गर्भपात के खतरों से बच सकते हैं। उन्होंने बताया कि बार-बार गर्भपात कराने से बच्चेदानी कमजोर हो जाती है। ऐसी महिलाओं को भविष्य में मां बनने में अड़चन भी आ सकती है। जागरुक किया जा रहा अस्पतालों में डॉ. एके श्रीवास्तव ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में गर्भपात से पहले महिलाओं को इसके खतरों के बारे में जानकारी दी जा रही है। गर्भपात से बचाव के तरीके भी सुझाए जा रहे हैं। साथ ही अनचाहे गर्भ से बचने के उपाए भी अस्पतालों में मुफ्त मुहैया कराए जा रहे हैं। लिंग परीक्षण के खेल पर कसा शिकंजा अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र कुमार ने कहा कि अवैध अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा कसा जा रहा है। एक माह के दौरान 40 से अधिक सेंटरों के मानकों को परखा जा चुका है। नियमों के खिलाफ चल रहे सेंटरों को हर हाल में बंद किया जाएगा। फैक्ट फाइल 2015-16 सरकारी सेंटरों में 2347 गर्भपात हुए। प्राइवेट सेंटरों में 1797 गर्भपात कराए गए। 2016-17 सरकारी सेंटरों में 2039 गर्भपात हुए। प्राइवेट सेंटरों में 1462 गर्भपात हुए। 2017-18(पहली अप्रैल से अब तक) सरकारी सेंटरों में 284 गर्भपात। प्राइवेट सेंटरों में 283 गर्भपात कराए गए।

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