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पुस्तकालय के आधुनिकीकरण में कारगर है रंगनाथन के सिद्धांत

लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में पुस्तकालय विज्ञान के पितामह डॉ. रंगनाथन के 125वीं जयंती पर चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हो गया।...

पुस्तकालय के आधुनिकीकरण में कारगर है रंगनाथन के सिद्धांत
हिन्दुस्तान टीम,लखनऊSun, 13 Aug 2017 08:46 PM
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लखनऊ। निज संवाददाताबाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय (बीबीएयू) में पुस्तकालय विज्ञान के पितामह डॉ. रंगनाथन के 125वीं जयंती पर चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हो गया। सेमिनार का समापन मुख्य अतिथि कुरुक्षेत्र विवि के प्रोफेसर गोवेन्द्र सिंह वर्मा ने किया। इस मौके पर उन्होंने डॉ. पीआर रंगनाथन के पुस्तकालय विज्ञान के प्रसार में बहुमूल्य योगदान पर चर्चा करते हुए कहा कि डॉ रंगनाथन के सिद्धांत और विचार लाइब्रेरी जगत में चल रहे आधुनिकीकरण एवं डिजिटाइजेशन में काफी कारगर है । प्रो. गोबिन्द ने कहा कि हमारे देश के लाइब्रेरी जगत में हुए विकास में उनका योगदान किसी ईमारत की नीव रखने जैसा ही है। वह इस क्षेत्र में इतना तल्लीन थे की हर वक़्त इसमे नए खोज करने में लगे रहते थे। पुस्तकालय विज्ञान के वह पांच नियम जिससे आज पूरा विश्व लाभान्वित हो रहा है। वह उनकी लगन का ही परिणाम है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पुस्तकालय विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ एमपी सिंह ने बताया की डॉ रंगनाथन ने पुस्तकालय विज्ञान के लिए जो सिद्धांत बनाए वह आज भी उतने ही उपयोगी है। आज भी उनके वर्गीकरण के सिद्धांत पर ही पुस्तकालय में पुस्तके रखी जाती है। उनके इस योगदान के कारण ही 12 अगस्त को यानी उनके जन्म दिवस को राष्ट्रीय पुस्तकालय अध्यक्ष दिवस के रूप में माना जाता है । सेमिनार में दूर दराज की जिलोंऔर राज्यों से कई शोधार्थी और शिक्षाविद् भी शामिल हुए और अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

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